सुभारती हॉस्पिटल ने किया बेहद जटिल और जानलेवा कैंसर का जड़ से ख़ात्मा 

 कैंसर पीड़ित 65 वर्षीय महिला को दो बार मिला नया जीवन

 महिला मरीज के परिवार ने खो दी थी उम्मीद, सुभारती हॉस्पिटल के विशेषज्ञों ने बचाई जान

मेरठ। कैंसर से जूझ रही एक महिला मरीज को सुभारती हॉस्पिटल के विशेषज्ञों ने जटिल ऑपरेशन और थेरेपी के माध्यम से जीवनदान दिया है। यह मामला एक 65 वर्षीय महिला मरीज का है, जिसे वर्ष 2022 में अन्य अस्पतालों से जवाब दे दिया गया था और परिवार को सलाह दी गई थी कि वे घर पर ही उनकी देखभाल करें। डॉक्टरों ने कहा था कि मरीज मात्र छह महीने तक ही जीवित रह पाएंगी, क्योंकि वह ग्रेड 4 स्टेज 4 ग्लियोब्लास्टोमा मल्टीफॉर्मे (जीबीएम) नामक आक्रामक ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित थीं।

स्थानीय होने के नाते, परिवार को पता चला कि सुभारती हॉस्पिटल में कैंसर के उपचार के लिए विश्व-स्तरीय तकनीक और अनुभवी डॉक्टरों की टीम उपलब्ध है। इसके बाद, परिवार ने सुभारती कैंसर इंस्टिट्यूट में परामर्श लिया। मरीज का इलाज इससे पहले कई बड़े अस्पतालों में हो चुका था, जहाँ डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए थे। लेकिन सुभारती हॉस्पिटल के विशेषज्ञों ने इस चुनौती को स्वीकार किया और अंततः सफलता हासिल की। इस उपलब्धि में प्रमुख रूप से डॉ. अरुण कुमार वर्मा सहित अन्य विशेषज्ञों की टीम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सुभारती हॉस्पिटल में ऑंकोलॉजी डिपार्मेंट के हेड डॉक्टर अरुण कुमार वर्मा ने बताया कि जब मरीज हमारे पास आई तो हमने मरीज़ को एक साधारण कैप्सूल कीमोथेरेपी से इलाज देना शुरू किया। इस कीमोथेरेपी में मरीज़ को सिर्फ महीने में 5 दिन दवा लेनी होती थी।  कीमोथेरेपी ने अच्छा असर किया और वह ठीक होने लगी। शुरू में इलाज का असर बहुत अच्छा रहा। लेकिन 7-8 महीने बाद कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स आने लगे। फिर हमने दवा की खुराक थोड़ी कम की और इलाज जारी रखा। हमने 18 महीने तक कीमोथेरेपी दी। लगभग  2 साल तक बीमारी ठीक रही और  एक अच्छी चलती-फिरती जिंदगी मरीज ने जिया।कीमोथेरेपी बंद होने के 5-6 महीने बाद ट्यूमर दिमाग के दूसरे हिस्से में फिर से दोबारा उभर आया। उसकी वजह थी कि, उसके एक तरफ़ के शरीर में लकवा (हेमिपेरेसिस) हो गया। वह व्हीलचेयर तक सीमित हो गई, सिरदर्द भी बहुत तेज़ होने लगा। मरीज़ बेड पर पड़ गई, कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रही थी, खाना-पीना तक नहीं कर पा रही थी। अब मरीज के परिवार वाले सोचने लगे कि आगे क्या किया जाए। क्या किसी और बड़े अस्पताल में दिखाया जाए? परिवार ने दूसरी और तीसरी राय लेने के लिए दिल्ली के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में परामर्श लिया। वहाँ के डॉक्टर भी हैरान थे कि मरीज इतने लंबे समय तक जीवित कैसे रही! लेकिन एक बार फिर, उन्हें यही बताया गया कि मरीज की ज़िंदगी अब तीन महीने से अधिक नहीं है।

डॉक्टर वर्मा ने बताया कि दूसरी बार भी ट्यूमर नियंत्रण में आ गया, और मरीज अब भी उपचार का सकारात्मक असर दिखा रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए, कीमोथेरेपी के कैप्सूल को जारी रखने की सलाह दी गई है। अब मरीज के परिवारवालों में भी एक नई आशा जगी है । फिलहाल मरीज ठीक हो रही है, उसे दूसरी बार भी जीवन दान मिला है और कैंसर की जंग को दोबारा जीतने पर हम उसका यह दिन दूसरे जन्मदिन के तौर पर मना रहे हैं।

डॉ.कृष्णा मूर्ति, मेडिकल सुपरिटेंडेंट, सुभारती हॉस्पिटल ने कहा कि "कैंसर का प्रभावी उपचार सटीक निदान और उन्नत चिकित्सा सुविधाओं पर निर्भर करता है। सुभारती हॉस्पिटल में एनएबीएल-मान्यता प्राप्त पैथोलॉजी लैब, डिजिटल पीईटी स्कैन, और उच्च स्तरीय एमआरआई व सीटी स्कैन जैसी अत्याधुनिक तकनीकें उपलब्ध हैं। हम कीमोथेरेपी, सर्जरी और उन्नत रेडिएशन थेरेपी जैसी सभी सुविधाएँ एक ही छत के नीचे उपलब्ध कराते हैं, जिससे मरीजों को अलग-अलग अस्पतालों के चक्कर नहीं लगाने पड़ते। हमारा रेडियोथेरेपी सेटअप अंतरराष्ट्रीय स्तर का है। हमारा लक्ष्य अत्याधुनिक तकनीक और विशेषज्ञ देखभाल के माध्यम से विश्वस्तरीय कैंसर उपचार को किफायती दरों पर उपलब्ध कराना है।"


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