चाइल्ड पीजीआई में स्टेम सेल प्रत्यारोपित कर हुआ पर्थेस रोग का उपचार

पहली बार हुआ इस तकनीक से उपचार

नोएडा, 26 मई 2022। पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ (चाइल्ड पीजीआई) नोएडा के बाल अस्थि रोग विभाग में गाजियाबाद के छह वर्ष पांच माह बच्चे के पर्थेस रोग का उपचार स्टेम सेल प्रत्यारोपण के माध्यम से किया गया। बच्चा छह महीने से लोअर लिंब में दर्द के साथ लंगड़ा रहा था और कई चिकित्सकों से परामर्श लेने के उपरांत भी उसे दर्द में राहत नहीं मिल रही थी। बच्चे को चिकित्सकों द्वारा विशेषज्ञ सलाह के लिए चाइल्ड पीजीआई में निदेशक प्रो. अजय सिंह के पास भेजा गया, जहां पर उसका सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करते हुए पर्थेस रोग की पहचान की गई।

पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ के निदेशक प्रो. अजय सिंह ने बताया पर्थेस रोग के उपचार में पहली बार शरीर के इस भाग में स्टेम सेल का प्रत्यारोपण किया गया है जो कि मरीज का ही स्टेम सेल था और इसे मरीज के पेल्विस की हड्डी के पीछे की तरफ से एक ही सत्र में लिया गया था। बच्चे का बोन मैरो एस्पिरेशन कर उसमें से दो एमएल एमएनसी (मोनोन्यूक्लियर सेल) सेंट्रीफ्यूज किया गया और इसे मरीज में छोटी सुई की सहायता से पाथ बनाकर प्रत्यारोपित किया गया। तदुपरांत मरीज को प्लास्टर चढ़ाया गया।  स्टेम सेल को चढ़ाने के पश्चात मरीज में पुनः अस्थि का रीजेनरेशन तेज गति से शुरू हो जाएगा और यह फीमर हेड एपिफेसिस की हड्डी की विकृति को रोकेगा।

इस अस्थि मज्जा सांद्र इंजेक्शन की नई तकनीक से बिना किसी जटिलता के प्रो अजय सिंह के नेतृत्व में अस्थि शल्य चिकित्सकों एवं एनेस्थेटिक की टीम ने प्रत्यारोपण कार्य किया। टीम में प्रो. अजय सिंह, डॉ. अंकुर अग्रवाल एवं एनेस्थीसिया विभाग से प्रो. मुकुल कुमार जैन शामिल थे।

क्या है पर्थेस रोग

प्रो. अजय सिंह ने बताया पर्थेस रोग बाल्यकाल की बीमारी है, यह तब होती है जब कूल्हे के जोड़ के बॉल भाग (फेमोरल हेड) को रक्त की आपूर्ति किसी कारण से अस्थाई रूप से बाधित हो जाती है और हड्डी सूखने या मरने लगती है। कमजोर हड्डी धीरे-धीरे ऊरु सिर से अलग हो जाती है और अपना गोलाकार अकार खो देती है। यह बीमारी बच्चों में आमतौर पर चार से आठ साल की उम्र में होती है तथा यह रोग लड़कियों की तुलना में लड़कों में ज्यादा (लगभग चार गुना ज्यादा) होता है। प्रत्यारोपण के पश्चात बच्चे के माता-पिता काफी राहत महसूस कर रहे हैं और बच्चा तेजी से रिकवरी कर रहा है।


 


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