इलमा अज़ीम
जीएसटी दरों में किए सुधारों का असर त्योहारों की खरीदारी पर दिखाई देने के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं। इस बार जीएसटी कटौती से त्योहारी सीजन के तहत नवरात्रि, दशहरा, धनतेरस और दिवाली पर कुल खर्च 5.2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। ऐसी नई मांग बढ़ने के साथ ही जीएसटी सुधार से देश में तेजी से आत्मनिर्भरता की नीति और वोकल फॉर लोकल के मंत्र आगे बढ़ेंगे।
इससे स्थानीय और घरेलू बाजार मजबूत होंगे। जीएसटी सुधार के तहत कुछ और बातों पर ध्यान दिया जाना होगा। पेट्रोल, डीजल को भी जीएसटी व्यवस्था में शामिल करने की तैयारी करनी होगी। जब पेट्रोल-डीज़ल जीएसटी प्रणाली में ले लिये जाएंगे, तो इनके उपभोक्ताओं को तो लाभ होगा ही, साथ ही इनका उपयोग करने वाली प्रत्येक कंपनी को भी फायदा होगा। वे इन उत्पादों पर दिए गए कर को अपने अंतिम कर भुगतान के विरुद्ध समायोजित कर लाभ ले सकेंगी।
अब जीएसटी कर मूल्यांकन प्रणाली को व्यवस्थित करना भी आवश्यक है। जिस प्रकार इनकम टैक्स मूल्यांकन प्रणाली ऑनलाइन हो चुकी है और इसमें आम तौर पर मानव हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती, वैसा ही अब जीएसटी प्रणाली को पूरी तरह ऑनलाइन और फेसलेस बनाने के लिए आगे बढ़ा जाना होगा। यह भी महत्वपूर्ण है कि लोगों के जीवन को आसान बनाने व आर्थिक मजबूती के लिए दो स्लैब वाले जीएसटी ढांचे और एक अप्रैल, 2026 से लागू होने वाली इनकम टैक्स व्यवस्था को सरल बनाने के बाद अब सरकार को आगामी पीढ़ी के सुधार एजेंडा पर तेजी से आगे बढ़ना होगा। कृषि, बैंकिंग, श्रम, डिजिटलीकरण और वित्तीय क्षेत्र में सुधारों की डगर पर आगे बढ़ना है।
डिजिटलीकरण से वित्तीय समावेशन में मदद बढ़ानी होगी। घरेलू बाजार को और मजबूत बनाने के मद्देनजर लॉजिस्टिक लागत घटाने के लिए नई लॉजिस्टिक नीति के अनुरूप तेजी लानी होगी। इनके साथ-साथ विनिवेश पर नए सिरे से जोर देने की आवश्यकता है।
No comments:
Post a Comment