जमा दरों में वृद्धि

महंगाई पर काबू पाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक रेपो दर में लगातार इजाफा कर रहा है। हाल में की गई मौद्रिक समीक्षा में रिजर्व बैंक ने रेपो दर में फिर से पचास आधार अंकों की बढ़ोतरी की है। अगर महंगाई काबू में नहीं आती, तो केंद्रीय बैंक आगामी मौद्रिक समीक्षाओं में नीतिगत दरों में और इजाफा कर सकता है।

चूंकि केंद्रीय बैंक, बैंकों को दी जाने वाली उधारी पर रेपो दर के अनुसार ब्याज लेता है, इसलिए, रेपो दर में बढ़ोतरी करने से बैंकों को महंगी दर पर पूंजी मिलती है और पूंजी की लागत अधिक होने पर बैंक उधारी पर ब्याज दर में बढ़ोतरी कर देते हैं, ताकि उनके नुकसान की भरपाई हो सके। हालांकि, उधारी दर में वृद्धि से महंगाई में कमी आने की संभावना बढ़ जाती है, क्योंकि जब बैंक महंगी दर पर कर्ज देते हैं तो आम आदमी और कारोबारी कर्ज लेने से परहेज करते हैं। पैसों की किल्लत की वजह से महंगे उत्पाद खरीदना मुमकिन नहीं होता, जिससे मांग में कमी आती है और जब किसी उत्पाद की मांग में कमी आती है तो उसकी कीमत में भी कमी आ जाती है। बैंक उधारी देने के लिए या तो रिजर्व बैंक से रेपो दर पर कर्ज लेते हैं या फिर अपनी जमा राशि का इस्तेमाल करते हैं। इसलिए जब केंद्रीय बैंक से उधार लेना महंगा हो जाता है तो पूंजी इकट्ठा करने के लिए बैंक जमा दर में बढ़ोतरी करते हैं, ताकि अधिक ब्याज मिलने पर छोटे निवेशक बैंक में अपना पैसा जमा करें और उसका इस्तेमाल उधारी देने में किया जा सके। रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दर में बढ़ोतरी के बाद बैंकों ने बचत, आवर्ती और मियादी जमा दर को बढ़ाना शुरू कर दिया है। ऐसा करना इसलिए भी जरूरी होता है, क्योंकि जमा और उधारी दर के बीच के अंतर में एक निश्चित फासला हो। बैंक, जमा पर ग्राहकों को ब्याज देता है, जबकि उधारी पर उनसे ब्याज लेता है। इसलिए जमा और उधारी दर और जमा या उधारी की अवधि के बीच बैंकों को संतुलन बनाकर रखना होता है, ताकि ब्याज दर या जमा या उधारी की अवधि में ज्यादा अंतर न हो और उसकी वजह से बैंकों के समक्ष परिचालन संबंधी जोखिम खड़ा न हो। बैंक में मियादी जमा सबसे सुरक्षित विकल्प माना जाता है, लेकिन पिछले सालों में निवेशकों का भरोसा बैंक पर कम हुआ है। हालांकि ग्राहकों के मन में दुबारा बैंकों के प्रति भरोसा पैदा करने के लिए सरकार ने ‘डिपाजिट इंश्योरेंस’ की सीमा को एक लाख से बढ़ा कर पांच लाख रुपए कर दिया है। जमाकर्ता को, जो अधिकतम पांच लाख रुपए का बीमा कवर मिलता है, उसमें मूलधन के साथ-साथ उस पर मिलने वाला ब्याज भी शामिल होता है। अगर ग्राहक के किसी एक बैंक की अलग-अलग शाखाओं में पैसे जमा हैं तो सभी शाखाओं में जमा धनराशि को जोड़ दिया जाता है और अधिकतम पांच लाख रुपए की जमा राशि पर बीमा कवर का फायदा मिलता है। माना जा रहा है कि बैंक जमा दर में वृद्धि का दौर अभी जारी रहेगा। ऐसे में छोटे निवेशक शेयर बाजार की जगह बैंक में फिर से निवेश करना शुरू कर सकते हैं, क्योंकि बैंक में जमा करना, शेयर बाजार में निवेश करने की अपेक्षा सुरक्षित है। जमा बीमा कवर की सीमा को एक लाख से बढ़ा कर पांच लाख रुपए करने से पंचानबे फीसद से अधिक निवेशकों के बैंक में किए गए निवेश पूरी तरह से सुरक्षित हो गए हैं।

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