मिलावटखोरी पर लगे रोक

  
राजीव त्यागी 

आज खाद्य पदार्थों में मिलावट एक गंभीर और भयावह महामारी का रूप ले चुकी है। दूध, मसाले, मिठाइयाँ, तेल और यहां तक कि रोजमर्रा के उपयोग में आने वाली सामान्य वस्तुएँ भी मिलावट से मुक्त नहीं रहीं। 
दुर्भाग्य की बात यह है कि अब भुना हुआ चना, जो सदियों से पौष्टिक और सस्ता स्नैक माना जाता रहा है भी इस जहरीले पिछ खेल का शिकार हो तथ्य सामने आया है, कि बाजार में बिकने वाले चमकीले पीले भुने हुए चनों में औरामाइन नामक घातक इंडस्ट्रियल केमिकल की मिलावट की जा रही है।


 औरामाइन वह रसायन है जिसका प्रयोग कपड़ा, चमड़ा और कागज जैसे उद्योगों में किया जाता है, पर खाद्य पदार्थों में इसका उपयोग पूरी तरह प्रतिबंधित है। लगातार सेवन करने पर यह लिवर, किडनी और ब्लैडर में कैंसर होने का खतरा कई गुना बढ़ा देता है, साथ ही नर्वस सिस्टम और अन्य अंगों पर भी गंभीर दुष्प्रभाव डालता है।

 यह स्थिति इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि मिलावट करने वाले इसका इस्तेमाल चने को आकर्षक दिखाने एवं मुनाफाखोरी के लिए कर रहे हैं। अब हाल यह हो गया है कि हरीसब्जी से लेकर दूध, मिठाई और मावे तक अपमिश्रित हो गए हैं। मिलावटखोरी के इस धंधे पर सख्त रोक लगाने की जरूरत है।


 इस संबंध में राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी द्वारा स्वास्थ्य मंत्री और खाद्य प्रसंस्करण मंत्री को लिखी गई चिट्ठी इस समस्या की गंभीरता को रेखांकित करती है। उन्होंने राष्ट्रीय हेल्थ अलर्ट जारी करने, व्यापक जांच अभियान चलाने और दोषियों को कठोर दंड देने की मांग भी की है। 

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