देश का राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक पुनर्जागरण
- संजीव ठाकुर
1947 में भारत एवं पाकिस्तान ने एक साथ स्वतंत्रता की प्राप्ति की थी किंतु पाकिस्तान एक मुस्लिम राष्ट्र की अवधारणा धारण कर अलग दिशा में आगे बढ़ता गया जिसके फल स्वरुप आज पाकिस्तान विपन्न और गरीब देश बन गया है। दूसरी तरफ भारत एक लोकतांत्रिक, जनतांत्रिक अवधारणा की दिशा में नई-नई विकास के सोपनो को प्रतिपादित कर आगे बढ़ता गया। भारत वैश्विक स्तर पर सामरिक आर्थिक एवं अन्य विषयों पर काफी हद तक प्रगति प्राप्त कर चुका है।भारत ने आश्चर्यजनक रूप से देश को विकसित मजबूत एवं सशक्त बना दिया है ।
भारतीय परिदृश्य और संदर्भ में भारत में विगत एक दशक में व्यापक तथा आमूल चूल परिवर्तन देखे गये हैं। राजनीतिक परिदृश्य में उत्तरदायित्व आधारित शासन प्रशासन-प्रणाली, सांस्कृतिक विमर्श में सनातनी सांस्कृतिक सभ्यता-गौरव की पुनर्प्राप्ति और आर्थिक नीतियों के संरचनात्मक सुधारों ने देश की दिशा और दशा तय की है। इन नई विचारधारा एवं रणनीति ने भारत को न केवल आंतरिक रूप से सशक्त किया बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी एक निर्णायक शक्ति के रूप में स्थापित किया।
भारतीय राजनीति में पिछले दो दशकों का सबसे बड़ा परिवर्तन रिपोर्ट कार्ड राजनीति का उदय रहा, जिसमें आम जनता और राजनीतिक नेताओं और दलों का मूल्यांकन उनके किए गए कार्यों और परिणामों के आधार पर कसौटी पर कसा जाने लगा है ।
संवैधानिक और नीतिगत स्तर पर कई ऐतिहासिक कदम उठाए गए। 2019 में अनुच्छेद 370 का निरसन और जम्मू-कश्मीर का पुनर्गठन केंद्र की सख्त और मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति तथा विचारधारा का प्रतीक बना। तीन तलाक कानून ने मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम रखा। वहीं नागरिकता संशोधन अधिनियम ने राष्ट्रीयता और शरणार्थी नीति पर नई विचारों की श्रृंखला को जन्म दिया। भारत की परंपरागत लोकतांत्रिक विरासत को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने के लिए नया संसद भवन, ई-संसद और डिजिटलीकरण जैसे महत्वपूर्ण कार्य को शामिल किया गया है। दूसरी तरफ विपक्ष की भूमिका, मीडिया की स्वतंत्रता और चुनावी राजनीति में सोशल मीडिया तथा धनबल के प्रभाव ने लोकतांत्रिक विमर्श को चुनौतीपूर्ण और प्रभावशाली भी बनाया गया है।
नये भारत की संकल्पना और अवधारणा को केवल राजनीति या अर्थव्यवस्था तक सीमित परिसीमित नहीं रखा गया है बल्कि सांस्कृतिक क्षेत्र के व्यापक फलक पर भी इसका गहरा असर और परिणाम परिलक्षित हुए हैं । भारत की महान अर्वाचीन योग और आयुर्वेद जैसी परंपरा को वैश्विक स्तर प्रचारित प्रसारित कर नई अवधारणा तथा पहचान प्रदान की गई है। अयोध्या में राममंदिर निर्माण ने भारतीय परंपरा और धार्मिक-सांस्कृतिक आकांक्षाओं की विशाल अवधारणा को मूर्त रूप दिया गया है। शिक्षा और पाठ्यपुस्तकों में भारतीय आख्यानों और इतिहास को नवीन स्वरूप देने के प्रयास किए गए हैं। हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं को पुष्पित पल्लवित करने के प्रयासों को संपूर्ण प्रोत्साहन दिया गया। साथ ही, सांस्कृतिक कूटनीति नवीन अवधारणा के माध्यम से भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी पहचान और अधिक सुदृढ़ रूप से विस्तारित की है। हालाँकि, इस सांस्कृतिक पुनर्जागरण के साथ अनेक कठिन एवं दुष्कर चुनौतियाँ भी रहीं हैं। बहुलतावाद और अल्पसंख्यक अधिकारों पर उठते सवाल तथा परंपरा बनाम आधुनिकता की खींचतान समाज में गूढ विचार विमर्श का विषय बनी रही।
आर्थिक पुनर्जागरण के संदर्भ में यही कहा जा सकता है कि भारत की अर्थव्यवस्था ने इस दशक में उल्लेखनीय और अभूतपूर्व प्रगति प्राप्त की है । मेक इन इंडिया ने विनिर्माण और रक्षा उत्पादन को बढ़ावा दिया। जीएसटी (2017) ने कर संरचना को एकीकृत और पारदर्शी बनाया। जीएसटी को 2025 में 22 सितंबर से नवीन संशोधन कर एकदम सरल एवं स्पष्ट कर काफी हद तक सस्ता करके आम जन को बड़ी राहत पहुंचाई है। डिजिटल इंडिया, जनधन योजना और UPI ने वित्तीय समावेशन और नकदी रहित लेन-देन की दिशा में क्रांतिकारी बदलाव लाए।
स्टार्टअप इंडिया ने उद्यमिता और नवाचार को प्रोत्साहित किया। इसके परिणामस्वरूप भारत आज विश्व की पाँचवीं सबसे बड़ी सशक्त अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है। विदेशी निवेश वृद्धि, रेलवे और सड़क निर्माण में गति तथा बिजली और डिजिटल नेटवर्क का विस्तार इस आर्थिक पुनर्जागरण के प्रमुख संकेतक रहे।इसके बावजूद बेरोजगारी की समस्या, ग्रामीण–शहरी असमानता और आय-विभाजन जैसी बड़ी और गंभीर चुनौतियाँ भारत देश के आर्थिक परिदृश्य को संतुलित होने से रोकती रही हैं। कृषि सुधार अभी तक आधे अधूरे रह गए और हरियाणा पंजाब तथा अन्य प्रदेशों में किसान आंदोलनों ने यह यह साफ तथा स्पष्ट संकेत दिया कि विकास की अवधारणा सबके लिए समान रूप से सुलभ नहीं है।
अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य-
भारत ने पिछले दशक में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी नई पहचान बनाई ग्लोबल साउथ के नेता के रूप में भारत की भूमिका स्पष्ट हुई। 2023 में आयोजित g20 सम्मेलनों में भारत ने वैश्विक मुद्दों पर संतुलित और निर्णायक नेतृत्व प्रस्तुत किया। चीन में हुए शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में 10 महत्वपूर्ण देशों के साथ 27 देशों ने भारत चीन और रूस पर अपना विश्वास जाहिर कर यूरोपीय शक्तियों एवं मनमानी का खुला विरोध किया है, जिसमें भारत पर अमेरिका द्वारा 50% लगाए गए टैरिफ का भी खुला विरोध हुआ है। रूस, चीन और पड़ोसी देशों के साथ संतुलित कूटनीतिक संबंधों ने भारत की स्थिति को और सशक्त मजबूत किया।पिछले दस वर्षों का भारत राजनीतिक दृढ़ता, सांस्कृतिक आत्मगौरव और आर्थिक नवाचारों से परिपूर्ण रहा है। यह अवधि भारतीय लोकतंत्र को नई परिभाषा देने, सांस्कृतिक मूल्यों को पुनर्जीवित करने और आर्थिक संरचना को मज़बूत करने में महत्वपूर्ण रही।
हालाँकि असमानता, बेरोजगारी और राजनीतिक ध्रुवीकरण जैसी विकराल चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं, फिर भी यह कहना उचित होगा कि यह दशक भारत के लिए राजनीतिक-सांस्कृतिक-आर्थिक पुनर्जागरण का समय रहा है, जिसने भारत को वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था में निर्णायक शक्ति बना दिया है। भारत की सनातनी सांस्कृतिक विरासत, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और भारत की सामरिक शक्ति में इजाफा होकर पिछले एक दशक में भारतीय जनमानस की एकजुटता एवं देश के नेतृत्व की कार्य कुशलता के परिणाम स्वरूप भारत का सम्मान और कद वैश्विक परिदृश्य में काफी हद तक ऊंचा हुआ है।
(चिंतक, स्तंभकार, रायपुर, छत्तीसगढ़)
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