इंद्रप्रस्थ लॉ कॉलेज ग्रेटर नोएडा में विराट कवि महोत्सव का आयोजन
गौतमबुद्ध नगर, 16 सितंबर। इंद्रप्रस्थ लॉ कॉलेज ग्रेटर नोएडा में हिंदी दिवस के उपलक्ष में एक भव्य एवं साहित्यिक वातावरण से ओतप्रोत काव्य धारा विराट कवि महोत्सव एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। यह आयोजन कॉलेज के निदेशक डॉ जीत सिंह के नेतृत्व तथा मार्गदर्शन में संपन्न हुआ।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वंदना के साथ प्रारंभ हुआ। इस अवसर पर कॉलेज की संपूर्ण लॉ फैकल्टी प्रबंधक मंडल के सशक्त हस्ताक्षर डॉ. विपिन कौशिक एवं डॉ. विपिन गुप्ता भी विशेष रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रोफेसर शिवानी वर्मा, प्रोफेसर गृह विज्ञान राजकीय महिला महाविद्यालय बादलपुर रही। उन्होंने अपने संबोधन में हिंदी भाषा की समृद्ध परंपरा साहित्यिक गरिमा तथा राष्ट्र निर्माण में मातृभाषा के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हिंदी केवल संवाद का माध्यम नहीं बल्कि भारतीय अस्मिता और संस्कृति का आधार है। कार्यक्रम का संचालन कॉलेज की सहायक प्रोफेसर चंचल खत्री एवं डॉक्टर कल्पना चौधरी ने किया।
कॉलेज के निदेशक डॉ जीत सिंह ने सभी कवियों अतिथियों विद्यार्थियों का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि हिंदी दिवस पर ऐसा आयोजन न केवल साहित्यिक चेतना को प्रबल करता है बल्कि यह युवाओं को मातृभाषा के प्रति गर्व और गौरव का अनुभव भी कराता है।
इस अवसर पर प्रबंधक के अध्यक्ष श्री विपिन कौशिक जी ने कार्यक्रम की भूरी भूरी प्रशंसा की उन्होंने कहा कि इससे पूर्व ऐसा कार्यक्रम हमारे महाविद्यालय में संपन्न नहीं हुआ उन्होंने खुशी जाहिर की कि कॉलेज में दो कृतियों का विमोचन भी हमारे कॉलेज की प्रतिष्ठा को बढ़ता है।
काव्य धारा में अनेक वरिष्ठ एवं प्रतिष्ठित कवियों ने भाग लेकर अपनी सशक्त रचनाओं से श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया मंच पर वरिष्ठ गजल कारण एवं अध्यक्ष श्री गिरीश पांडे ने अपनी रचनाओं से वातावरण को साहित्यिक से भर दिया। डॉक्टर महेंद्र शर्मा “मधुकर” ने अपने गीतों से रस और भाव की अनोखी छठा बिखेरी। डॉक्टर सीमा कौशिक एक जानी-मानी गजलकर एवं गीतकार ने अपने काव्य पाठ से सभी को प्रभावित किया, डॉक्टर राम पांच भाई एक प्रख्यात कवि एवं गीतकार ने अपनी ओजस्वी पंक्तियों से श्रोताओं को रोमांचित किया।
नेहा सुमन पाठक वरिष्ठ गीतकार ने संवेदनशील और माधुर्य रचनाओं के माध्यम से काव्य गोष्ठी को विशेष ऊंचाई प्रदान की। राजेश प्रभाकर वरिष्ठ भक्तिकार एवं गजलकार ने अपने भक्ति और गहन भावपूर्ण काव्य में दर्शकों को भाव विभोर कर दिया। स्नेह लता पांडे वरिष्ठ गीतकार ने मधुर रचनाओं के माध्यम से श्रोताओं को आकर्षित किया नवीन पहल भटनागर प्रख्यात गजल कार गीतकार ने अपनी मधुर कविताओं में चार चांद लगा दिया। एन.सी खंडेलवाल प्रख्यात हास्य व्यंग्यकार करने अपनी रचनाओं से उपस्थित जन समूह को ठाहको से गूंजा दिया ।भावना अवस्थी वरिष्ठ कवयित्री ने अपनी कविताओं से भावनाओं की गहराई को अभिव्यक्त किया। गोल्डी गोल्ड वरिष्ठ गीतकार ने अपने गीतों के माध्यम से सभी को प्रभावित किया।
गिरीश पांडे जी ने अपने गीत में कहा कि सर पर जूता पढ़ते रहना अच्छा है, बालो को झड़ते रहना अच्छा है अगर चाहते हो बना रहे जीवन में प्यार तो पति-पत्नी का लड़ते रहना अच्छा है। वरिष्ठ कवयित्री एवं मंच संचालिका डॉक्टर दीपा शर्मा उजाला ने पढ़ा कि, मैं जीत लिखूं या रीत लिखूं या तेरे मन का प्रीत लिखूं। डॉ महेंद्र शर्मा मधुकर वरिष्ठ गीतकार ने अपनी ओजस्वी भाषा में कहा ।
हिंदी को अपनाकर यह हिंदी है अनमोल अंग्रेजी को छोड़कर कुछ तो हिंदी बोल। डॉ सीमा कौशिक मुक्त जी ने अपने गीत में कहा, जहां लोग खत्म करते हैं हम वहां से शुरुआत करते हैं, हम करके दिखाते हैं जिसकी लोग अक्सर बात करते हैं। डॉ राम पांच भाई वरिष्ठ गीतकार लिखते हैं, प्यार से देखकर मुझे जैसे चेहरा तेरा में यूं ही नाच रहूं बन के साजन तेरा।
डॉक्टर नेहा सुमन पाठक वरिष्ठ गीतकार ने कहा, दुनिया में बेईमानों का बसेरा हो गया, हर आदमी लुटेरा हो गया। राजेश प्रभाकर भक्तिकार ने कहा, ईशा की धूप में अमन की छांव में मिले तो मैं चल दूंगा सावन की वही उन्माद मिले तो मैं चल दूंगा। डॉक्टर श्रद्धा सिन्हा लता पांडे जी वरिष्ठ गीतकार ने कहा, युवा तुम बैठ मत जाना पराजित हो सदा शुरू काम करना तुम सुभाषित हो। डॉ कुसुम सिंह लता वरिष्ठ कवयित्री एवं गीतकार ने कहा, सरस्वती वंदना है हंस वाहिनी ज्ञान दायिनी। अब विमल मति दे अबविमल मति दे गर्मी लागे रे भैया जेठ के महीना में। एनसी खंडेलवाल वरिष्ठ हास्य कवि कहते हैं सामने से गुजर गई को पथ गामिनी कहती रह गई। जुबान अंजुमन ऐसे थे अवध के नवाब ऐसे थे अवध के नवाब। गोल्डी गोल्ड वरिष्ठ गीतकार जी ने कहा, हर उपदेशक संत नहीं होता इसलिए असर तुरंत नहीं होता।मन मंदिर में भगवान विराजते हैं वहां कोई महंत नहीं होता। कॉलेज के डायरेक्टर डॉक्टर जीत सिंह जी ने कहा, क्रोध से दूर तू भी नहीं मैं भी नहीं। हम दोनों इंसान है योगी तू भी नहीं मैं भी नहीं। तू मुझे मैं तुझे क्रोधी तो कहते हैं। मगर परशुराम तू भी नहीं मैं भी नहीं। डॉ आशु गुप्ता जी ने कहा, मैं अपनी ही मंजिल के पड़ाव ढूंढ रहा हूं और कुछ नहीं अपने आप को ढूंढ रहा हूं। इस अवसर पर कॉलेज के सभी प्राध्यापक एवं छात्र-छात्राएं तथा सभी कर्मचारी उपस्थित रहे।
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