अटल बन जाना आसान नहीं होता: डॉ. प्रतीक गुप्ता
कवि मित्र परिवार द्वारा अटल की जयंती पर हुआ अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का भव्य आयोजन
मेरठ।भारत रत्न, पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म जयंती की पूर्व संध्या पर कवि मित्र परिवार के तत्वावधान में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन “मैं अटल हूँ” का आईएमए हाल में संपन्न हुआ। पूरा सभागार साहित्यप्रेमियों से खचाखच भरा रहा और राष्ट्रकाव्य की गूंज से वातावरण भावविभोर हो उठा।
सर्वप्रथम कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ राजकुमार सांगवान सांसद बागपत, मेयर हरिकांत अहलूवालिया, पूर्व सांसद राजेंद्र अग्रवाल, गौरव चौधरी अध्यक्ष जिला पंचायत मेरठ, हरवीर पाल अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी मेरठ जिला, विमल शर्मा अध्यक्ष जिला सहकारी बैंक , विवेक रस्तोगी अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी मेरठ महानगर, कमल दत्त शर्मा ने दीप प्रज्वलन कर किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए समिति के मुख्य संरक्षक ज्ञानेंद्र अग्रवाल ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के साथ-साथ साहित्य के भी युगपुरुष थे, जिनके विचार आज भी राष्ट्र को दिशा देते हैं।
कवि सम्मेलन का कुशल एवं प्रभावशाली संचालन डॉ. प्रतीक गुप्ता (हास्य एवं व्यंग्य कवि, मेरठ) ने किया, जिनकी सटीक टिप्पणियों और विनोदपूर्ण शैली ने पूरे कार्यक्रम को निरंतर जीवंत बनाए रखा। उन्होंने अपने काव्य पाठ में कहा.. सच का साथ निभाना आसान नहीं होता, आँधियो में दीप जलाना आसान नहीं होता, अटल बन जाऊं मैं भी कह देना हैं आसान मगर, अटल होकर अटल बन जाना आसान नहीं होता।
दिनेश रघुवंशी (फरीदाबाद) ने ओज और राष्ट्रभाव से भरपूर रचनाओं से श्रोताओं में जोश भर दिया। उन्होंने कहा ओज और राष्ट्रभाव से भरपूर काव्य के सशक्त हस्ताक्षर। उनकी रचनाएँ मंच पर ऊर्जा और गर्व का संचार करती हैं।
राजेश चेतन (भिवानी) ने अपनी विचारप्रधान और संवेदनशील कविताओं के माध्यम से समाज और समय की गूढ़ व्याख्या प्रस्तुत की। उन्होंने कहा हिंदुस्तान जोड़ने को सड़कें बनाईं ख़ूब, गाँव-गाँव गली-गली का सहारा हो गया जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान जोड़कर, पंडित अटल सबका दुलारा हो गया
राज कौशिक (गाजियाबाद) ने वीर रस और समसामयिक विषयों पर आधारित कविताओं से सभागार को तालियों से गुंजायमान कर दिया, उन्होंने कहा अगर नाचूँ नहीं तो पाँव मेरे रूठ जाते हैं, अगर नाचूँ ज़रा खुलकर तो घुंघरू टूट जाते हैं, ज़माने की अदाएं देख कर ये सोचता हूं मैं, वहां सच क्यों नहीं जाते जहां तक झूठ जाते हैं
वहीं धर्मेंद्र सोलंकी (भोपाल) की ओजस्वी रचनाओं में राष्ट्रप्रेम का प्रखर स्वर स्पष्ट रूप से झलका। उन्होंने कहा उगो दिन से, नहीं ढलती हुई तुम शाम हो जाओ, नहीं मधुशाला वाला तुम बहकता जाम हो जाओ, अभी भगवान का अवतार तो मुमकिन नहीं लोगों, उठो! तुम ही किसी रावण की ख़ातिर राम हो जाओ
हास्य-व्यंग्य के रंग को और गाढ़ा करते हुए दीपक पारिक (भीलवाड़ा) ने अपनी चुटीली रचनाओं से श्रोताओं को हँसाते-हँसाते गहन संदेश भी दिया। शिखा श्रीवास्तव (लखनऊ) ने नारी संवेदना और कोमल भावनाओं से सजी कविताओं के माध्यम से मंच को भावुक कर दिया। उन्होंने कहा मैं नारी हूँ नारी का सम्मान समेटे हूँ, मातु शारदे ने जो दिया वरदान समेटे हूँ, मुझमें गीतों गज़लों का एक झरना बहता है, लेकिन दिल मे जन गण मन का गान समेटे हूँ।।
कवयित्री कोमल रस्तोगी (मेरठ) ने अपनी सशक्त अभिव्यक्ति और युवा ऊर्जा से विशेष प्रभाव छोड़ा, जबकि कल्याण विशाल (बनारस) की कविताओं में काशी की सांस्कृतिक गहराई और दार्शनिक दृष्टि स्पष्ट रूप से परिलक्षित हुई। उन्होंने कहा प्यार मुझ सा निभाना नहीं आएगा, रूठ कर फिर मनाना नहीं आएगा, जाने वाले तो एक दिन चले जायेंगे, कोई अच्छा बहाना नहीं आएगा।
कवि सम्मेलन में शहर के अनेक साहित्यप्रेमी नागरिकों, शिक्षाविदों, समाजसेवियों, उद्योगपतियों एवं जनप्रतिनिधियों की गरिमामयी उपस्थिति रही। आयोजन समिति ने सभी अतिथियों, कवियों, सहयोगियों एवं मीडिया प्रतिनिधियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए इसे अटल जी के विचारों को समर्पित एक अविस्मरणीय साहित्यिक संध्या बताया। समिति द्वारा सभी अतिथियों व् जनप्रतिनिधियो का सम्मान किया गया | इसके साथ ही गिनीज बुक आफ रिकार्ड्स में विशेष जगह बनाने वाले विकास स्वामी जी (वेट लिफ्टर) को अटल सम्मान से अलंकृत किया गया | कार्यक्रम में अंर्तर्राष्ट्रीय कवियत्री डा. अनामिका जैन अंबर जी एवं हिंदी साहित्य अकादमी के अध्यक्ष सौरभ जैन सुमन की गरिमायामयी उपस्थति भी रही |
समिति के सभी मुख्य सदस्य शान्ति स्वरूप गुप्त, डॉ. सुबोध गर्ग, नीरज गुप्ता, संजीव कुमार गुप्ता, अमित कुमार गुप्ता, डॉ. राजीव शेखर, विपुल सिंघल, राजकुमार, सुमित मिश्रा, अंकित अरोड़ा, संयम सिंघल, रोली गोयल, डॉ. शैली गुप्ता, अनुज पाठक, मयंक अग्रवाल, मोहित जैन, संजय सम्राट, योगेश अग्रवाल, अंकुर गोयल, मैचिंग कपल अनुराग गुप्ता– कीर्ति गुप्ता, नवीन अग्रवाल, सतीश चंद जैन सहित बड़ी संख्या में कविता प्रेमी उपस्थित रहें | हिंदी साहित्य अकादमी के पदाधिकारी उमंग गोयल, नितीश राजपूत, मनमोहन भल्ला, दिव्यांश टंडन, उदिता शर्मा, अमन जैन का विशेष सहयोग रहा | काइट काव्यांजलि के अध्यक्ष गुरमीत सिहं गुनी के साथ उनकी टीम के 7 विधार्थी भी मुख्य सहयोगियों में उपस्थित रहे ।



No comments:
Post a Comment