डॉक्यूमेंट्री में दिखेगी अंग्रेजों के जमाने के जेलर असरानी की झलक 

 कॉमेडियन के निधन से भावुक हुए  मेरठ के प्रसंशक 

मेरठ।  हिंदी सिनेमा के दिग्गज हास्य अभिनेता असरानी का सोमवार को निधन हो गया। अब उनकी आवाज और हंसी को तकनीक के माध्यम से अमर किया जा रहा है। बॉलीवुड में यह पहली बार है जब किसी कलाकार की आवाज और संवादों को AI वॉयस रिक्रिएशन तकनीक से संरक्षित करने की पहल की गई है।

सूत्रों के अनुसार, असरानी के जीवन पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री 'लास्ट लाफ ऑफ असरानी' का निर्माण किया जा रहा है। इसमें उनकी हंसी, संवाद और फिल्म 'शोले' के प्रसिद्ध डायलॉग "हम अंग्रेजों के ज़माने के जेलर हैं" को AI वॉयस मॉडलिंग से पुनर्जीवित किया जाएगा। इस परियोजना को मुंबई स्थित टेक-स्टार्टअप वोकल रील लैब्स द्वारा अंजाम दिया जा रहा है, जो पुराने कलाकारों की आवाजों को डिजिटल लाइब्रेरी में संरक्षित करती है।

2017  में मेरठ के अध्ययन स्कूल में आये थे गोवर्धन असरानी 

असरानी का मेरठ से भी गहरा संबंध रहा है। वर्ष 2017 में, उन्होंने मेरठ के अध्ययन पब्लिक स्कूल में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की थी। वहाँ उन्होंने बच्चों के साथ अपने हास्य संवादों से खूब मनोरंजन किया था। स्कूल के छात्रों ने उनके संवादों की नकल कर उन्हें सम्मानित भी किया था। अब यही स्कूल एक 'AI वॉयस मेमोरियल वॉल' स्थापित करेगा, जहाँ उनकी आवाज और अंदाज को आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रदर्शित किया जाएगा।फिल्म उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि असरानी हिंदी सिनेमा के पहले ऐसे कलाकार होंगे जिनकी 'डिजिटल आवाज' का उपयोग शिक्षा और कलात्मक उद्देश्यों के लिए किया जाएगा।

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