हिंसा की जांच पर रोक की याचिका खारिज - मानवाधिकार आयोग ने बनाई समिति
कोलकाता (एजेंसी)।कोलकाता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव बाद हिंसा की घटनाओं में मानव अधिकारों के उल्लंघन की जांच राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को सौंपने संबंधी आदेश सोमवार को वापस लेने से इंकार करते हुए इस बारे में राज्य सरकार का आवेदन खारिज कर दिया। अदालत ने मानवाधिकार आयोग को एक समिति गठित कर राज्य में चुनाव बाद हिंसा के दौरान कथित मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाओं की जांच करने का आदेश दिया था। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष अरुण मिश्रा ने हाईकोर्ट के आदेश के अनुरूप राज्य में चुनाव बाद हुई हिंसा की जांच के लिए समिति गठित कर दी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने जनहित याचिकाओं के एक समूह पर पारित आदेश को वापस लेने का पश्चिम बंगाल सरकार का आवेदन खारिज कर दिया। इन जनहित याचिकाओं में आरोप लगाया गया था कि राजनीतिक हमलों की वजह से लोगों को अपने घरों से विस्थापित होना पड़ा, उनके साथ मारपीट की गई, संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया और कार्यालयों में लूटपाट की गई। सात सदस्यीय जांच समिति गठित राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष अरुण मिश्रा ने जांच समिति गठित कर दी है। यह राज्य में चुनाव बाद हुई हिंसा के मामलों की जांच करेगी। कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस बारे में आदेश दिया था। सात सदस्यीय समिति में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष अतीफ रशीद, राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य राजुल बेन देसाई, बंगाल मानवाधिकार आयोग के रजिस्ट्रार प्रदीप कुमार पांजा व अन्य शामिल किए गए हैं। समिति का प्रमुख राष्ट्रीय आयोग के सदस्य राजीव जैन को बनाया गया है। --------------------
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