ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी में छात्रा की मौत
रैगिंग रोकने पर हत्या का आरोप, परिवार ने कहा- आत्महत्या नहीं
नैनीताल/लखनऊ। उत्तराखंड की ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी में बीसीए द्वितीय वर्ष की छात्रा वासवी तोमर की रहस्यमयी मौत ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। लखनऊ के मड़ियांव की रहने वाली 18 वर्षीय छात्रा वासवी बुधवार शाम अपने हॉस्टल के कमरे में फंदे से लटकी पाई गई। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इसे आत्महत्या बताया, लेकिन परिजनों का आरोप है कि यह आत्महत्या नहीं बल्कि रैगिंग का विरोध करने पर की गई सुनियोजित हत्या है।
वासवी की मां बीनू सिंह, जो स्वयं एक शिक्षिका हैं, का कहना है कि उनकी बेटी बेहद बहादुर थी और आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठा सकती। उन्होंने बताया कि मंगलवार रात 8 बजे बेटी से फोन पर बात हुई थी। वासवी ने बताया था कि उसकी रूममेट, जो नर्सिंग की पहली वर्ष की छात्रा है, की कुछ सीनियर छात्राएं रैगिंग कर रही थीं। जब वासवी ने इसका विरोध किया, तो उसे धमकी दी गई और एक सीनियर छात्रा उसके कमरे में आकर उससे बहस भी करने लगी।
बीनू सिंह ने कहा कि बेटी ने पूरे मामले का वीडियो भी बनाया और उन्हें भेजा, जिसमें साफ दिख रहा है कि एक सीनियर छात्रा हॉस्टल के कमरे में आकर वासवी से उलझ रही है। इसके बाद बुधवार को पूरे दिन वासवी से संपर्क नहीं हो सका और शाम को लगभग 5 बजे यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से खबर दी गई कि वासवी ने आत्महत्या कर ली है।
पोस्टमॉर्टम में गला घोंटने की पुष्टि का दावा
वासवी के भाई आयुष सिंह का कहना है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में गला दबाकर मारने की पुष्टि हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि यूनिवर्सिटी प्रशासन हत्या को आत्महत्या बताकर मामले को दबाने की कोशिश कर रहा है। “अगर वासवी ने सुसाइड नोट लिखा था, तो अब तक हमें क्यों नहीं दिखाया गया?” – आयुष सिंह ने सवाल उठाया।
वासवी के चाचा अनुज सिंह ने कहा कि 15 दिन पहले ही वह यूनिवर्सिटी गई थी और 7 अगस्त को रक्षाबंधन पर घर आने वाली थी। उन्होंने कहा, “अब उसका शव आ रहा है, और उसका भाई आयुष अब किससे राखी बंधवाएगा?” यह कहते हुए उन्होंने यूनिवर्सिटी प्रशासन पर साजिश रचने और दोषियों को बचाने का आरोप लगाया।
‘रैगिंग रोकने की सजा मिली’
बीनू सिंह ने बताया कि वासवी ने एक जूनियर छात्रा को रैगिंग से बचाया और सीनियर्स का विरोध किया। उसने पूरी घटना की जानकारी हॉस्टल की वार्डन को भी दी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा, “मेरी बेटी को न्याय चाहिए। उसने किसी और की बेटी को बचाया और खुद हमेशा के लिए चली गई। अगर दोषियों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो कौन मां-बाप अपने बच्चों को बाहर पढ़ने भेजेगा?”
‘हॉस्टल की छात्राओं को चुप कराया गया’
परिजनों का आरोप है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने हॉस्टल की छात्राओं को वासवी के परिवार से बात करने से मना कर दिया है। यहां तक कि उन्हें धमकाया भी जा रहा है। चाचा अनुज सिंह ने कहा, “यूनिवर्सिटी प्रशासन हत्या को आत्महत्या का रूप दे रहा है, ताकि बदनामी न हो। लेकिन हम लड़ाई लड़ेंगे जब तक हमारी भतीजी को न्याय नहीं मिलता।”
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