बच्चों में टीबी की जांच के लिए उपयोगी होगी गैस्ट्रिक लैवेज तकनीक

– बच्चों को टीबी से मुक्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की पहल

– छोटे बच्चों की बलगम न आने के कारण नहीं हो पाती थी जांच

– बच्चे को लगातार खांसी और बुखार बने रहने से टीबी होने का खतरा

 मेरठ। राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत बच्चों में टीबी की रोकथाम के लिए अलग से विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत शून्य से पांच साल तक के बच्चों की टीबी की जांच के लिए गैस्ट्रिक लैवेज तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.  अशोक कटारिया ने  बताया कि छोटे बच्चों को खांसी आती है तो वह बलगम को निगल लेते हैं, उन्हें बलगम का बाहर निकालना नहीं आता है। ऐसे में उनकी बलगम की जांच नहीं हो पाती है। इसलिए जनपद में बच्चों की टीबी की जांच के लिए गैस्ट्रिक लैवेज तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।

जिला क्षय रोग अधिकारी  डा विपुल कुमार  ने बताया कि जनपद में अक्टूबर 2024 से मार्च 2027 तक विशेष पीडियाट्रिक टीबी रोकथाम अभियान चलाया जा रहा है, जिसके अंतर्गत बच्चों के बलगम हेतु गैस्ट्रिक लैवेज तकनीक का उपयोग किया जा रहा है, जिससे कि बच्चों में टीबी की पहचान की जा सके और उनका उपचार करके टीबी के बैक्टीरिया का उन्मूलन किया जा सके। उन्होंने ने बताया कि गैस्ट्रिक लैवेज तकनीक के लिए टीबी यूनिट स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम किए जा चुके हैं। मेरठ में 1454 ऐसे बच्चे है जिनका टीबी का उपचार विभाग की ओर से किया जा रहा है। 

यह आम खांसी नहीं है

डॉ. विपुल  बताया  ने आमजन से अपील करते हुए कहा कि क्षय उन्मूलन के लिए समुदाय स्तर पर लोगों का जागरूक होना अति आवश्यक है l ज्यादातर अभिवावक बच्चों की खांसी को मौसम का बदलाव या रात में पंखा चलाने को वजह मानते हैं, जबकि यह टीबी का भी संकेत हो सकता है । बच्चे को लगातार खांसी और बुखार बने रहने से टीबी होने का खतरा भी बढ़ जाता है। बच्चों में क्षय रोग (पीडियाट्रिक टीबी) के बारे में जागरूकता बढ़ाने में सभी का सहयोग महत्वपूर्ण है।

बड़ों से भिन्न होतें हैं लक्षण

डीटीओ ने बताया कि बच्चों में टीबी का शीघ्र निदान करना बहुत जरूरी है, क्योंकि इनके लक्षण वयस्कों की अपेक्षा भिन्न और कम स्पष्ट होते हैं। यही कारण है कि बच्चों में टीबी का निदान करना मुश्किल हो सकता है। लेकिन, जनपद में जांच की आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं जो टीबी की पहचान में अत्यधिक प्रभावी साबित हो रही हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों में क्षय रोग के लक्षणों में शामिल हैं- खांसी, बुखार, वजन कम होना, भूख कम होना और गांठों का होना। यदि आपके बच्चे में इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।

बीसीजी का टीका रोकथाम में प्रभावी

डॉ. विपुल  ने यह भी कहा कि बच्चों में क्षय रोग के उपचार में एंटी-ट्यूबरक्यूलर ड्रग्स का उपयोग किया जाता है। उन्होंने कहा, “उपचार की अवधि आमतौर पर 6 महीने होती है, लेकिन यह बच्चे की उम्र और बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करती है।” उन्होंने कहा कि बच्चों में क्षय रोग की रोकथाम के लिए टीकाकरण बहुत महत्वपूर्ण है। नियमित टीकाकरण के तहत लगाए जाने वाला बीसीजी का टीका बच्चों में क्षय रोग की रोकथाम में बहुत प्रभावी है। यह टीका बच्चों को क्षय रोग से बचाने में मदद करता है।

बच्चों में क्षय रोग के लक्षणों में शामिल हैं–

– खांसी जो 2 सप्ताह से अधिक समय तक रहती है

– बुखार

– वजन कम होना

– भूख कम होना

– गांठों का होना

– खांसी में खून आना

– जीनएक्सपर्ट टेस्ट

– सीबी-नेट टेस्ट

– एक्स-रे और सीटी स्कैन

– गैस्ट्रिक लैवेज तकनीक

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