निजीकरण के विरोध में मेरठ में  प्रदर्शन जारी 

 उड़ीसा की दी दलील, बोले यहां की विफलता से सबक ले सरकार

 मेरठ। उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के खिलाफ कर्मचारियों का आंदोलन बुधवार को भी जारी रहा। मेरठ सहित पूरे प्रदेश में बिजली कर्मचारियों ने आंदोलन का बिगुल फूंक रखा है।

 उत्तर प्रदेश विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि उड़ीसा में निजीकरण के प्रयोग के दोबारा विफल हो जाने के बाद उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के फैसले को तुरंत वापस लिया जाए। उधर  निजीकरण के विरोध में बुधवार को लगातार 231वें दिन मेरठ सहित प्रदेश के सभी जिलों और परियोजनाओं पर विरोध सभाओं का क्रम जारी रहा। आंदोलनकारियों ने प्रदेश सरकार से कहा कि वह निजीकरण का फैसला प्रदेश की गरीब जनता पर न थोपें। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि उड़ीसा विद्युत नियामक आयोग ने स्वतः संज्ञान लेते हुए टाटा पावर की चारों कंपनियों को उनकी उपभोक्ता सेवाओं के प्रति विफलता को देखते हुए पिछले दिनों नोटिस जारी किया था लेकिन टाटा पावर की चारों कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विद्युत नियामक आयोग को नोटिस का कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। आंदोलनकारियों का कहना है कि जब उड़ीसा में यह प्रयोग सफल नहीं हुआ तो उत्तर प्रदेश में भी सफल नहीं हो सकता।संघर्ष समिति ने कहा कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का भौगोलिक क्षेत्र पूरे उड़ीसा से कहीं अधिक बड़ा है। जो प्रयोग उड़ीसा में पूरी तरह विफल रहा जहां कृषि क्षेत्र मात्र 4 प्रतिशत है तो यह प्रयोग उत्तर प्रदेश के 42 जनपदों में कैसे सफल हो पाएगा। साकेत स्थित ऊर्जा भवन पर आयोजित इस प्रदर्शन में आंदोलनकारियों ने उम्मीद जताई कि उड़ीसा के मामले में उड़ीसा विद्युत नियामक आयोग के फैसले को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार निजीकरण का फैसला निरस्त करने का फैसला लेगी।


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