कागजों में लाइसेंस निलबिंत , हकीकत में चला मिला अस्पताल
अगस्त माह में सीएमओ ने अस्पताल की लापरवाही के चलते लाइसेंस को किया निलबिंत
मेरठ। अधिकारियों की आदेशो ंकी किस प्रकार से अवहेलना की जा रही है। इसका ताजा उदाहरण मेंरठ में एक अस्पताल में देखनें को मिला है। जिस अस्पताला का लाइसेंस सीएमओ ने अस्पताल द्वारा की गयी लापरवाही के चलते अगस्त में संस्पेंड कर दिया है। वह अस्पताल वर्तमान में चलता मिला है। बकायदा अस्पताल में मरीजो ंको भर्ती कर मरीजों का उपचार किया जा रहा है। जबकि नियम ये कहना है अगर कोई भी अस्पताल लाइसेंस निलबिंत व जांच के चलते मरीज को अस्पताल में भर्ती नहीं कर सकता है। अगर वह ऐसा करता है सीधे तौर पर उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाती है।
दरअसल सीएमओ ने 26 अगस्त 2025 को जीवन अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया था। पिछले साल अगस्त माह में अब्दुल्लापुर की रहने वाली सुरैया (35) का इलाज इस अस्पताल में हुआ था। उनके लिवर में फोड़ा था। इलाज में लापरवाही शिकायत की गई थी। सीएमओ ने इसकी जांच कराई। बकौल सीएमओ डॉ. अशोक कटारिया, जांच में अस्पताल की तरफ से न तो इलाज के दस्तावेज उपलब्ध कराए गए और न ही यह सही जानकारी दी गई कि सुरैया का इलाज किस चिकित्सक ने किया था। इस आधार पर लाइसेंस निलंबित किया गया था।
ग्राउंड रिपोर्टिग करने पर जब अस्पताल की जांच की गयी तो पहली मंजिल से तीसरी मंजिल में अधिकतर कमरों में मरीज लेटे नजर आए। आईसीयू में भी मरीज भर्ती नजर आए । बकायदा चिकित्सकों की अस्पताल में मरीजों को देखने के वीजिट की जा रही थी। कही भी ऐसा नहीं लगा आदेश का पालन किया जा रहा हो।
जिला अध्यक्षता में बनायी कमेटी कर रही जांच
जीवन हॉस्पिटल के लाइसेंस निलबिंत होने के बाद जिला अधिकारी की अध्यक्षता मेें कमेटी बनायी गयी। जिसमें सीएमओ, एसीएमओ व सीडीओ को रखा गया। वर्तमान समय में अस्पताल की जांच चल रही है। निलबिंत लाइसेंस को बहाल नहीं किया गया ।
अस्पताल के बहाल करने की मांग को लेकर कर्मी कर चुके है प्रदर्शन
अस्पताल के लाइसेसं के बहाली के एक व्यापारी के नेतृत्व में अस्पताल कर्मियों ने इस मामले में सीएमओ से एक माह पूर्व मुलाकात करते हुए अस्पताल के लाइसेंस को बहाल करने की मांग की थी। जिस पर सीएमओ ने साफ शब्दों में कहना। कि जब अस्पताल की जांच चल रही है। तब तक लाइसेंस बहाल नहीं किया जा सकता है।
ये था मामला
पिछले साल अगस्त माह में अब्दुल्लापुर की रहने वाली सुरैया (35) का इलाज इस अस्पताल में हुआ था। उनके लिवर में फोड़ा था। इलाज में लापरवाही शिकायत की गई थी। सीएमओ ने इसकी जांच कराई। बकौल सीएमओ डॉ. अशोक कटारिया, जांच में अस्पताल की तरफ से न तो इलाज के दस्तावेज उपलब्ध कराए गए और न ही यह सही जानकारी दी गई कि सुरैया का इलाज किस चिकित्सक ने किया था। इस आधार पर लाइसेंस निलंबित किया गया था। इस संबंध में सर्वोदय अस्पताल के संचालक डॉ. नागेंद्र का कहना था कि दोषी जीवन अस्पताल है। उसने फर्जी दस्तावेज बनवाए हैं और सीएमओ कार्यालय में दिए हैं। वह अगर सही थे तो जब जांच समिति जांच करने गई थी तब क्यों नहीं दिए।
बोले अधिकारी
इस बारे में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. अशोक कटारिया से जानकारी ली गयी तो उनका कहना था अगर अस्पताल में मरीजों को भर्ती कर कर उपचार कराया जा रहा है। यह अपराध है उन्होेनें कहा अस्पताल के खिलाफ एफआईआर व सील की कार्रवाई की जाएगी।



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