सीसीएसयू प्रशासन पर 200 करोड़ के भ्रष्टाचार का आरोप
विवि के बाहर किसानों का प्रदर्शन, 38 पन्नों का सौंपा ज्ञापन, बोले-जांच हो
मेरठ। गुरूवार को चौधरी चरण सिंह विवि में भ्रष्टाचार के खिलाफ छात्र नेताओं ने मोर्चा खोल दिया । छात्र नेता आदेश प्रधान के नेतृत्व में शान मोहम्मद, राहुल वर्मा, विजित तालियां और विभिन्न कॉलेजों के छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए।
मीडिया से बात करते हुए अधिवक्ता आदेश प्रधान ने कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला, मुख्य अभियंता मनीष मिश्रा और अन्य अधिकारियों पर करोड़ों के भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं, फर्जी नियुक्ति का आरोप लगाते हुए रजिस्ट्रार का घेराव किया और 38 पेज के साक्ष्यों के साथ ज्ञापन सौंपा। छात्रों ने मुख्यमंत्री, राज्यपाल और प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन भेजकर कार्रवाई की मांग की है।
आदेश प्रधान का आरोप है कि विश्वविद्यालय में फार्मेसी और मूल्यांकन भवन बिना नक्शा पास किए बनाए गए, जिन पर 14.54 करोड़ रुपए खर्च हुए। ऑडिट में इन भवनों के निर्माण में अनियमितता उजागर हुई हैं।विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 के प्रावधानों को दरकिनार कर फर्नीचर, सड़क, कंप्यूटर आदि के कार्यों में 11 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है। छात्रों का कहना है कि ये सभी अनियमितताएं कुलपति के इशारे पर मुख्य अभियंता मनीष मिश्रा ने की हैं, जो पिछले पांच सालों से विश्वविद्यालय में मनमाने तरीके से काम कर रहे हैं।
उत्तर पुस्तिका में चार करोड़ का घोटाला
छात्र नेताओं ने उत्तर पुस्तिकाओं की खरीद में भी बड़े घोटाले का खुलासा किया। आदेश प्रधान ने बताया कि बिना टेंडर और मांग पत्र के 39 लाख उत्तर पुस्तिकाएं और 7 लाख प्रयोगात्मक उत्तर पुस्तिकाएं खरीदी गईं, जिन पर 4.88 करोड़ रुपए खर्च हुए। यह राशि विश्वविद्यालय के नियमों का उल्लंघन कर अपने जानकारों को ठेका देकर लूटी गई। छात्रों ने इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की है।
छात्रों ने कुलपति पर फर्जी नियुक्तियों का भी आरोप लगाया। आरोप है कि वीसी ने ग्वालियर के दो व्यक्तियों, नासर और रूबी बनो, को क्रमशः ड्राइवर और लेखा विभाग में नियुक्त दिखाया गया।
आरटीआई से पता चला कि नासर ने 7 महीने और रूबी ने 12 महीने तक कथित रूप से नौकरी की, लेकिन दोनों विश्वविद्यालय में कभी आए ही नहीं। फिर भी उन्हें लाखों रुपये का भुगतान किया गया। छात्रों ने इस फर्जीवाड़े की जांच की मांग की है।
मेरठ विकास प्राधिकरण पर सवाल
आदेश प्रधान ने मेरठ विकास प्राधिकरण (एमडीए) से सवाल किया कि जब वह गरीबों के घर तोड़ सकता है, तो विश्वविद्यालय के अवैध भवनों पर कार्रवाई क्यों नहीं करता? छात्रों ने एमडीए और विश्वविद्यालय प्रशासन की मिलीभगत का आरोप लगाया है।
छात्रों की मांग
छात्रों ने मांग की है कि कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला, मनीष मिश्रा, पूर्व कुल सचिव धीरेंद्र कुमार वर्मा, पूर्व वित्त अधिकारी सुशील कुमार गुप्ता और वर्तमान वित्त अधिकारी रमेश चंद्र निरंजन के खिलाफ सीबीआई, ईडी, लोकायुक्त और सतर्कता आयोग से जांच कराई जाए।वे चाहते हैं कि 2021-22 से 2024-25 तक के ऑडिट को दोबारा जांचा जाए और दोषी अधिकारियों को निलंबित किया जाए। छात्रों ने चेतावनी दी है कि यदि कार्रवाई नहीं हुई तो वे सभी कॉलेज बंद करवाने और बड़ा आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
भारतीय किसान यूनियन के नेता मुनेंद्र गुर्जर सहित अन्य ने कहा कि हम छात्रों के साथ हैं। हमारे पास तमाम सुबूत हैं जो इन आरोपों को सही साबित करते हैं।
विश्वविद्यालय प्रशासन का बयान
पिछले कुछ सालों में हमारा विश्वविद्यालय पढ़ाई, शोध और नवाचार के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ा है। हमें गर्व है कि NAAC ने हमें A++ ग्रेड दिया है, और NIRF, THE रैंकिंग, इंडिया टुडे रैंकिंग जैसी राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में हमने शानदार स्थान हासिल किया है।यह सब हमारे मेहनती शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों की कड़ी मेहनत का नतीजा है। हम "एक भारत, श्रेष्ठ भारत" के सपने को साकार करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं।कुछ लोग जलन और नकारात्मक सोच के कारण विश्वविद्यालय की प्रगति को देखकर गलत और बेबुनियाद बातें फैला रहे हैं। यह न सिर्फ विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने की कोशिश है, बल्कि छात्रों और समाज में भ्रम पैदा करने का भी असफल प्रयास है।
हम स्पष्ट करते हैं कि विश्वविद्यालय के सभी काम-काज, चाहे पढ़ाई, प्रशासन या वित्त से जुड़े हों, पूरी पारदर्शिता और सरकारी नियमों के तहत किए जाते हैं। हम सभी छात्रों, शिक्षकों, कर्मचारियों और हितधारकों से अपील करते हैं कि ऐसी नकारात्मक और गलत बातों पर ध्यान न दें। आइए, हम सब मिलकर विश्वविद्यालय को पढ़ाई, शोध और सामाजिक जिम्मेदारी में नई ऊंचाइयों तक ले जाएं।
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