सीसीएसयू ने स्वदेशी शोध संस्थान सहित नार्वे एवं देश अग्रणी संस्थानों के साथ किए समझाौता
मेरठ। चौधरी चरण सिंह विवि ने वैश्विक शैक्षणिक सहयोग और शोध गतिविधियों को नई दिशा देने की दिशा में एक अहम पहल करते हुए अप्रैल 2025 में बहुपक्षीय Flexible Memorandum of Understanding (Flexi MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं।
यह समझौता स्वदेशी शोध संस्थान (दिल्ली), यूनिवर्सिटी ऑफ एजडर (नॉर्वे), इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय (अमरकंटक, म.प्र.) और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (नई दिल्ली) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ संपन्न हुआ है।यह ऐतिहासिक समझौता नई दिल्ली स्थित आईसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) में आयोजित "International Conference on VISION 2047 : Prosperous & Great Bharat" के अवसर पर किया गया।
तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन स्वदेशी शोध संस्थान द्वारा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय और ICAR के सहयोग से आयोजित किया गया, जिसमें देश के विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित वक्ताओं ने भाग लिया।इस समझौते का मुख्य उद्देश्य राष्ट्र और विभिन्न क्षेत्रों के बीच बहुआयामी सहयोग को प्रोत्साहित करना है, जिसमें भारतीय शोध को वैश्विक मंच से जोड़ना, विकेंद्रीकृत आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देना, रणनीतिक साझेदारियों का निर्माण, और राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संगोष्ठियों और कार्यशालाओं का आयोजन प्रमुख रूप से शामिल हैं।
समझौता विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला के कुशल नेतृत्व में संपन्न हुआ। प्रोफेसर शुक्ला ने कहा, “यह MoU भारत की परंपरागत ज्ञान प्रणाली को वैश्विक विमर्श से जोड़ने की दिशा में एक मील का पत्थर है। सीसीएसयू नवाचार, शोध और राष्ट्र निर्माण के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है।”
इस दौरान विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रोफेसर मृदुल कुमार गुप्ता एवं कुलसचिव श्री धीरेंद्र कुमार वर्मा भी विशेष रूप से उपस्थित रहे। दोनों ने इस अवसर को विश्वविद्यालय के लिए एक ऐतिहासिक कदम बताया । प्रोफेसर गुप्ता ने कहा, “चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय अब शोध एवं नवाचार के क्षेत्र में अपनी अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति दर्ज कराने की दिशा में सार्थक कदम उठा रहा है। यह पहल विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं और समाज के लिए नए अवसरों के द्वार खोलेगी।”
इस अवसर पर सीसीएसयू के अनुसंधान एवं विकास निदेशक प्रोफेसर बीरपाल सिंह ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “यह बहुपक्षीय समझौता सीसीएसयू के शोधार्थियों और शिक्षकों के लिए वैश्विक स्तर पर कार्य करने का मंच उपलब्ध कराएगा और विश्वविद्यालय के शोध कार्यों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाएगा।”यह सहयोग वैदिक प्रेरणा “अजय्यं च विश्वस्य देशे शक्तितम, सुशीलं जगद्येन नमं भवेत्” के अनुरूप है, जो वैश्विक सम्मान के साथ शक्ति, चरित्र और ज्ञान के आदर्श को स्थापित करता है।
इस बहुपक्षीय पहल के माध्यम से सीसीएसयू ने एक बार फिर यह साबित कर रहा है कि वह शिक्षा और शोध के वैश्विक मानकों की दिशा में तेजी से अग्रसर है।
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