मेरठ। जीएसटी विभाग की नजर अब गांव के दुकानदारों पर भी है। बता दें कि कस्बों और गांवों में 90 फीसदी दुकानदार और व्यापार अपंजीकृत हैं और प्रतिमाह लाखों का व्यापार करते हैं। यह जानकारी जीएसटी के एक सर्वे में सामने आई है। अब टैक्स बढ़ाने के लिए इन अपंजीकृत व्यापारियों को जीएसटी पंजीकरण के दायरे में लाने का काम करेगा। इसके लिए कवायद शुरू की जा चुकी है। विभाग ने 2 हजार से अधिक आबादी वाले गांवों में व्यापार करने वाले व्यापारियों की तलाश के लिए अभियान चलाने का फैसला किया है। इसके लिए विभागीय स्तर पर एक कार्ययोजना तैयार की जा रही है। जिसमें विकास खंडवार अधिकारियों की टीम बनाकर गांवों में भेजा जाएगा। जल्द ही इस कार्ययोजना पर काम शुरू होगा। वाणिज्य कर विभाग मेरठ के एसी वन एए पांडे ने बताया कि देश का सबसे बड़ा प्रदेश होने के नाते यूपी को उपभोक्ता प्रदेश की श्रेणी में रखा गया है। यानि जीएसटी अधिनियम में उसी प्रदेश को ही सर्वाधिक फायदा होना है, जिन प्रदेश में अधिक उपभोक्ता होंगे। इसके मद्देनजर जीएसटी लागू होने के बाद से ही प्रदेश का टैक्स बेस बढ़ाने को लेकर कई तरह से प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि मेरठ जोन भी देश के एक बड़े टैक्स बेस में शामिल है। अब गांवों में व्यापार करने वाले व्यापारियों की तलाश के लिए अभियान चलाए जाने के लिए एक कार्ययोजना तैयार की गई है। जिसके तहत नगर निगम वाले शहरों के अलावा नगर पालिका परिषद और छोटी नगर पंचायतों तक के व्यापारियों को जीएसटी में पंजीकृत कराने का अभियान चलाया जाएगा। इसी कड़ी में विभाग ने गांवों में दुकान या अन्य व्यापार करने वाले व्यवसायियों को भी जीएसटी के दायरे में लाने का फैसला किया है। इसके लिए मानक बनाया गया है कि फिलहाल यह अभियान 2 हजार से अधिक आबादी वाले गांवों के पंजीकृत व अपंजीकृत व्यापारियों का ब्योरा जुटाया जाएगा। इसके बाद उनका जीएसटी में पंजीकरण कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि वाणिज्य कर मुख्यालय की ओर से इस संबंध में सभी जोनल एडिशनल कमिश्नरों को दिशा-निर्देश भेजे गए हैं। मेरठ जोनल कार्यालय को भी निर्देश प्राप्त हुए हैं। गांवों के व्यापारियों का डेटा जुटाने के साथ ही विभिन्न सरकारी विभागों में पंजीकृत व्यापारियों का भी डेटा जुटाने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिया गया है।
No comments:
Post a Comment