जिला एमएमजी चिकित्सालय सभागार में संवेदीकरण कार्यशाला में आयुष चिकित्सक और सीएचओ।

 

आयुष चिकित्सकों और सीएचओ का टीबी के प्रति हुआ संवेदीकरण 

गाजियाबाद, 02 नवंबर, 2023। राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के अंतर्गत बृहस्पतिवार को आयुष चिकित्सकों और सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचओ) का टीबी के प्रति संवेदीकरण किया गया। संवेदीकरण कार्यशाला जिला एमएमजी चिकित्सालय के सभागार में आयोजित हुई। कार्यशाला को टीबी रोगियों का शत - प्रतिशत नोटिफिकेशन करने और अधिक से अधिक लक्षण युक्त व्यक्तियों की जांच करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य निदेशालय द्वारा गठित राज्य स्तरीय प्रशिक्षण टीम ने संबोधित किया। प्रशिक्षण टीम में आरटीपीएमओ डा. एके चौधरीस्टेट टीबी ट्रेनिंग सेंटरआगरा से डा. अनुराग श्रीवास्तवविश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) कानपुर से डा. प्रीति और डब्ल्यूएचओ की मेरठ मंडल कंसलटेंट डा. रेणु डफे शामिल रहीं। 

कार्यशाला में आयुष चिकित्सकों और सीएचओ को विस्तार से बताया गया कि कैसे टीबी के संभावित रोगी को पहचानना है और उसे जांच कराने के लिए प्रेरित करना है। जांच करते समय ही रोगी का निक्षय पोर्टल पर पंजीकरण किया जाना है और यदि जांच में टीबी की पुष्टि होती है तो तत्काल उपचार पर लाना है। कार्यशाला के दौरान यह भी बताया गया कि कैसे स्पुटम (बलगम) को अच्छे से पैक करके टीबी यूनिट तक समय से पहुंचाना है। कार्यशाला में जिला एमएमजी चिकित्सालय के वरिष्ठ फिजीशियन डा. आलोक रंजनडा. संतराम और डिप्टी डीटीओ डा. अनिल यादव मौजूद रहे।

डा. एके चौधरी ने कहा - आप लोगों के संपर्क में रहते हैंओपीडी में आने वाले बुखार और खांसी के रोगियों से पूरी तसल्ली से बात करें और यदि वह दो सप्ताह से बीमार हैं तो टीबी की जांच कराने के लिए प्रेरित करें। टीबी के संभावित रोगियों को पूरी बात बहुत ही सरल भाषा में विस्तार से बताने की जरूरत है। उन्हें बताएंटीबी से डरने की नहीं बल्कि उपचार कराने की जरूरत है। उपचार में देरी से दिक्कत बढ़ सकती है। इससे आपकी बीमारी तो गंभीर रूप धारण करेगी हीसाथ आपके अपनों को भी टीबी का संक्रमण चपेट में ले सकता है। इसलिए जांच कराने में कतई लापरवाही नहीं करनी है। रोगियों को बताएं कि टीबी का सबसे अच्छा उपचार विभाग के पास उपलब्ध है।  कार्यशाला में जिला कार्यक्रम समन्वयक राघवेंद्र चौहानएसटीएस नीरज शर्मा और एलटी सुशील के अलावा आकाश व राजेश का भी सहयोग रहा।  

 

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नाटक के जरिए समझाने का प्रयास किया गया

कार्यशाला में मौजूद चिकित्सकों और सीएचओ को एक नाटक के जरिए भी जांच और उपचार की प्रकिया को समझाने का प्रयास किया गया। आशासीएचओ और चिकित्सक का अभिनय कर यह बताने का प्रयास किया गया कि कैसे एक सीधा साधा गांव का व्यक्ति बुखार और खांसी से परेशान होकर पहुंचता है। चिकित्सक उसे दवा देने के साथ ही टीबी की जांच कराने की सलाह देता हैवह आशा के माध्यम से नजदीकी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर जाकर अपना स्पुटम जांच के लिए देता है। जांच में टीबी की पुष्टि हो जाती है और तत्काल उपचार शुरू हो जाता है। करीब दो माह में उसकी सेहत में काफी सुधार हो जाता हैउसके बाद भी वह दवा खाना जारी रखता है साथ ही अपने आसपास रहने वाले अन्य लोगों को खांसी होने पर जांच कराने के लिए प्रेरित करने लगता है।

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