अटल बिहारी वास्तव में बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी थे- राजेन्द्र अग्रवाल
इतिहास विभाग में अटल जन्म शताब्दी कार्यक्रम श्रृंखला का हुआ समापन समारोह
मेरठ। सीसीएसयू के इतिहास विभाग एवं साहित्यिक सांस्कृतिक परिषद चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई जन्म शताब्दी कार्यक्रम श्रृंखला सुशासन दिवस के समापन समारोह के अंतर्गत व अटल के जन्मदिवस की पूर्व संध्या पर इतिहास विभाग स्थित वीर बंदा बैरागी सभागार में एक दिवसीय संगोष्ठी सदैव अटल व्यक्तित्व एवं विचार विषयक संपन्न हुई।कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला ने की।
मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व सांसद व प्रखर वक्ता राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि अटल जी वास्तव में बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी थे। एक पत्रकार के रूप में उन्होंने समाचार लिखने से लेकर समाचार संपादन तक का कार्य बखूबी किया। एक कवि के रूप में कवि पिता से मिली हुई विरासत को आगे बढ़ाया। अटल जी की रचनाओं में जीने का मार्ग प्रशस्त होता है साहस और संबल मिलता है उन्हीं की प्रेरणादाई योजनाओं को आज लागू भी किया जा रहा है। जीवन का कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं जहां अटल जी के विचार प्रेरणादाई ना हो। राजनीतिक क्षेत्र में भी ऐसे एकमात्र व्यक्ति हैं जो विरोधियों की भी प्रशंसा पाते हैं। कुल मिलाकर अटल जी का व्यक्तित्व बड़ा प्रखर और बहुआयामी वाला प्रेरक व्यक्तित्व रहा है। संपूर्ण देश की अनेक बार यात्राएं गांव गली शहर कस्बे में जाकर लोगों में जागरूकता पैदा करना उनके जीवन का अभिन्न अंग बन गया था।
राजेंद्र अग्रवाल ने उपस्थित जन समुदाय से अटल जी की आत्मकथा पढ़ने का आह्वान किया। मुख्य वक्ता के रूप में उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार से पधारे प्रोफेसर अजय परमार ने कहा कि अटल जी का विचार साहित्यिक राजनीतिक आर्थिक सामरिक सामाजिक व धार्मिक सभी क्षेत्रों में सुस्पष्ट रहा है। उनकी आर्थिक विचारधारा ने देश को जहां एक और आत्मनिर्भर बनाने का काम किया वहीं सामरिक दृष्टिकोण ने देश और दुनिया में भारत को एक सशक्त राष्ट्र के रूप में स्थापित किया।
विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ पत्रकार और प्रदेश प्रवक्ता भाजपा अवनीश त्यागी ने कहा कि अटल जीवन जीने की कला का नाम है उनका नाम स्वयं में एक परिभाषा और प्रेरणा है हम सभी को उनके प्रेरणादाई जीवन से सीखते रहना है।
विश्वविद्यालय की कुलपति और कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही प्रोफेसर संगीता शुक्ला ने कदम मिलाकर चलना होगा जैसी उनकी कालजई रचनाओं का उल्लेख करते हुए अटल जी से प्रेरणा लेने की बात कही तथा उनकी आत्मकथा पढ़ने को प्रोत्साहित किया। प्रोफेसर संगीता शुक्ला ने कहा कि ग्वालियर में जहां उनका जन्म हुआ वह घर अभी भी विद्यमान है। अटल जी स्वभाव से सरल और सहज व्यक्ति थे। विदेश मंत्री अथवा तीन-तीन बार प्रधानमंत्री रहने के बाद भी वह जन सामान्य से पहले जैसा ही ही लगाव और जुड़ाव रखते थे। अटल जी एक साहित्यिक एक कवि एक राजनेता एक पत्रकार के रूप में प्रत्येक क्षेत्र में शिखर को छूने वाले विराट व्यक्तित्व के स्वामी थे। कार्यक्रम से पूर्व इतिहास विभाग के अध्यक्ष एवं साहित्यिक सांस्कृतिक परिषद के समन्वयक प्रोफेसर कृष्णकांत शर्मा ने सभी अतिथियों का स्वागत अभिनंदन किया।
कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रजनन एवं अटल के चित्र के समक्ष अतिथियों द्वारा पुष्पार्चन के साथ हुई। कार्यक्रम का संचालन इस कार्यक्रम के संयोजक इतिहास विभाग के डॉक्टर कुलदीप कुमार त्यागी ने किया। अंत में सभी का आभार साहित्यिक सांस्कृतिक परिषद की अध्यक्ष प्रोफेसर नीलू जैन गुप्ता ने किया। राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। इस अवसर पर प्रोफेसर आराधना,प्रोफेसर ए वी कौर, डॉ योगेश कुमार, डॉक्टर मनीषा त्यागी, डॉ शालिनी, डॉ मुनेश, धर्मेंद्र, प्रज्ञा, रवि शंकर, विक्रांत, विकास, शैलेंद्र ,अंकिता, नितेश, शिवकुमार आदि शोधार्थियों सहित सैकड़ो छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।


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