मुक्त व्यापार समझौतों की नई अहमियत

- डा. जयंतीलाल भंडारी
निश्चित रूप से अब एफटीए की डगर पर आगे बढ़ते समय यह ध्यान रखा जाना होगा कि एफटीए तभी लाभकारी होते हैं, जब वे सही तरीके से इस्तेमाल में लाए जाएं। चूंकि अब निकट भविष्य में भारत कई देशों के साथ एफटीए पर हस्ताक्षर करेगा, इस परिप्रेक्ष्य में सरकार के द्वारा निर्यातकों और छोटे व्यवसायियों को नए बाजारों के लाभों से संबंधित पर्याप्त जानकारी देकर नए मौकों का फायदा उठाने के लिए जागरूक बनाया जाना होगा। साथ ही सरकारी निकायों के द्वारा गैर शुल्क बाधाओं संबंधी समाधान हेतु उपयुक्त मार्गदर्शन भी दिया जाना होगा। इसके साथ-साथ एफटीए के तहत निर्यात बढ़ाने के लिए उत्पादन की गुणवत्ता सुधारने और कारोबार की सुगमता के लिए अधिक प्रयास किए जाने होंगे…

यकीनन इस समय भारत के मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) से निर्यात और निवेश बढऩे का अभूतपूर्व परिदृश्य उभरकर दिखाई दे रहा है। यह बात महत्वपूर्ण है कि भारत के द्वारा मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान मॉरीशस, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और ऑस्ट्रेलिया के साथ किए गए एफटीए की प्रगति से संबंधित जो नए आंकड़े प्रकाशित हुए हैं, उनके मुताबिक जहां इन देशों के साथ व्यापार तेजी से बढ़ा है, वहीं इन देशों में निर्यात भी बढ़े हैं। हाल ही में 8-9 अक्टूबर को भारत दौरे पर आए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीएर स्टार्मर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ विगत 24 जुलाई को भारत और ब्रिटेन (यूके) के बीच एफटीए के विभिन्न पहलुओं पर महत्वपूर्ण रणनीतिक विचार मंथन किया है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीएर स्टार्मर ने कहा कि भारत और ब्रिटेन के बीच एफटीए से मिलने वाले अवसर बेजोड़ होंगे। भारत के साथ एफटीए आर्थिक वृद्धि का लांचपैड है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत 2028 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। गौरतलब है कि भारत में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एफटीए को मंजूरी दे दी है, अब ब्रिटेन के द्वारा संसद की मंजूरी ली जाएगी। इसी तरह भारत और ओमान के बीच एफटीए को लेकर बातचीत पूरी हो चुकी है और जल्द ही दोनों के बीच एफटीए पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है।
इतना ही नहीं, वर्ष 2025 के अंत तक यूरोपीय यूनियन के साथ एफटीए लागू होने की पूरी संभावना है। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि इस समय भारत तेजी से नए एफटीए की ओर कदम बढ़ाने की रणनीति के साथ आगे बढ़ रहा है। उल्लेखनीय है कि एक अक्टूबर से भारत और चार यूरोपीय देशों आइसलैंड, स्विट्जरलैंड, नॉर्वे और लिकटेंस्टाइन के समूह यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन (एफ्टा) के बीच एफटीए लागू हो गया है। इस व्यापार समझौते पर 10 मार्च 2024 को हस्ताक्षर किए थे, लेकिन प्रक्रिया संबंधी औपचारिकताओं के कारण यह समझौता अब लागू हुआ है। वस्तुत: मुक्त व्यापार समझौता दो या दो से अधिक देशों के बीच एक ऐसी व्यवस्था है जहां वे साझेदार देशों से व्यापार की जाने वाली वस्तुओं पर सीमा शुल्क को खत्म कर देते हैं या कम करने पर सहमत होते हैं। भारत और एफ्टा देशों के बीच लागू हुआ यह व्यापार समझौता यूरोप के एक महत्त्वपूर्ण आर्थिक ब्लॉक के साथ भारत के विदेश व्यापार को नई दिशाएं देगा। इस समझौते के तहत भारत ने एफ्टा देशों की 80-85 प्रतिशत वस्तुओं पर शुल्क शून्य किया है। इसके बदले में भारत को 99 प्रतिशत वस्तुओं पर शुल्क-मुक्त बाजार पहुंच मिलेगी। जहां कृषि, डेयरी, सोया व कोयला सेक्टर को इस व्यापार समझौते से दूर रखा गया है, वहीं प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम से जुड़े सेक्टर के लिए भी भारतीय बाजार को नहीं खोला गया है। यह भी महत्वपूर्ण है कि ग्रीन व विंड एनर्जी, फार्मा, फूड प्रोसेसिंग, केमिकल्स के साथ उच्च गुणवत्ता वाली मशीनरी के क्षेत्र में एफ्टा देश भारत में निवेश करेंगे जिससे इन सेक्टर में हमारा आयात भी कम होगा और भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने में मदद मिलेगी। नि:संदेह भारत के हिसाब से इस व्यापार समझौते का सबसे बड़ा लाभ एफ्टा देशों से मिली निवेश प्रतिबद्धता है। अब यह समझौता लागू होने के बाद आगामी 10 वर्षों के भीतर एफ्टा देशों से भारत में 50 अरब डॉलर का निवेश और अगले 5 वर्षों में अतिरिक्त 50 अरब डॉलर निवेश की उम्मीद है। इससे 15 वर्षों में भारत में 10 लाख प्रत्यक्ष नौकरियों के सृजन की आस है। बहरहाल भारत ने ऐसा पहला समझौता किया है, जिसमें बाजार तक पहुंच निवेश से जुड़ी हुई है। यह भी महत्वपूर्ण है कि इस समझौते में 14 अध्याय हैं।



इनमें वस्तुओं के व्यापार, उत्पत्ति के नियम, शोध एवं नवाचार, बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर), सेवाओं का व्यापार, निवेश प्रोत्साहन और सहयोग, सरकारी खरीद, व्यापार में तकनीकी बाधाएं और व्यापार सुविधा शामिल हैं। यह भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है कि अमेरिका के द्वारा 50 फीसदी टैरिफ लगाए जाने के बाद भारत ने रूस और चीन के साथ आर्थिक-वैश्विक कूटनीति और नए निर्यात बाजारों में आगे बढऩे की जो रणनीति अपनाई, वह कारगर दिखाई दे रही है। इस नीति से जहां ट्रंप के टैरिफ के बीच पिछले अगस्त और सितंबर माह में अमेरिका को छोडक़र अन्य देशों में भारत के निर्यात बढ़े हैं, वहीं पूरी दुनिया आश्चर्य के साथ देख रही है कि कल तक भारत को डेड इकॉनामी बताते हुए भारत पर सबसे ऊंचे टैरिफ लगाकर छठे दौर की व्यापार वार्ता को रोकने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अब अपना तेवर बदलते हुए भारत के साथ व्यापार समझौते को शीघ्र पूरा करने के संकेत दिए हैं। यह भारत की एक ऐसी आर्थिक-कूटनीतिक जीत है, जिससे प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया में भारत का कद बढ़ा दिया है। जिस ट्रंप के सामने बड़े-बड़े वैश्विक नेताओं की बोलती बंद हो जाती है, सार्वजनिक तौर पर ट्रंप को ना कहने के लिए वे हिम्मत नहीं जुटा पाते, ऐसे ट्रंप के सामने प्रधानमंत्री मोदी व्यापार समझौते की वार्ता के तहत अपने करोड़ों किसानों और मछुआरों के हितों के मद्देनजर बिना झुके अपनी शर्तों के साथ अडिग रहे और अब अमेरिका के साथ व्यापार समझौते का अनुकूल परिदृश्य उभरकर दिखाई दे रहा है।

अब छठे दौर की वार्ता तेजी से आगे बढ़ेगी और जल्द ही इसके अनुकूल परिणाम आ जाएंगे। साथ ही 30 नवंबर के बाद भारत पर रूसी तेल खरीद पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ को अमेरिका वापस लेते हुए दिखाई दे सकता है तथा अन्य टैरिफ में भी कमी आ सकती है। निश्चित रूप से अब एफटीए की डगर पर आगे बढ़ते समय यह ध्यान रखा जाना होगा कि एफटीए तभी लाभकारी होते हैं, जब वे सही तरीके से इस्तेमाल में लाए जाएं। चूंकि अब निकट भविष्य में भारत कई देशों के साथ एफटीए पर हस्ताक्षर करेगा, इस परिप्रेक्ष्य में सरकार के द्वारा निर्यातकों और छोटे व्यवसायियों को नए बाजारों के लाभों से संबंधित पर्याप्त जानकारी देकर नए मौकों का फायदा उठाने के लिए जागरूक बनाया जाना होगा। साथ ही सरकारी निकायों के द्वारा गैर शुल्क बाधाओं संबंधी समाधान हेतु उपयुक्त मार्गदर्शन भी दिया जाना होगा। 



इसके साथ-साथ एफटीए के तहत निर्यात बढ़ाने के लिए उत्पादन की गुणवत्ता सुधारने और कारोबार की सुगमता के लिए अधिक प्रयास किए जाने होंगे। उम्मीद करें कि ट्रंप के टैरिफ की चुनौतियों के बीच भारत के तेजी से बढ़ते हुए एफटीए भारत के निर्यात और निवेश के लिए मील का पत्थर साबित होंगे। उम्मीद करें कि अब अमेरिका के अलावा भारत के द्वारा कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड, इजराइल, भारत गल्फ कंट्रीज काउंसिल सहित अन्य प्रमुख देशों के साथ भी एफटीए शीघ्र ही आकार लेते हुए दिखाई देंगे।

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