छह साल से फरार चल रहे पचास हजार के ईनामी को एसटीएफ ने लखनऊ से किया गिरफ्तार 

गाजियाबाद पुलिस का अफसर बनकर मांगता था  रंगदारी 

गाजियाबाद। गाजियाबाद पुलिस विभाग का असफर बनकर रंगदारी मांगने वाले आराेपी आखिरकार नोएडा एसटीएफ के हत्थे चढ़ गया। एटीएफ ने उसे लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया। वह पिछले छह साल से फरार चल रहा था। आराेपी  कॉल स्पूफिंग एप का प्रयोग करके पुलिस अधिकारी बनकर गाजियाबाद के कई लोगों से पैसे मांगे थे। खुलासा हुआ है कि ये सभी कॉल अयोध्या जेल में बंद रहते हुए की गई थीं। इसी केस में देवेंद्र छह साल से फरार था।

नोएडा एसटीएफ यूनिट के एएसपी राजकुमार मिश्रा ने बताया, देवेंद्र प्रताप सिंह मूल रूप से अमेठी में गांव जमुबुबा का रहने वाला है और फिलहाल अयोध्या में देवकाली बाईपास पर रह रहा था। आरोपी से एक मोबाइल और 220 रुपए नगद बरामद हुए हैं।साल-2018 में देवेंद्र प्रताप सिंह पर गाजियाबाद के थाना कविनगर में धोखाधड़ी, आईटी एक्ट और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में मुकदमा दर्ज हुआ था। इसलिए गिरफ्तारी के बाद आरोपी को थाना कविनगर पुलिस के सुपुर्द कर दिया गया है। इसके खिलाफ उन्नाव, झांसी, मैनपुरी, अयोध्या और गाजियाबाद में कुल आठ मुकदमे दर्ज हैं।

पूछताछ में 37 वर्षीय देवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया,  पिता उमाशंकर की जनपद सुल्तानपुर में ब्रिटानिया बिस्किट कंपनी की एजेंसी थी, जो साल-2011 में बंद हो गई। इसके बाद पूरा परिवार अयोध्या में शिफ्ट हो गया। यहां पर प्रॉपर्टी और पीजी हॉस्टल चलाने का काम शुरू किया।इस दौरा लोक निर्माण विभग  के दो जूनियर इंजीनियर सूरजभान सिंह और रामकुमार से मुलाकात हुई। जिसके बाद मैंने ठेकेदारी का काम शुरू कर दिया। ठेकेदारी में कुछ घपले हुए तो झांसी, उन्नाव, मैनपुरी में मुकदमे दर्ज हो गए।उन्नाव से जेल भी जाना पड़ा था। जेल में रहने के उसकी  मुलाकात रायबरेली के अतुल सिंह से हुई। जेल से छूटने पर दोनों ने फिर से प्रॉपर्टी का काम शुरू कर दिया। साल-2016 में शराब के ठेके पर झगड़ा-लूटपाट होने पर अयोध्या कैंट से मुझे फिर जेल जाना पड़ा।जेल में रहने के दौरान मैंने अतुल सिंह के साथ मिलकर कॉल स्पूफिंग एप का प्रयोग करके गाजियाबाद के पुलिस अधिकारियों के सीयूजी नंबर डिस्प्ले करके कई लोगों को कॉल करके रंगदारी मांगी थी।'

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