आज विश्व बहुत तेजी से बदल रहा है, हर क्षेत्र में तकनीकी एक जरुरत बन गयी- -डॉ. मनीषा 

मानविकी, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान और शिक्षा में वैश्विक रुझान और परिवर्तन विषय पर एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

 मेरठ। इस्माईल नेशनल महिला पीजी कॉलेज, में महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर अनीता राठी की अध्यक्षता में आईक्यूएसी और आईसीईआरटी के संयुक्त तत्वावधान में ‘‘मानविकी, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान और शिक्षा में समकालीन वैश्विक रुझान और परिवर्तन’’ विषय पर एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।             कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित एवं माल्यार्पण द्वारा किया गया। तत्पश्चात कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर एम. अमर सादिक (इंटरनेशनल लॉ फर्म न्यूयॉर्क यूएसए मुख्य अतिथि डॉ. श्रीनिवास राव कावेती (एडजंक्ट एचआर और स्ट्रेटजी मैनेजमेंट, प्रोफेसर आईपीई मैनेजमेंट स्कूल पेरिस आईसीआरटी फेलो) और मिस्टर विक गैफनी (डायरेक्टर कावेटी लॉ फर्म साउथ एशिया) महाविद्यालय की प्रबंध समिति के अध्यक्ष मनीष प्रताप, महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर अनीता राठी एवं मुख्य वक्ता डॉ. मनीषा डी भागोजी (कार्यकारी निदेशक प्रोफेशनल डेवलपमेंट डिवीजन आईसीईआरटी यूएसए), कार्यक्रम अतिथि, डॉ. आशीष शर्मा, सियोल मेडिकल यूनिवर्सिटी और प्रोफेसर रोधा बास्को ग्लांगको (फिलिपींस) को पुष्प गुच्छ प्रदान कर सम्मानित किया गया।

 कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता डॉ. मनीषा डी भगोजी ने इस संगोष्ठी में अपने  विचार रखते हुए कहा कि आज विश्व बहुत तेजी से बदल रहा है, हर क्षेत्र में तकनीकी एक जरुरत बन गयी है। विज्ञान ने तो तकनीकी का भरपूर इस्तेमाल किया है किन्तु मानविकी और सोशल साइंस ने नहीं। तकनीकी का इस्तेमाल कर सोशल साइंस और मानविकी में नवीन अनुसंधान को बढ़ावा दिया जा सकता है। प्रोफेसर रोधा बास्को ग्लांगको ने अपने विचार रखते हुए कहा कि समकालीन विश्व सूचनाआंे का जाल बन चुका है। विश्व की कोई भी घटना हो उसका अध्ययन कुछ ही क्षणों में वस्तुनिष्ठता से किया जा सकता है। इस अवसर पर आईक्यूएसी कोऑर्डिनेटर और संगोष्ठी की मुख्य सलाहकार प्रोफेसर दीप्ति कौशिक ने भी इस गंभीर विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला। संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रही महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर अनीता राठी ने आए हुए समस्त अतिथियों का आभार प्रकट किया एवं आई0क्यू0ए0सी कोर्डिनेटर प्रो0 दीप्ति कौशिक ने धन्यवाद ज्ञापित किया तथा संगोष्ठी की संयोजिका डा. स्वर्णा और आयोजन समिति को सफल आयोजन के लिए बधाई दी। आगे उन्होंने संगोष्ठी के विषय को वर्तमान संदर्भ में अति महत्वपूर्ण बताया। संगोष्ठी के अगले चरण में पैनल वार्ता का आयोजन किया जिसका संयोजन डा. स्वर्णा ने किया। अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में चार तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया जिसमें चेयरपर्सन की भूमिका डा. रीटा गर्ग (सेवानिवृत्त रीडर, इस्माईल नेशनल महिला पीजी कॉलेज मेरठ) डा. सोनल शर्मा (असिस्टेंट प्रोफेसर स्कूल ऑफ ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंसेज जे इ सी आर सी विश्वविद्यालय, जयपुर) डा. कविता त्यागी (शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय, लखनऊ) और डा. सविता शर्मा (विक्रमशिला विश्वविद्यालय, पलवल हरियाणा) ने निभाई। तकनीकी सत्रों में समन्वयक की भूमिका डॉक्टर शुभ्रा त्रिपाठी, मिस रिद्धिमा नारायण, डा. एकता चौधरी और मिस शैलजा ने निभाई। इस संगोष्ठी में  लगभग 150 पंजीकरण हुए एवं 100 प्रतिभागियों ने शोध पत्र पढ़ा। संगोष्ठी में शिक्षा जगत में श्रेष्ठ कार्य करने वाले मेधावियों को शिक्षा रत्न पुरस्कार भी दिए गए। डा. स्वर्णा ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया और संगोष्ठी का संचालन कुमारी महिमा ठाकुर और परणित तोमर (असिस्टेंट प्रोफेसर गांधी विद्या निकेतन कॉलेज बुधपुर रमाला) ने किया। संगोष्ठी के आयोजन सचिव की भूमिका डॉक्टर सिमरन मेहता (हेड एंड डायरेक्टर आईसीईआरटी) ने निभाई। इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी की सलाहकार समिति में प्रोफेसर दीपा त्यागी, प्रोफेसर रीना गुप्ता, डा० ममता और डा. विनेता रहीं। कार्यकारिणी समिति में मिस निकहत उमैरा, डा० मोनिका, डा. दीक्षा रानी, डा० ममता सिंह, डा. कविता अग्रवाल, डा. सारिका शर्मा, डा. मनी भारद्वाज और निशा गुप्ता रहीं। संगोष्ठी में डॉक्टर पूजा राय,  आंचल सिंह, सुमन मिश्रा,  मीनू शर्मा, डा. नेहा सिंह, कुमारी प्रियांशी, डॉक्टर शाजिया का सहयोग रहा। इसके अतिरिक्त संगोष्ठी को सफल बनाने में सभी तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का विशेष सहयोग रहा।

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