नरेंद्र मोदी : साधारण से असाधारण विश्वनायक तक
सपना सी.पी. साहू 'स्वप्निल'
विकसित भारत के स्वप्नदृष्टा और यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को गुजरात के वडनगर में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके बचपन से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक का सफर संघर्ष, कड़ी मेहनत और अटूट निष्ठा का प्रतीक है। बचपन में पिता की चाय की दुकान पर हाथ बंटाने से लेकर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के माध्यम से समाजसेवा में कदम रखने तक, उनका जीवन हर भारतीय के लिए प्रेरणा है। उनके प्रारंभिक वर्ष हिमालय में बिताए गए, जिसने उनके चरित्र को गहराई दी।
2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में, उन्होंने 13 वर्षों तक राज्य को विकास का एक मॉडल बनाया। 2014 में भारत के प्रधानमंत्री बनने के बाद, उन्होंने देश को एक नई दिशा दी। उनकी नीतियों और कार्यक्रमों ने भारत को आर्थिक रूप से सशक्त किया है। 'मेक इन इंडिया', 'डिजिटल इंडिया', 'स्टार्टअप इंडिया', और 'आत्मनिर्भर भारत' जैसे अभियानों ने भारत को दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना दिया है।
मोदी के नेतृत्व में सामाजिक सुधार भी बड़े पैमाने पर हुए हैं। 'प्रधानमंत्री जन धन योजना' से करोड़ों लोगों को बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ा गया। 'पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना' ने मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराया। 'उज्ज्वला योजना' ने गरीब महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन दिए, और 'आयुष्मान भारत' ने करोड़ों लोगों को स्वास्थ्य सुरक्षा दी। 'स्वच्छ भारत अभियान' ने देश में स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाई, जिससे 11 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण हुआ।
सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पुनर्जागरण में, राम मंदिर का निर्माण, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, महाकाल लोक, केदारनाथ धाम का जीर्णोद्धार और स्टैच्यू ऑफ यूनिटी जैसी परियोजनाएं प्रशंसनीय हैं। भारत की प्राचीन विरासत को आधुनिकता से जोड़ने वाली सड़कों, मेट्रो और हवाई अड्डों की परियोजनाओं में भी तेजी से काम हुआ है।
आज भारतीय सेना दुनिया की चौथी सबसे शक्तिशाली सेना है और इसका रक्षा बजट भी दुनिया के सबसे बड़े बजट में से एक है। रक्षा उपकरणों के स्वदेशी निर्माण पर जोर दिया गया है, जिससे आयात पर निर्भरता कम हुई है।
विदेश नीति में भी मोदी का नेतृत्व सराहनीय रहा है। 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति और जी-20 की सफल मेजबानी ने भारत को वैश्विक मंच पर एक मजबूत और निर्णायक शक्ति के रूप में स्थापित किया है। उनके प्रयासों ने 'वसुधैव कुटुंबकम्' के भारतीय दर्शन को विश्व में फैलाया है।
मोदी जी के अथक प्रयासों और वैश्विक शांति के लिए किए गए योगदान को देखते हुए, उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित करने का विचार अनुचित नहीं लगता। उनका जीवन और कार्य हमें प्रेरणा देते हैं कि संकल्प और समर्पण से कोई भी सपना साकार किया जा सकता है।जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं, यशस्वी प्रधानमंत्री !
इंदौर (म.प्र.)
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