हाथरस भगदड़ का मुख्य आरोपी देवप्रकाश मधुकर गिररफ्तार 

दिल्ली के एक अस्पताल में किया सरेंडर ,एसआईटी प्रमुख ने कहा हालात समझने में फेल हुए अधिकारी 

हाथरस,एजेंसी।हाथरस भगदड़ कांड का मुख्य आरोपी देवप्रकाश मधुकर शुक्रवार रात गिरफ्तार हो गया है। मधुकर ने दिल्ली के नजफगढ़-उत्तम नगर के बीच एक अस्पताल में पुलिस के सामने सरेंडर किया। यूपी पुलिस ने उस पर एक लाख इनाम घोषित किया था।इसकी पुष्टि सूरज पाल उर्फ भोले बाबा के वकील एपी सिंह ने की है। उन्होंने कहा- देवप्रकाश मधुकर हार्ट मरीज हैं। उनकी तबीयत ठीक नहीं थी। इलाज के बाद हालत में सुधार होने पर उन्होंने शुक्रवार को सरेंडर कर दिया।

देव प्रकाश भोले बाबा का खास सेवादार है। वही सिकंदराराऊ के फुलरई गांव में सत्संग का मुख्य आयोजक था। पुलिस ने 4 जुलाई को 6 सेवादारों को गिरफ्तार किया था। इनमें 2 महिलाएं हैं। देवप्रकाश की गिरफ्तारी के बाद यह संख्या 7 हो गई है।

हाथरस हादसे की जांच कर रही SIT ने शुक्रवार को बड़ा दावा किया। SIT ने कहा कि भगदड़ लापरवाही और बदइंतजामी की वजह से हुई। अफसर हालात परखने में फेल हुए। जिले के प्रमुख अफसरों समेत 90 लोगों के बयान लिए गए हैं। अभी तक जो सबूत मिले हैं, उनमें आयोजक दोषी साबित होते हैं।आगरा जोन की अतिरिक्ति पुलिस महानिदेशक अनुपम कुलश्रेष्ठ SIT प्रमुख हैं। हाथरस भगदड़ कांड की जांच तीन सदस्यीय SIT कर रही है। विस्तृत जांच अभी जारी है, जिसकी रिपोर्ट शासन को सौंपी जाएगी।

साजिश से इंकार नहीं

SIT प्रमुख अनुपम कुलश्रेष्ठ ने  कहा कि सत्संग में अनुमान से ज्यादा भीड़ आई। बड़ी तादाद में श्रद्धालु नए थे। बाबा को देखने के लिए आगे बढ़े, इसी दौरान भीड़ अनियंत्रित हो गई। भगदड़ लापरवाही और बदइंतजामी की वजह से हुई। कार्यक्रम की परमिशन लेते वक्त आयोजन समिति ने अपने स्तर पर आश्वासन दिया था कि सुरक्षा व्यवस्था सही तरीके से होगी।कुलश्रेष्ठ ने कहा कि साजिश के पहलू से इनकार नहीं किया जा सकता है। दोषी लोगों पर निश्चित रूप से कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

डीएम-एसपी से भी लिए बयान

रिपोर्ट में हाथरस के जिला मजिस्ट्रेट आशीष कुमार, एसपी निपुण अग्रवाल और स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के बयान शामिल हैं, जिन्होंने भगदड़ के पैदा हुई आपातकालीन स्थिति को संभाला था। इस मामले में 2 जुलाई को भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 105 (हत्या के बराबर न होने वाली गैर इरादतन हत्या), 110 (गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास), 126 (2) (गलत तरीके से रोकना), 223 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा) और 238 (साक्ष्य मिटाना) के तहत FIR दर्ज की गई थी।

न्यायिक आयोग भी कर रहा जांच

2 जुलाई को हाथरस के सिकंदराराऊ के फुलरई मुगलगढ़ी गांव में हुई भगदड़ में 123 लोगों की मौत हुई है। इनमें 113 महिलाएं और 7 बच्चियां हैं। इस केस की तीन लेवल पर जांच हो रही है। एसडीएम रविंद्र कुमार ने 24 घंटे के अंदर अपनी रिपोर्ट प्रशासन को सौंप दी थी।

वहीं, योगी सरकार ने तीन सदस्यीय एसआईटी बनाई है। जांच के लिए न्यायिक आयोग का भी गठन किया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस बृजेश कुमार श्रीवास्तव आयोग के अध्यक्ष हैं। आयोग 2 महीने में जांच पूरी कर रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा।

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