लखनऊ में आवास की बोर्ड बैठक में मेरठ के मामले पर नहीं की गई चर्चा
सेंट्रल मार्केट के व्यापारियों को लगा टकड़ा झटका
ध्वस्तीकरण के छाए खतरे के बादल
मेरठ। आवास एवं विकास परिषद की लखनऊ में बोर्ड मीटिंग हुई। जिसमें प्रदेश भर के कई मामलों पर मुहर लगाई गई। इस मीटिंग में मेरठ द्वारा भेजा गया एक अहम प्रस्ताव भी शामिल था। जिस पर मेरठ के व्यापारियों को निराशा के सिवा कुछ नहीं मिला।
बता दें कि विगत 17 दिसंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल मार्किट के 661/6 पर बने अवैध निर्माणों को तोड़ने का आदेश दिया था। साथ ही व उस जैसे सभी भी अवैध निर्माण भी तोड़े जाने थे। जिसके बाद 32 भूखण्डों पर बने अवैध निर्माणों को तोड़ने का टेंडर दिया ओर 26 अक्टूबर 2025 को 661/6 पर बनी अवैध दुकानों को तोड़ दिया गया। शेष 31 अवैध निर्माणों पर ध्वस्तीकरण की तलवार लटकी तो व्यापारियों ने आंदोलन शुरू कर दिया। जिसके बाद जन प्रतिनिधियों ने आंदोलन को खत्म कराने के लिए कमिश्नर ऋषिकेश भास्कर यशोद से मुलाकात की। कमिश्नर ने कैंट विधायक अमित अग्रवाल, महापौर हरिकांत अहलूवालिया, महानगर अध्यक्ष विवेक वाजपेयी, नगर आयुक्त सौरभ गंगवार, अधीक्षण अभियंता राजीव कुमार, अधिशासी अभियंता आफताब अहमद, अपर आयुक्त अमित कुमार सिंह, अपर नगर आयुक्त लवी त्रिपाठी के सुझावों के बाद शेष दुकानों को नहीं तोड़ने का निर्णय लिया।
कमिश्नर के आदेश के बाद सांसद अरूण गोविल व्यापारियों के बीच पहुंचे और दुकानों के ताले खुलवाए। उसके बाद से जन प्रतिनिधि और परिषद बाजार स्ट्रीट का दर्जा दिलाने के लिए बोर्ड मीटिंग तक रूकने की बात कहता रहा। शुक्रवार को बोर्ड मीटिंग तो हुई लेकिन बाजार स्ट्रीट पर कोई भी निर्णय नहीं आया। डीएचसी अनिल कुमार सिंह ने बताया कि बाजार स्ट्रीट का प्रस्ताव कीरब 1 महिना पूर्व ही भेज दिया गया था। बोर्ड मीटिंग के निर्णय पर ही आगे की कार्यवाही की जा सकेगी।
नही रिसील हुआ सांसद का फोन
बता दें कि शीर्ष अदालत ने परिषद को जनवरी 2026 तक जवाब दाखिल करने का समय दिया है। अब देखना ये होगा कि व्यापारियों को राहत मिलेगी या नहीं। उधर सांसद अरूण गोविल इस बोर्ड बैठक के बारे में जानकारीलेने का प्रयास किया गया। लेकिन उनका फोन नहीं उठा।


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