सुपोषित बनें और स्वस्थ व समृद्ध भारत का निर्माण करें : मुकेश शर्मा
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह (01-07 सितम्बर) पर विशेष
लखनऊ, 31 अगस्त। सुपोषित समाज ही स्वस्थ और समृद्ध भारत की बुनियाद को मजबूत बना सकता है। सुपोषण के लिए जरूरी है कि परिवार के हर व्यक्ति को सही और संतुलित आहार मिले। इसके साथ जीवन शैली को संयमित रखना भी जरूरी है। यह कहना है पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल इंडिया (पीएसआई इंडिया) के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर मुकेश शर्मा का।
श्री शर्मा का कहना है कि सुपोषण के प्रति समुदाय को जागरूक बनाने के लिए ही हर साल एक से सात सितम्बर तक राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाया जाता है, जिसका मकसद स्वस्थ भोजन और संयमित जीवन शैली को हर आयु वर्ग में बढ़ावा देना है। इसी को ध्यान में रखते हुए इस साल इस सप्ताह की थीम-“बेहतर जीवन के लिए सही भोजन” तय की गयी है। पोषण सप्ताह के तहत सप्ताह भर समुदाय में विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से सुपोषण के प्रति जागरूकता की अलख जगाई जाती है।
श्री शर्मा का कहना है कि राष्ट्रीय पोषण सप्ताह के दौरान समुदाय को स्थानीय खाद्य पदार्थों के बारे में भी जागरूक बनाना जरूरी है कि उनके खेतों और आस-पास मौजूद बहुत से अन्न, फल और सब्जियां किस तरह से पोषक तत्वों से भरपूर हैं। यह खाद्य पदार्थ कम कीमत और आसानी से उपलब्ध भी हैं, बस जरूरत है उनको अपनाने की क्योंकि सुपोषण का मतलब सिर्फ भरपेट भोजन से नहीं है बल्कि उसमें शामिल पोषक खाद्य तत्वों से है। शरीर को भरपूर ऊर्जा के लिए जहाँ कार्बोहाइड्रेट की जरूरत है वहीँ मांसपेशियों की सलामती और वृद्धि के लिए प्रोटीन की भी पर्याप्त जरूरत शरीर को होती है। इसी तरह वसा, विटामिन, खनिज और पानी की भी आवश्यकता शरीर को होती है।
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह के दौरान जंक फ़ूड के नुकसान के बारे में भी विस्तार से बताया जाता है। जंक फ़ूड और अनियमित जीवन शैली आज मोटापा, कुपोषण समेत कई तरह की बीमारियों का कारण बन रहे हैं। मोटापे से बचाव के लिए जरूरी है कि स्वस्थ जीवनशैली को अपनाएं और रोजाना कम से कम 30 मिनट तक शारीरिक व्यायाम करें। योग और ध्यान को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। अधिक नमक, चीनी और वसायुक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से तौबा करने में ही सभी की भलाई है। राष्ट्रीय पोषण सप्ताह के माध्यम से सामुदायिक स्तर पर विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से संतुलित आहार का महत्व और स्वास्थ्य में विटामिन और खनिज की महत्ता को समझाना जरूरी है। बच्चों और किशोरों को सुपोषित बनाना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि वही कल के देश के कर्णधार बनने वाले हैं। इसके साथ ही गर्भवती और बच्चे को स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए पोषक आहार की उपयोगिता के बारे में भी बताना जरूरी है। भोजन से पहले हाथों की सही स्वच्छता की भी आदत डालें।
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