पंजाब पुलिस के एआईजी एक करोड़ की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार

अमृतसर में जेल अधीक्षक रहने के दौरान महिला कैदी से रेप का भी है आरोप

चंडीगढ़। पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने 2016 के भ्रष्टाचार के एक मामले में सहायक इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (एआईजी) आशीष कपूर को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया है।यह मामला तब का है जब आशीष कपूर अमृतसर की केंद्रीय जेल में बतौर जेल अधीक्षक तैनात थे।

विजिलेंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि एआईजी आशीष कपूर की गिरफ्तारी गुरुवार को एक करोड़ रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में की गई है। वह इस समय पंजाब पुलिस की विंग चौथी इंडियन रिजर्व बटालियन (आईआरबी) पठानकोट में तैनात है। आशीष कपूर पर आरोप है कि उन्होंने वर्ष 2016 में जालसाजी और धोखाधड़ी करके दो महिलाओं को राहत देने के बदले उनसे एक करोड़ रुपये अलग-अलग चेकों के जरिये बैंक से निकलवा लिए थे। इस मुकदमे में डीएसपी इंटेलिजेंस पवन कुमार और एएसआई हरजिंदर सिंह भी नामजद हैं।

उन्होंने बताया कि साल 2016 में आशीष कपूर केंद्रीय जेल, अमृतसर में बतौर जेल अधीक्षक तैनात थे। उस समय कुरुक्षेत्र (हरियाणा) के सेक्टर 30 निवासी पूनम राजन नामक महिला इमिग्रेशन फ्रॉड से जुड़े एक केस में न्यायिक हिरासत में थी। जेल में रहने के दौरान आशीष कपूर की जान-पहचान पूनम से हो गई थी। महिला ने दावा किया था कि जेल में बंद रहने के दौरान आशीष कपूर ने अपने पद का फायदा उठाते हुए उससे जबरन फिजिकल रिलेशन बनाए। महिला ने दावा किया कि रेप के बाद जब वह प्रेगनेंट हो गई तो आशीष कपूर ने उसकी जमानत करवा दी थी ताकि किसी को सच पता न चल पाए।

महिला ने कहा कि आशीष कपूर ने ही मई 2018 में उसे जीरकपुर थाने में झूठे इमिग्रेशन केस में फंसाया था। एक महीने पहले ही विजिलेंस टीम ने आशीष कपूर की मोहाली स्थित कोठी में रेड की थी। उस समय तलाशी में कोठी से कई दस्तावेज बरामद होने की बात सामने आई थी। उसके बाद से ही आशीष कपूर पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी। पंजाब पुलिस के विजिलेंस ब्यूरो के एआईजी मनमोहन कुमार ने बताया कि आशीष कपूर को एफआईआर नंबर-17 में गिरफ्तार किया गया है। फिलहाल उनसे पूछताछ की जा रही है। विजिलेंस टीम आशीष कपूर की संपत्ति का ब्यौरा जुटा चुकी है। उनके बैंक अकाउंट्स की डिटेल भी खंगाली जा सकती है।

आशीष कपूर एआईजी पद पर प्रोन्नति से पहले प्रतिनियुक्ति पर चंडीगढ़ पुलिस में बतौर डीएसपी तैनात रह चुके हैं। वह चंडीगढ़ पुलिस में बतौर डीएसपी लगभग 2 साल तैनात रहे। छह साल पुराने मामले में विजिलेंस ब्यूरो ने तीनों मुलजिमों के खिलाफ भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की धारा-7,7-ए और आईपीसी की धारा 420, 120-बी के अंतर्गत केस दर्ज किया है और इस मामले की आगे जांच जारी है।

No comments:

Post a Comment

Popular Posts