ठगी करने वाले दो ठग हवालात में

फर्जी डी-फार्मा चलाकर छात्रों से करते थे ठगी 

 मेरठ। शिक्षा के नाम पर ठगी का बड़ा खेल आखिरकार पुलिस ने उजागर कर दिया। पल्लवपुरम पुलिस ने फर्जी डी-फार्मा कॉलेज चलाकर छात्रों से लाखों रुपये ऐंठने वाले दो आरोपितों को डेढ़ साल बाद दबोच लिया। खास बात यह रही कि दोनों शनिवार को समाधान दिवस में किसी की सिफारिश करने थाने पहुंचे थे। जहां उनकी करतूत उजागर हो गई। देर शाम दोनों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया।

इंस्पेक्टर रमेश चंद्र शर्मा ने बताया कि पल्लवपुरम निवासी संजीव कुमार ने खिर्वा गांव के पास दो-तीन कमरों में कॉलेज खोल रखा था। आरोप है कि संजीव ने कागजों में कॉलेज की फर्जी मान्यता ले रखी थी। वर्ष 2021 में बड़ौत निवासी उर्मिला ने अपने बेटे आर्यन और रिश्तेदार रजत का डी-फार्मा डिप्लोमा कोर्स में दाखिला कराया था। दाखिले के नाम पर 1.80 लाख रुपये वसूले गए। मगर कॉलेज में न तो पढ़ाई हुई और न कोई स्टाफ मौजूद था।

ठगी की भनक लगने पर पीड़िता ने तत्कालीन एसएसपी मेरठ से शिकायत की थी। जांच एसपी सिटी को सौंपी गई और पूरा प्रकरण फर्जी पाया गया। इससे पहले भी 2020 में पूर्व परियोजना निदेशक ने इसी तरह के आरोप लगाए थे। उर्मिला की शिकायत पर 23 मार्च 2024 को पल्लवपुरम थाने में संजीव कुमार निवासी पल्लवपुरम फेस एक और योगेश कुमार निवासी कृष्णा नगर के खिलाफ केस दर्ज हुआ। लेकिन जांच अधिकारी की ढिलाई के कारण मामला लंबित पड़ा रहा।

पिछले महीने ही एसएसपी ने जांच इंस्पेक्टर रमेश चंद्र शर्मा को सौंपी। तभी से पुलिस आरोपितों की तलाश में जुटी थी। शनिवार को दोनों किसी की पैरवी करने थाने पहुंचे, जहां पूछताछ में मामला खुल गया। पुलिस ने मौके पर ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

पल्लवपुरम थाना प्रभारी रमेश चंद शर्मा का कहना है कि पुलिस की यह कार्रवाई उन फर्जी संस्थानों पर बड़ा वार है, जो छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर मोटी कमाई कर रहे हैं।

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