पोर्न फिल्म या वेब सीरीज देखने से बच्चों की  मानसिक विकृति का शारीरिक पतन

 इलमा अजीम 
पोर्न फिल्में या वेब सीरीज देखने की आदत से बच्चों का मानसिक और शारीरिक पतन हो रहा है। वे इनके पीछे पागल से हो रहे हैं। मस्तिष्क में सोचने की क्षमता कम हो रही है। उनमें एक नशा सा छा रहा है।  एक समय था जब हमारे देश भारत के राजा कहा करते थे कि मेरे देश में कोई चोर नहीं, शराबी और कायर नहीं, कोई अधार्मिक नहीं, कोई व्यभिचारी नहीं। क्या आज का राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री ऐसा कह सकता है ? शायद उत्तर मिलेगा- नहीं। सैंकड़ों चोरियां होती हैं, अनेक हत्याएं होती हैं, अनेक महिलाओं, यहां तक कि नन्ही-नन्ही कन्याओं, जिन्हें नवरात्रों में देवी समझकर पूजा जाता है, उनके साथ दिल दहला देने वाले सामूहिक बलात्कार और हत्याएं हो रही हैं कि सुनकर ही रौंगटे खड़े हो जाते हैं। 

क्या इसलिए कि हमारा चरित्र गिर गया है या बड़ी-बड़ी उच्च डिग्रियां लेकर भी हम मानसिक दृष्टि से गिरे हुए हैं। तीव्र गति से होने वाली वैज्ञानिक प्रगति नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। इस क्रांति में इंटरनेट एक ऐसे व्यापक हाईवे के रूप में सामने आया है जिसने समूचे विश्व को अपने आलिंगन में ले लिया है। इंटरनेट की सहायता से हम दुनिया भर की जानकारियां उपलब्ध करा सकते हैं। 


हाल ही में सुर्खियों में रहे केस कोलकाता में एक डॉक्टर युवती से बलात्कार व हत्या का आरोपी पोर्न फिल्मों का आदी बताया गया है। आज अलग कमरों में बच्चे सोशल मीडिया में क्या देख रहे हैं, इसका न तो बच्चों को डर है, न बड़ों को खबर है। मानसिक विकृति बढ़ती जा रही है। आज की कन्या या युवती अपने परिवार में भी सुरक्षित नहीं है। 
स्वतंत्र पत्रकार ,मेरठ 

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