Meerut-
निज संवाददाता, भारतीय संविधान में बलात्कारी को फांसी की सजा दिये जाने का प्रावधान होने के बावजूद भी निर्भया कान्ड होते ही क्यों हैं? 
सात साल तक लम्बा संघर्ष करने के बाद बलात्कारियों को फांसी की सजा दिलाई जा सकी इसके बावजूद भी आज लगभग 90 महिलाऐं प्रति दिन बलात्कार  का शिकार होती हैं। प्रथम दृष्टया  इसके अनेक कारण हैं जैसे -
हमारे संविधान में न्याय प्रक्रिया बहुत ही सुस्त है और सोने पे सुहागा तब हो जाता है जब उस आरोपी को जेल से जमानत भी आसानी से मिल जाती है। जेल से जमानत पर बाहर आने के बाद वह आरोपी पीडिता को भय अथवा प्रलोभन देकर सजा से बच जाता है और अपराध की ओर अग्रसर हो जाता है। 
मनोरंजन, फैशन की चकाचौंध, बाहरी दिखावे आदि अनेकानेक निन्दनीय कृत्यों की वजह से हम अपने मूल्यों, भारतीय संस्कृति और सभ्यता और दैनिक आहार-विहार को भूलते जा रहे हैं। बहुत अधिक धन कमाने की भागदौड़ में अपने नैतिक मूल्यों को तिलांजली दे बैठते हैं, जिस वजह से हम अपने छोटे बडों के बीच कैसा व्यवहार करें, भूल जाते हैं,  इसी भूल से शुरू होता है भ्रष्टाचार, अन्याय, अधर्म, दुराचार। 
एक कहावत है कि पढ़ी लिखी लडकी, रोशनी घर की यदि लडकी सुशील,सुसंस्कारित है उम्मीद की जाती है कि उसके बच्चे भी संस्कारित ही होंगे जो अपने से बडों का सम्मान करना जानते हैं, मेहनत और ईमानदारी से धन कमाना जानते हैं, मानवता के साथ कैसा व्यवहार हो? सब जानते हैं, ऐसा देश जहां के निवासी राष्ट्रीय गुणों से ओतप्रोत हों, भारतीय संस्कृति और सभ्यता के अनुयायी हों, नैतिक गुण कूट कूट कर भरे हों, ऐसे देश में बलात्कार जैसी घटना, नारी और बच्चों का शोषण, भ्रष्टाचार और अपराध इतिहास बनकर ही रह जायेगा। 
यदि हमारे राजनीतिज्ञ, न्यायिक  प्रणाली में लगे कर्मचारी, शासन में बैठे अधिकारी अपने- अपने  कर्तव्यों का पालन करना शुरू करदें तब देश में चहूॅ ओर राम राज्य की परिकल्पना साकार होगी और हिन्दुस्तान में किसी भी प्रकार का अपराध इतिहास बनकर ही रह जायेगा। 

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