मन्दिर केवल पूजा के स्थान नहीं ये समाज की जागृति के भी केंद्र हैं-अरविंद भाई ओझा 

 मेरठ।   सूरज कुंड स्थित नागाबाबा ट्रस्ट मेरठ में चल रही चतुर्थ दिवस हनुमत कथा में आज हमुमन जी के जीवन लीला पर प्रकाश डालते हुए कथा व्यास अरविन्द भाई ओझा ने कहा श्री हमारे मन्दिर केवल पूजा करने का स्थान नही है | हमारे मन्दिर  समाज सेवा व समाज की जाग्रति के केन्द्र बनने चाहिए  हनुमान जी के मंदिर के साथ अगर अखाडा नही है तो मंदिर अभी अधुरा है | 

    आगे बोलते हुए उन्होंने कहा कि हम गृह्रस्थ लोगो की जिम्मेदारी है की गुरु और पुरोहित के जीवन यापन की व्यवस्था करे जिससे वो अपने शास्त्र व् राष्ट्र को बचाने के लिए युवाओं को संस्कारित कर सके ।

      हनुमानजी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए महाराज जी ने कहा कि माता सीता  का जन्म प्रकृति की कोख से और हनुमान का जन्म प्रकृति की गोद में हुआ है इसलिए सीता जी  स्वयं प्रकृति हैं और हनुमानउंनके रक्षक हैं हनुमानजी हमें सन्देश देते कि जो समस्त संसार की अर्थात पशु पक्षि जीव जंतु कीट पतंगे पेड़ पौधे सब में परमात्मा का वास मानकर उनकी सेवा करता है भगवान ऐसे सेवक पर प्रेम और कृपा की वर्षा करते हैं।

गुरु की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि जो हमें भगवान से परमात्मा से जोड़े वही गरु हो सकता है जो वेदों और  सनातन परम्परा से तोडकर अपने से जोड़े वो गुरु नही हो सकता |   हनुमान  की पारखी दृष्टि है वे राक्षसों की नगरी लंका में भी सज्जन लोगों की खोज करते है और उन्हें विभीषण मिल जाता है।  जीवन एक सरिता है जो सुख और दुःख दो किनारों के बीच बहते हुए आगे बढती है | जैसे नदी के दोनों किनारे एक साथ नही आसकते उसी प्रकार जीवन में सुख दुख एक साथ नही आते इसलिए जीवन में इनको सहते हुए आगे बढ़ते रहना चाहिए | ध्यान रखें हनुमान जी ने भगवन के काम के लिए अपने नाम  को मिटा दिया लंका में हनुमान जी का नाम कोई नहीं जानता केवल राम दूत के नाम से ही सब जानते है अर्थात जो परमात्मा के लिए अपने नाम रूप और यश को त्याग देता है उसका गुणगान परमात्मा स्वयं अपने मुख से करते हैं।

इस मौके पर पूर्व सांसद राजेंद्र अग्रवाल, महापौर हरिकांत अहलूवालिया, राकेश बंसल, विनोद भारतीय,  शोभित मिश्रा ,महेश बाली, अरविंद मारवाड़ी, पीयूष शास्त्री, हर्ष गोयल , पायल अग्रवाल स्वतंत्र चौहान, धीर सिंह, संजय रस्तोगी, संजीव गोयल, नूपुर जौहरी, राजगोपाल कात्यान ,अनिरुद्ध गोयल,आदि मौजूद रहे। 

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