मेरी आत्मा जुड़ी है मेरठ कॉलेज से: डॉ .राजकुमार सांगवान
मेरठ कॉलेज ही मेरा जीवन, यही लूं आखिरी सांस: कवि डॉ हरिओम पंवार
मेरठ। मेरठ कॉलेज के सेमिनार हॉल में पिछले 25 वर्षों में सेवानिवृत हुए प्रोफेसर साहिबान का एक सम्मेलन आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मेरठ कॉलेज के अध्यक्ष डॉ ओम प्रकाश अग्रवाल ने की। उन्होंने अपने सेवानिवृत शिक्षक साथियों का आवाहन किया कि शिक्षक कभी रिटायर्ड नहीं होता, ना ही डॉक्टर कभी रिटायर्ड होता है, सेवानिवृत्ति एक आयु के साथ जुड़ी हुई है और इसके बाद एक नई जिंदगी की शुरुआत करनी होती है। जिस प्रकार से कच्ची मिट्टी से कुम्हार बर्तन बनाते हैं, उसी प्रकार से शिक्षक बच्चों की अच्छाई बुराई समझते हुए उनके भविष्य का निर्माण करते हैं।
कार्यक्रम के शुरुआती भाषण में मेरठ कॉलेज के प्राचार्य डॉ .युद्धवीर सिंह ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य है मेरठ कॉलेज की महान विरासत को सहेज कर रखना। उन्होंने यह भी घोषणा की अगले वर्ष एक नया सेमिनार हॉल निर्मित कर उसी में सारे कार्यक्रम किए जाएंगे, ताकि हमारे बुजुर्गों को जीना ना चढ़ना पड़े। कार्यक्रम में अनेक सांस्कृतिक जैसे गीत नृत्य इत्यादि के कार्यक्रम भी संपन्न हुए। मेरठ कॉलेज की छात्रा साक्षी ने जगजीत सिंह की गजल वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी गाकर सभी का दिल जीत लिया।
मेरठ कॉलेज के प्रबंध तंत्र के मंत्री विवेक कुमार गर्ग ने बताया कि उनके 1 वर्ष के कार्यकाल में उन्होंने कॉलेज की पुरानी विरासत को पाने के लिए प्रयास किया है। खास तौर पर 1 वर्ष के अंदर मेरठ कॉलेज के स्ववित्त पोषित विभाग को एक नए मॉडल के तौर पर प्रस्तुत किया गया है, और इस वर्ष मेरठ कॉलेज के सेल्फ फाइनेंस विभाग में सभी सीटें फुल हो चुकी है।
मेरठ कॉलेज के सेवानिवृत शिक्षक बागपत सांसद माननीय डॉ राजकुमार सांगवान ने कार्यक्रम में भागीदारी की। उन्होंने कहा कि मुझे आज डॉ युद्धवीर सिंह के द्वारा यह अवसर मिला है कि मैं अपने उन गुरुओं से मिल सकूं जिन्होंने मुझे पढ़ाया है और जिनके कारण आज मैं सांसद हूं। मेरठ कॉलेज से मेरी आत्मा जुड़ी है और उन्होंने सभी का आवाहन किया कि मेरठ कॉलेज के सभी शिक्षक संसद भवन, राष्ट्रपति भवन इत्यादि देखने के लिए दिल्ली पधारें। मैं स्वयं उनके साथ रहूंगा।
इस सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय स्तर के कवि डॉ हरिओम पंवार ने भी अपनी कविता पढ़ी। उन्होंने कहा कि मेरे जीवन का 80 परसेंट हिस्सा मेरठ कॉलेज में गुजरा है और मेरी इच्छा है कि मैं आखिरी सांस भी यही लूं। उन्होंने अपनी कविता में अनेक राष्ट्रीय मुद्दे उठाए। इनमें ऑपरेशन सिंदूर, पहलगाम नरसंहार इत्यादि शामिल थे। उन्होंने सामान नागरिक संहिता की भी बात की। उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण के बारे में भी प्रश्न उठाए।
उन्होंने कविता पढ़ी कि ...विश्व गुरु बनने वाले हो, कोई निशानी भी तो दो, शौचालय तो बना दिए हैं, उनमें पानी भी तो दो।
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