28 फरवरी तक चलेगा सांस अभियान
- संरक्षण, बचाव एवं उपचार से रोका जाएगा निमोनिया


मेरठ, 24 नवंबर, 2021
। निमोनिया की समय से पहचान एवं उपचार से शिशु मृत्यु दर को कम किया जा सकता है। सामाजिक जागरूकता पैदा करने के लिए भारत सरकार द्वारा सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन टू न्यूटरलाइज निमोनिया सक्सेसफुली (सांस) अभियान चलाया जा रहा है। 12 नवम्बर से शुरू हुआ यह अभियान  प्रदेश भर में 28 फरवरी 2022 तक चलेगा  । आंकड़ों के मुताबिक निमोनिया से देशभर में पांच साल से कम आयु के 15 प्रतिशत बच्चों की मृत्यु हो जाती है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. अखिलेश मोहन ने बताया -राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत 28 फरवरी तक मनाए जाने वाले सांस अभियान के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन -  उत्तर प्रदेश की निदेशक अपर्णा उपाध्याय ने दिशा निर्देश जारी किये हैं।
सीएमओ ने एसआरएस- 2018 का हवाला देते हुए बताया निमोनिया से पांच वर्ष तक के शिशुओं की मृत्यु दर देशभर में 36 प्रति एक हजार और उत्तर प्रदेश में 47 प्रति एक हजार जीवित जन्म है। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (आरसीएच) डा. पूजा शर्मा ने बताया सरकार का यह अभियान निमोनिया की समय से पहचान और उपचार के लिए जनमानस में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। उन्होंने बताया संरक्षण, बचाव एवं उपचार द्वारा पांच वर्ष तक के शिशुओं में इस बीमारी से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है। इसके अलावा स्तनपान, समुचित अनुपूरक आहार एवं विटामिन, सप्लीमेंटेशन, टीकाकरण, हाथ धोने की आदत और घरेलू प्रदूषण को कम किये जाने पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इससे भी मृत्युदर में कमी आएगी।
डा.  पूजा शर्मा ने बताया - निमोनिया में फेफड़ों का संक्रमण बैक्टीरिया, वायरस एवं फंगल संक्रमण से होता है। जनपद स्तर पर सांस अभियान चलाने का उद्देश्य समुदाय में जनजागरूकता लाना है, जिससे निमोनिया की समय से पहचान और उपचार हो सके। इस अभियान के अंतर्गत आशा कार्यकर्ता गृह भ्रमण के दौरान पांच वर्ष तक के बच्चों में निमोनिया के लक्षण चिन्हित करेंगी और समुचित उपचार उपलब्ध कराएंगी।  
बच्चों में निमोनिया होने के विभिन्न कारक :
कम वजन का होना, कुपोषण
छह माह तक स्तनपान न कराया जाना
घरेलू प्रदूषण
खसरा एवं पीसीवी टीकाकरण न किया जाना
जन्मजात विकृतियां जैसे ह्रदय विकृति तथा अस्थमा निमोनिया की आशंका को बढ़ावा देते हैं।
सांस अभियान के जरूरी पहलू  :
सुरक्षा - शिशु के अच्छे स्वास्थ्य पर ध्यान देते हुए जन्म के तुरंत बाद छह माह तक स्तनपान तथा छह माह के उपरांत समुचित अनुपूरक आहार, विटामिन- ए दिये जाने की जरूरत है।
बचाव - शिशु का टीकाकरण एवं हाथों की स्वच्छता तथा स्वच्छ पेयजल एवं गृह प्रदूषण को दूर किया जाए।
उपचार - शिशुओं के निमोनिया का चिकित्सा इकाई स्तर पर एवं सामुदायिक स्तर पर उचित उपचार की व्यवस्था हो।

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