पाकिस्तानी घोषित पिता की रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे भाई.बहन
7-8सालकी उम्र में पाकिस्तान में अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिये वीजा पर गया था मौहम्मद कमर
सात साल से दिल्ली के दिल्ली के एक डिटेंशन सैंटर में बंद है पिता
नयी दिल्ली ,एंजेसी। मेरठ के दो भाई.बहनों ने अपने पिता की रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। इनके पिता को एक अदालत ने पाकिस्तानी नागरिक घोषित किया था और सात साल से एक डिटेंशन सेंटर में बंद हैं। वहीं पाकिस्तान ने भी उन्हें एक नागरिक के रूप में स्वीकार करने से इनकार कर दिया था।
दरअसल 62 वर्षीय मोहम्मद कमर को 8 अगस्त, 2011 को उत्तर प्रदेश के मेरठ से गिरफ्तार किया गया था और यहां की एक अदालत ने उनके वीजा से अधिक समय तक रहने के लिए दोषी ठहराया था। उन्हें तीन साल छह महीने की जेल और 500 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई है।
छह फरवरी 2015 को अपनी सजा पूरी करने के बाद पांच बच्चों के पिता कमर को सात फरवरी 2015 को यहां नरेला के लमपुर डिटेंशन सेंटर में पाकिस्तान निर्वासन के लिए भेजा गया था। हालांकिए पाकिस्तान सरकार ने उनके निर्वासन को स्वीकार नहीं किया और वह अभी भी डिटेंशन सेंटर में हैं।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ को वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने बताया कि अगर कमर को उचित शर्तों पर रिहा किया जाता है, तो वह भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करेगा क्योंकि उसकी पत्नी और पांच बच्चे . तीन बेटे और दो बेटियां सभी भारतीय नागरिक हैं।
पीठ ने कहा, हमने फाइल देखी है इस मामले में क्या किया जा सकता है। वैसे भी नागरिकता के मुद्दे पर क्या हो रहा है, यह देखने के लिए हम नोटिस जारी कर रहे हैं। नोटिस जारी किया जाता है और दो सप्ताह में इस पर जवाब दाखिल किया जाये।
पीठ ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा और इसे 28 फरवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। पारिख ने कहा कि कमर अपनी सजा पूरी करने के बाद पिछले सात साल से एक निरोधक केन्द्र में बंद है और उसे अपने परिवार के साथ रहने के लिए रिहा किया जा सकता है।
अधिवक्ता सृष्टि अग्निहोत्री के माध्यम से शीर्ष अदालत का रुख करने वाली उसकी बेटी और बेटे के अनुसार, उनके पिता कमर उर्फ मोहम्मद कामिल का जन्म 1959 में भारत में हुआ था।
शीर्ष अदालत में दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में कहा गया है, वह कमर1967-1968 में लगभग 7.8 साल की उम्र में भारत से पाकिस्तान में अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए वीजा पर गया था। हालांकि, उसकी मां की वहां मृत्यु हो गई, और वह अपने रिश्तेदारों की देखभाल में ही पाकिस्तान में रहता रहा।
इसमें कहा गया है कि कमर, वयस्क होने पर 1989-1990 के आसपास पाकिस्तानी पासपोर्ट पर भारत वापस आ गया और उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक भारतीय नागरिक शहनाज बेगम से शादी कर ली।
याचिका में कहा गया है, विवाह के बाद पांच बच्चे पैदा हुए। याचिका में कहा गया है कि कमर के पास यह दिखाने के लिए कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है कि वह अपनी मां के साथ 1967-68 के आसपास पाकिस्तान गया था और उसकी मां की मृत्यु हो गई थी।
याचिका में कहा गया है कि मेरठ में, वह नौकरी कर रहा था और अपने परिवार के साथ वहां रह रहा था, जिनके पास यूआईडीएआई द्वारा जारी आधार कार्ड हैं। शुरुआत में, कमर ने 2017 में दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर कर रिहाई का आग्रह किया ताकि वह अपने परिवार के साथ रह सके।उच्च न्यायालय ने 9 मार्च, 2017 को अपने आदेश में उसकी याचिका का निपटारा करते हुए निर्देश दिया कि उसके मामले पर कानून के अनुसार विचार किया जाए।
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