बिहार चुनाव में युवा
 राजीव त्यागी 
बिहार चुनाव में एक बार फिर महिला मतदाताओं का रुख ही बिहार की अगली सियासी तस्वीर का फैसला करने जा रहा है। वैसे इसमें युवाओं, विशेषकर पहली बार वोटर बने नौजवानों की भी अहम भूमिका रहने जा रही है। चुनाव में महिलाओं और युवाओं के महत्व का अंदाजा दोनों प्रमुख गठबंधनों को है। लिहाजा सत्ताधारी गठबंधन ने महिलाओं को लुभाने की जी-तोड़ कोशिश की है। राज्य में करीब साढ़े तीन करोड़ महिला वोटर हैं।
 मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत राज्य की महिला मतदाताओं के करीब 22 फीसद को दस-दस हजार रुपये की रकम दी जा चुकी है। इस योजना के तहत राज्य की एक करोड़ 21 लाख महिलाओं को इसका फायदा दिया जाना है। पिछले कुछ चुनावों से महिलाओं ने मतदान में पुरुषों के पीछे चलने की अवधारणा को बदला है। वे बढ़-चढ़कर मतदान में हिस्सा ले रही हैं। बिहार में पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान जहां 59.69 प्रतिशत महिला मतदाताओं ने मतदान किया था, वहीं पुरुषों का प्रतिशत महज 54.45 प्रतिशत ही था। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में महिला साक्षरता दर करीब 51 प्रतिशत ही है।


 वर्ष 2010 के विधानसभा चुनावों से ही बिहार में महिलाएं केंद्र में हैं। तब जहां 51.12 प्रतिशत पुरुष मतदाताओं ने अपने अधिकार का इस्तेमाल किया था, वहीं महिलाओं ने इससे कहीं ज्यादा यानी 54.49 प्रतिशत हिस्सेदारी की थी।बिहार में इस बार करीब साढ़े तीन करोड़ महिला मतदाता हैं, जबकि पुरुष मतदाताओं की संख्या 3.92 करोड़ है। बिहार में इस बार 14 लाख ऐसे नए वोटर जुड़े हैं, जो पहली बार वोट डालेंगे।


 विधानसभा वार आंकड़ों के लिहाज से देखें तो हर विधानसभा में पहली बार वोट डालने वालों की संख्या औसतन 5,761 होती है। विधानसभा में जीत-हार का आंकड़ा बेहद नजदीक होता है। जाहिर है कि इन नए मतदाताओं पर भी विधानसभा में जीत-हार निर्भर होगी। यही वजह है कि विपक्षी गठबंधन के मुख्यमंत्री पद के दावेदार तेजस्वी यादव बार-बार युवाओं की बेरोजगारी का मुद्दा उठा रहे हैं। इतना ही नहीं, वे अपनी सरकार बनने की स्थिति में बड़ी संख्या में रोजगार उपलब्ध कराने का दावा भी कर रहे हैं। 

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