सबकी मंशा पूरी करती हैं माता कालिका
- बद्री प्रसाद वर्मा अनजान
गोरखपुर से साठ किलोमीटर दूर गोला तहसील से पन्द्रह किलोमीटर दूर दक्षिण में बारानगर गांव के सरयू नदी के तट पर मां कालिका का मंदिर बिराजमान है। यह मंदिर सौ साल से ज्यादा पुराना है।
इस मंदिर की विशेषता है कि यहां हर दिन दूर दूर से भक्त मां कालिका का दर्शन करने आते हैं। जो भक्त मां कालिका से जो भी मांगता है मां उसकी मन्नत जरूर पूरी करती हैॆ।
कहते हैं एक सेठ की कोई संतान नहीं थी उसने मां कालिका से पुत्र होने का वर मांगा और बोला अगर मैं पुत्रवान बन जाऊंगा तो हर साल मां कालिका का दशॅन करने आऊंगा। सेठ की मन्नत मां कालिका ने एक साल में पूरी कर दी। सेठ पुत्रवान बन कर बहुत खुश हुआ और जबतक वह जिन्दा रहा तब तक हर साल मां कालिका का दर्शन करने आता और मां की मंदिर का साफ सफाई भी करवाता। मां कालिका के यश की चर्चा चारो तरफ होने लगी। बहुत सारे नि:हसंतान लोग पुत्रवान बन गए।
मां कालिका के मंदिर पर रोज भक्तों का मेला लगता है। तथा लोग अपने पुत्र पुत्री का यहां आ कर मुंडन करवाते हैं और कथा भी सुनते हैं।
यहां मंदिर पर लोग अपने बेटे बेटी की शादी भी करते हैं। कहावत है यहां मंदिर पर जो भी अपने बेटे बेटी की शादी करता है उसका परिवार सुखी रहता है।
मंदिर के आसपास दो धर्मशाला भी है लोग मां को कडाही चढा़ते हैं। मां को पुड़ी हलवा बहुत पसंद है। इसलिए जो भी लोग यहां आते हैं वो मां कालिका को कडाही जरुर चढ़ाते हैं।
सरयू नदी में जब भी बाढ़ आती है तो नदी का पानी मंदिर में भर जाता है मगर मां कालिका के मंदिर को कोई नुकसान नहीं होता है। लोग कहते हैं मां बहुत जागता है तभी बाढ़ का पानी मां का बाल बांका नहीं कर पाता है। मां को लोग धार कपूर नारियल चुनरी लाचीदाना और बतासा भी चढ़ाते हैं और अगवत्ती भी जलाते हैं।
मां का मंदिर पुरी तरह खुला है।
गल्ला मंडी, गोला बाजार, गोरखपुर।


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