जिंदल आईवीएफ़ ने पीजीटी-एसआर प्रोसीजर के साथ एक चिकित्सीय सफलता हासिल कीमेरठ - इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ़) और सहायक प्रजनन तकनीक (एआरटी) सेवाएं देने वाले देश का बड़ा संस्थान जिंदल आईवीएफ प्रजनन देखभाल के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां छू रहा है। हाल ही में संस्थान ने प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग फॉर स्ट्रक्चरल रीअरेंजमेंट्स (पीजीटी-एसआर) केस को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। इस अत्याधुनिक प्रक्रिया ने सेकेंडरी इंफर्टिलिटी और प्रसव संबंधी चुनौतियों का सामना कर रहे एक कपल को नई उम्मीद दी है।
डॉक्टर शीतल ने इस मामले की जटिलताओं पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा, श्यह मामला बेहद संवेदनशील था क्योंकि मरीज में क्रोमोसोमल असामान्यता और पिछले गर्भधारण में नुकसान हो चुका था। हमारा मुख्य ध्यान आईवीएफ प्रक्रिया को पूरा करने और पीजीटी-एसआर के जरिए एक मजबूत आनुवंशिक जांच करने पर था, ताकि स्वस्थ गर्भावस्था की संभावना अधिकतम हो सके। हर कदम में अत्यधिक सटीकता की आवश्यकता थी, चाहे वह अंडाणु संग्रह हो, आनुवांशिक विश्लेषण हो, या भ्रूण चयन।
डॉ शीतल ने इस उपलब्धि पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा, श्यह मामला हमारे उन प्रयासों की पुष्टि करता है, जिनके तहत हम एडवांस प्रजनन तकनीकों का उपयोग करके जेनेटिक चुनौतियों से जूझ रहे परिवारों की मदद कर रहे हैं। इतनी बाधाओं को पार करने के बाद एक स्वस्थ बच्चे का जन्म न केवल उस परिवार के लिए बल्कि उन अनगिनत अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणा है जो इसी तरह की समस्याओं का सामना कर रहे हैं। मैं जिंदल आईवीएफ की समर्पित टीम पर बेहद गर्व महसूस कर रही हूं, जिन्होंने इस मामले को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए कड़ा प्रयास किया।
दरअसल यह मामला एमकेबी नामक एक 35 वर्षीय महिला से संबंधित है। वो सेकेंडरी इनफर्टिलिटी और प्रसव संबंधी कई समस्याओं का सामना कर रही थी। जिंदल आईवीएफ में जांच के बाद पता चला कि मेडिकल हिस्ट्री में एक एक्टोपिक प्रेगनेंसी और दो स्पोंटेनियस एबॉर्शन शामिल थे। जांच में यह भी पता चला कि एमकेबी को रॉबर्टसोनियन क्रोमोसोमल ट्रांसलोकेशन नामक एक जेनेटिक कंडीशन भी है जिससे स्वाभाविक गर्भाधान का खतरा होता है और इससे गर्भपात का जोखिम बढ़ सकता है।
इन जेनेटिक और प्रजनन संबंधी चुनौतियों का सामना कर रही इस महिला को आईवीएफ के साथ पीजीटी-एसआर कराने की सलाह दी गई। यह एक विशेष प्रकार का जेनेटिक टेस्ट है , जो क्रोमोसोमल असामान्यताओं का पता लगाने के लिए किया जाता है। जिंदल आईवीएफ़ में सीनियर कंसलटेंट और आईवीएफ-पीजीटी एक्सपर्ट डॉक्टर शीतल जिंदल, डॉ. संगीता खट्टर (कन्सल्टेंट, मेडिकल जेनेटिक्स) और डॉ. संजीव माहेश्वरी (निदेशक आईवीएफ लैब) के नेतृत्व में मेडिकल टीम ने मरीज के लिए एक विशेष उपचार योजना तैयार की। इस योजना का उद्देश्य क्रोमोसोमली सामान्य भ्रूणों की पहचान करना था, ताकि एक स्वस्थ गर्भावस्था और पूर्ण अवधि के प्रसव की संभावना बढ़ सके।
उपचार के दौरान, छह अंडाणुओं का संग्रह किया गया और सभी छह सफलतापूर्वक ब्लास्टोसिस्ट में विकसित हो गए। सभी ब्लास्टोसिस्ट्स पर ट्रोफोएक्टोडर्म बायोप्सी की गई, जिसमें दो को क्रोमोसोमली नॉर्मल पाया गया। इसके बाद टीम ने मां के गर्भाशय में एक हेल्दी ब्लास्टोसिस्ट को ट्रांसफर किया। इस प्रयास का परिणाम एक पूर्ण अवधि की गर्भावस्था के रूप में निकला और दंपति ने 3 किलोग्राम वजन वाले एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया।
जिंदल आईवीएफ मां और बच्चे की निरंतर स्वास्थ्य और कल्याण के लिए उनकी देखभाल जारी रखेगा, जो क्लिनिक की व्यापक पोस्टनेटल देखभाल का हिस्सा है। एडवांस प्रजनन तकनीकों में अपनी सफलता और रोगी देखभाल के लिए प्रसिद्ध जिंदल आईवीएफ उत्तर भारत में उन परिवारों के लिए सबसे पसंदीदा विकल्पों में से एक बना हुआ है, जो प्रजनन और जेनेटिक चुनौतियों में मदद की तलाश कर रहे हैं।
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