जीपीडीपी की बैठक में टीबी के प्रति संवेदीकरण किया गया

 बैठक में 40 ग्राम प्रधानों और स्वयं सहायता समूहों के प्रतिनिधियों ने किया प्रतिभाग

क्षय रोग विभाग ने रोगी ढूंढने और टीबी मुक्त ग्राम पंचायत में सहयोग की अपील की


हापुड़, 02 नवंबर, 2023। प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत ग्राम प्रधानों और स्वयं सहायता समूहों का टीबी के प्रति संवेदीकरण किया गया।  बृहस्पतिवार को विकास खंड कार्यालयहापुड़ में आयोजित ग्राम विकास डेवलपमेंट प्रोग्राम (जीपीडीपी) की बैठक में 40 ग्राम प्रधानों और 40  स्वयं सहायता समूहों के प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया। बैठक में उप-निदेशक पंचायत मनीष कुमार और डिप्टी कमिश्नर (राष्ट्रीय ग्रामीण आ‌जीविका ‌मिशन- एनआरएलएम) आशा देवी और जिला पंचायती राज अधिकारी (डीपीआरओ) वीरेंद्र सिंहबीडीओहापुड़ श्रुति सिंह और एडीओ पंचायत विशन सक्सेना भी मौजूद रहे।

जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी और जिला पीएमडीटी समन्वयक मनोज कुमार गौतम ने ग्राम प्रधानों और स्वयं सहायता समूहों का टीबी के प्रति संवेदीकरण किया और ग्राम प्रधानों और स्वयं सहायता समूहों के प्रतिनिधियों से अपील की कि किसी भी व्यक्ति में यदि टीबी से मिलते जुलते लक्षण दिखें तो आशा या सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) की मदद से उसकी जांच अवश्य कराएं और अपनी पंचायत को टीबी मुक्त करने में सहयोग करें।

जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी ने बताया - टीबी कोई लाइलाज बीमारी नहीं है। यह पूरी तरह साध्य है और नियमित उपचार के बाद टीबी रोगी पूरी तरह ठीक हो जाता है। टीबी का संक्रमण रोकने के लिए जरूरी है जल्दी जांच और उपचार। दरअसल फेफड़ों की टीबी संक्रामक होती है और टीबी मरीज के खांसने-छींकने से फैलती है। इसलिए उपचार शुरू होने में देरी से रोगी के परिजनों को भी खतरा हो सकता है। 

उन्होंने बताया - उपचार शुरू होने के दो माह बाद यह खतरा खत्म हो जाता है। इसलिए दो सप्ताह से अधिक खांसी या बुखार रहने परवजन कम होने परसीने में दर्द रहने पर और रात में सोते समय पसीना आने पर टीबी की जांच कराना जरूरी है। क्योंकि यह लक्षण टीबी के हो सकते हैं। टीबी की जांच और उपचार की सुविधा हर स्वास्थ्य केंद्र के अलावा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर भी उपलब्ध है।

जिला पीएमडीटी समन्वयक मनोज कुमार गौतम ने कहा - जांच में टीबी की पुष्टि होने पर क्षय रोग विभाग पूरा उपचार उपलब्ध कराता है और साथ ही सरकार की ओर से निक्षय पोषण योजना के तहत हर माह पांच सौ रुपए का भुगतान भी रोगी के खाते में किया जाता है। यह राशि रोगी के अच्छे खानपान में मदद के उद्देश्य से दी जाती है। 

No comments:

Post a Comment

Popular Posts