सुभारती लॉ कॉलेज में नए सत्र का आगाज़, सात दिवसीय विन्यास कार्यक्रम आयोजित
आज के विद्यार्थी ही कल देश के भविष्य के कर्णधार और न्यायपालिका के आधार स्तंभ हैं -कुलपति प्रोफे.(डॉ.) पी.के.शर्मा
मेरठ। स्वामी विवेकानन्द सुभारती विवि के सरदार पटेल सुभारती इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ में नए बैच 2025 के विधि विद्यार्थियों के लिए सात दिवसीय विन्यास कार्यक्रम (ओरिएंटेशन प्रोग्राम) का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य नव-प्रवेशित छात्र-छात्राओं को विश्वविद्यालय के विभिन्न प्राधिकारियों, कॉलेज की परंपराओं और सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं से परिचित कराना तथा उनके मन से रैगिंग जैसी कुप्रथा का डर निकालना था। कार्यक्रम का आयोजन सुभारती विधि महाविद्यालय के निदेशक राजेश चंद्रा (पूर्व न्यायमूर्ति, इलाहाबाद उच्च न्यायालय) के मार्गदर्शन और संकायाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) वैभव गोयल भारतीय के संरक्षण में किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ कुलपति प्रो. (डॉ.) प्रमोद कुमार शर्मा, निदेशक जस्टिस (सेवानिवृत्त) राजेश चंद्रा, छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. (डॉ.) मुनीश सी. रेड्डी, वरिष्ठ अनुशासक डॉ. निशा सिंह, संकायाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) वैभव गोयल भारतीय और डॉ. प्रेम चंद्र द्वारा माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। डॉ. सारिका त्यागी ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए उन्हें पौधे भेंट किए।
अतिथियों ने दिया सफलता का मंत्र
विधि संस्थान के संकायाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) वैभव गोयल भारतीय ने विद्यार्थियों का स्वागत करते हुए कहा कि विधि का क्षेत्र अत्यधिक व्यापक है और इसमें सफलता पाने के लिए सतत एवं कठिन प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि यह समय सीखने, समझने और अपनी क्षमताओं को निखारने का है, क्योंकि कानून के छात्र ही एक ऐसे पेशे का भविष्य हैं जो सामाजिक न्याय और समानता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
संस्थान के निदेशक जस्टिस राजेश चंद्रा ने विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि विधि के क्षेत्र में निरंतर अध्ययन से ही सफलता प्राप्त की जा सकती है, जिससे वे अपने और अपने माता-पिता के सपनों को पूरा कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि कानूनी शिक्षा का महत्व सिर्फ अदालतों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह हमें अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक कर एक मजबूत लोकतांत्रिक समाज का निर्माण करने में मदद करती है।
अनुशासन और व्यावसायिकता पर कुलपति का जोर
कुलपति प्रो. (डॉ.) प्रमोद कुमार शर्मा ने अपने संबोधन में विद्यार्थियों से प्रोफेशनलिज्म एवं कॉर्पोरेट प्रोफेशनलिज्म पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य केवल अकादमिक ज्ञान प्रदान करना नहीं, बल्कि एक ऐसे समाज का निर्माण करना है जो ज्ञान, कौशल और मूल्यों से युक्त हो। उन्होंने विद्यार्थियों से अनुशासित रहने और विश्वविद्यालय के नियमों का पालन करने का आग्रह करते हुए कहा, "आप सभी इस देश के भविष्य के कर्णधार और न्यायपालिका के आधार स्तंभ हैं।"
रैगिंग और अनुशासन पर दी गई विस्तृत जानकारी
छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ. मनीष रेड्डी ने बताया कि छात्र कल्याण परिषद विद्यार्थियों के उत्थान के लिए लगातार कार्य करती है। वरिष्ठ अनुशासक डॉ. निशा सिंह ने विद्यार्थियों को अनुशासन और यूनिफॉर्म कोड का पालन करने की आवश्यकता पर बल दिया। प्रॉक्टर आशुतोष देशवाल तथा एंटी-रैगिंग स्क्वाड के हर्षित ने रैगिंग के दुष्परिणामों और इसके विरुद्ध होने वाली अनुशासनात्मक कार्रवाइयों के विषय में विस्तार से जानकारी दी। डॉ. प्रेमचंद्र ने परीक्षा प्रणाली और विभिन्न समितियों के बारे में बताया। एना सिसोदिया ने शिक्षा, सेवा, संस्कार और राष्ट्रीयता के माध्यम से विन्यास कार्यक्रम के महत्व पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम के अंत में अफगान अलमास ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर प्रो. (डॉ.) रीना बिश्नोई, डॉ. सारिका त्यागी, डॉ. प्रेमचंद्र, सोनल जैन, अtरशद आलम, शिवानी, अनुराग चौधरी, शालिनी गोयल, डॉ. दिनेश, आशीष सिरोही सहित बड़ी संख्या में शिक्षकगण एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
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