भारत की समृद्ध विरासत है हथकरघा"-डॉ लक्ष्मीकांत वाजपेई
हथकरघा के क्षेत्र में में 70% में बुनकर महिलाएं हैं-प्रोफेसर संगीता शुक्ला कुलपति
मेरठ। भारत सरकार वस्त्र मंत्रालय, विकास आयुक्त हथकरघा कार्यालय के दिशा निर्देशन में "11वां राष्ट्रीय हथकरघा दिवस" के अवसर पर मनाए जाने वाले कार्यक्रमों का शुभारंभ "हथकरघा कार्यशाला एवं हथकरघा प्रदर्शनी" से हुआ।
बुनकर सेवा केंद्र मेरठ एवं चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित हथकरघा समारोह का शुभारंभ बतौर माननीय मुख्य अतिथि, माननीय डॉ लक्ष्मीकांत वाजपेई जी एवं प्रोफेसर संगीता शुक्ला माननीय कुलपति ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया, उन्होंने कहा कि हथकरघा हमारी समृद्ध विरासत है और विरासत को समृद्ध करने और आगे बढ़ने का कार्य माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में समस्त भारत में किया जा रहा है अनेक प्रकार की सरकारी योजनाएं बुनकरों तथा हथकरघा कारीगरों की आर्थिक स्थिति को सुधारने और उनको प्रोत्साहित करने की दिशा में चलाई गई है। युवाओं को भी हथकरघा के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए हर संभव सहयोग और सहायता दी जा रही है युवाओं को अपनी विरासत और परंपरा को आगे बढ़ाने में योगदान देना चाहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षा प्रोफेसर संगीता शुक्ला जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि हथकरघा का क्षेत्र हमारे देश की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है और हमारे देश की ग्रामीण और अर्ध ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्रोत है यह एक ऐसा क्षेत्र भी है जो महिला सशक्तिकरण को प्रत्यक्ष रूप से संबोधित करता है क्योंकि सभी बुनकरों और संबंध श्रमिकों में 70% से अधिक महिलाएं हैं। श्री तपन शर्मा, उपनिदेशक बुनकर सेवा केंद्र ने 11वें राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के अंतर्गत आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि सभी आयोजन पूर्णतया हथकरघा और बुनकरों को प्रोत्साहित करने की दिशा में आयोजित किए जाएंगे जो गाजियाबाद मेरठ बड़ौत आदि जिलों में क्रमवार विभिन्न जिलो में आयोजित किए जाएंगे।
हमारा उद्देश्य जनसमूह को पुनः हाथ से बने वस्त्रों के प्रयोग के लिए प्रोत्साहित करना है जो कि बुनकरों कि आर्थिक स्थिति को समृद्ध करने के साथ-साथ पर्यावरण को भी संरक्षित करेगा। इस अवसर पर बतौर आति विशिष्ट अतिथि प्रतिकुलपति -प्रोफेसर मृदुल कुमार गुप्ता, चीफ प्रॉक्टर -प्रोफेसर बीरपाल सिंह एवं डॉ मधु बाजपेई ने अपने उद्बोधन में हथकरघा के विस्तृत क्षेत्र, उनके डिजाइन, तथा उनकी वैल्यू एडिशन, एवं हथकरघा तकनीक को में नवाचारों की महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की। कार्यक्रम का आयोजन ललित कला विभाग द्वारा किया गया। विभाग की समन्वयक प्रोफेसर अलका तिवारी ने बताया की माननीय कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला जी के प्रोत्साहन और दिशा निर्देशन में बुनकर सेवा केंद्र मेरठ एवं ललित कला विभाग चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय द्वारा हथकरघा क्षेत्र में विभिन्न योजनाओं पर मिलकर काम किया जाएगा। इस दिशा में दोनों संस्थान समझौता ज्ञापन करने जा रहा है। बुनकर सेवा केंद्र के प्रशिक्षकों द्वारा महिलाओं व विद्यार्थियों को ब्लॉक प्रिंटिंग तथा टाई एंड डाई का प्रशिक्षण भी प्रदान किया। कार्यक्रम की सफलतापूर्वक आयोजन में डॉ पूर्णिमा वशिष्ठ, डॉशालिनी धामा, दीपांजलि,डॉ रीता सिंह का विशेष सहयोग रहा। इस अवसर पर विद्यार्थी, शिक्षक तथा बुनकर सेवा केंद्र कि कर्मचारियों में अधिकारी गण उपस्थित करें।
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