जन-कसौटी पर खरे हों वायदे
 इलमा अजीम 
सत्तारूढ़ भाजपा ने अपना संकल्प पत्र जारी किया है। पार्टी ने वंचित समाज को केंद्र में रखकर डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती को अपने संकल्प पत्र को जारी करने के दिन के रूप में चुना। संदेश देने का प्रयास किया कि उसे देश के वंचित समाज के अहसासों की फिक्र है। हालांकि भाजपा के ‘संकल्प-पत्र’ में कुछ भी नयापन नहीं है। योजनाओं का या तो विस्तार किया गया है अथवा राष्ट्रीयकरण की घोषणा की गई है। भाजपा पूरी तरह प्रधानमंत्री मोदी के रिकॉर्ड और लोकप्रियता के भरोसे है। प्रत्यक्ष रेवडिय़ों अथवा मुफ्तखोरी का कोई भी संकल्प नहीं किया गया है। देश के 80 करोड़ से अधिक गरीबों के लिए 5 किलो ‘मुफ्त अनाज’ की योजना 2029 तक जारी रहेगी। यह देश आकलन करेगा कि वह इसे ‘मुफ्तखोरी’ की जमात में रखता है अथवा इसे सामाजिक-राष्ट्रीय कल्याण की जरूरत मानता है! हालांकि कोरोना-काल के काले-आर्थिक प्रभाव अब समाप्त हो चुके हैं। बहरहाल भाजपा का चुनावी घोषणा-पत्र एक राजनीतिक दस्तावेज होने के बजाय प्रशासनिक कार्यक्रम का रोड मैप अधिक लगता है, ताकि देश स्थिर और सशक्त बना रहे। चूंकि प्रधानमंत्री मोदी अपने तीसरे कार्यकाल को लेकर काफी आश्वस्त हैं, लिहाजा मौजूदा योजनाओं के विस्तार घोषित किए गए हैं। मसलन-70 साल से अधिक उम्र वाले बुजुर्गों को ‘आयुष्मान भारत’ के दायरे में रखा जाएगा। ऐसे बुजुर्ग गरीब हों या मध्यवर्गीय हों अथवा सम्पन्न हों, सभी को 5 लाख रुपए तक ‘मुफ्त इलाज’ की सुविधा दी जाएगी। सरकार ने 60-70 साल के सभी बुजुर्गों को इस योजना में क्यों नहीं रखा, इसका स्पष्टीकरण सरकार ही दे सकती है। इस आयु-वर्ग को भी कंपनियां ‘स्वास्थ्य बीमा’ नहीं देती हैं अथवा बीमे की किस्त बहुत महंगी होती है। यदि सभी वरिष्ठ नागरिकों को ‘आयुष्मान’ के दायरे में रखा जाता, तो भाजपा एक और लाभार्थी वर्ग तैयार कर सकती थी। यह तथ्य किसी से छिपा नहीं है कि पार्टी प्रधानमंत्री की छवि और पिछले कार्यकाल की उपलब्धियों को लेकर चुनावी मैदान में है। इस घोषणापत्र में नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर और विकसित भारत के संकल्प की बानगी नजर आती है। ऐसे वक्त में जब पिछले कार्यकालों में भाजपा अपने दो मुख्य मुद्दों अनुच्छेद 370 हटाने व राममंदिर बनाने के वायदे को पूरा कर चुकी है तो जाहिर है नागरिक संहिता का मुद्दा उसकी प्राथमिकता में होना ही था। जो, इस घोषणा पत्र में विशेष रूप से उल्लेखित है। इसके अलावा भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में एक देश एक चुनाव, गरीबों को पांच साल तक मुफ्त राशन, सत्तर साल से अधिक उम्र के लोगों को मुफ्त इलाज की सुविधा, तीन करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाना, पेपर लीक रोकने के लिए कड़ा कानून लाना, तीन करोड़ गरीबों को घर उपलब्ध कराना, बीस लाख तक का मुद्रा लोन उपलब्ध कराना, किसान निधि को जारी रखना आदि के वायदे किए हैं। ये आने वाला वक्त बताएगा कि पार्टी किस हद तक अपने वायदों को हकीकत में बदल पाने में सक्षम होती है। जो उसे मिले जनादेश के आकार पर भी निर्भर करेगा। बहरहाल, अब किसी दल का संकल्प पत्र हो या न्याय पत्र, इसमें किये गये वायदों की तार्किकता पर विचार किया जाना जरूरी है।

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