सूक्ष्मजैविकी और रोग निदान में नई दिशाएँ

मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (सीसीएसयू), मेरठ परिसर स्थित सूक्ष्मजैविकी एवं जैव प्रौद्योगिकी विभागों के संयुक्त तत्वावधान में “सूक्ष्मजैविकी और रोग निदान में अंशीय दृष्टिकोण” विषय पर एक विशेष आमंत्रित व्याख्यान का आयोजन किया गया। यह आयोजन कुलपति प्रोफ़ेसर संगीता शुक्ला के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में सम्पन्न हुआ।

गौरतलब है कि इसी वर्ष कुलपति प्रोफ़ेसर संगीता शुक्ला के नेतृत्व में प्रो मृदुल कुमार गुप्ता,निदेशक अनुसंधान प्रोफ़ेसर बीरपाल सिंह व  प्रोफ़ेसर जितेन्द्र कुमार का प्रतिनिधि मंडल वियतनाम की नोंग लाम विश्वविद्यालय गए थे, जहाँ दोनों विश्वविद्यालयों के बीच एक शैक्षणिक समझौता (एमओयू) सम्पन्न हुआ। आज का कार्यक्रम उसी एमओयू के क्रम में आयोजित किया गया।

मुख्य वक्ता डॉ. गुयेन बाओ क्वोक, सहयोगी प्राध्यापक एवं निदेशक, नोंग लाम विश्वविद्यालय, हो ची मिन्ह सिटी (वियतनाम) रहे।

कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। विश्वविद्यालय के प्रो-उपकुलपति एवं मुख्य अतिथि प्रोफ़ेसर मृदुल कुमार गुप्ता, विशिष्ट अतिथि प्रोफ़ेसर बीरपाल सिंह, प्रोफ़ेसर जितेन्द्र सिंह, प्रोफ़ेसर अमित बलियान और सहायक आचार्य डॉ. लक्ष्मण नागर उपस्थित रहे।

मुख्य वक्ता ने सूक्ष्मजैविकी और रोग निदान में अंशीय दृष्टिकोण की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी में इन पद्धतियों का महत्व निरंतर बढ़ रहा है और भारत व वियतनाम जैसे विकासशील देशों में यह तकनीक रोगों की पहचान में अत्यंत सहायक होगी।

कार्यक्रम का संचालन डॉ.  ज्ञानिका शुक्ला ने किया। लगभग 130 छात्र-छात्राओं ने सक्रिय भागीदारी की और दोनों विभागों के प्राध्यापक, शोधार्थी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे। धन्यवाद ज्ञापन प्रोफ़ेसर अमित बलियान द्वारा प्रस्तुत किया गया।

 पूर्व में वियतनाम में हो चुके एमओयू के तहत स्टूडेंट एक्सचेंज की रूपरेखा तय

कार्यक्रम के बाद दोनों विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों की बैठक आयोजित की गई। बैठक में भविष्य में स्टूडेंट और फैकल्टी एक्सचेंज कार्यक्रम आयोजित करने पर सहमति बनी। इसके अंतर्गत सीसीएसयू के विद्यार्थी वियतनाम जाएंगे और नोंग लाम विश्वविद्यालय के विद्यार्थी मेरठ आकर अध्ययन एवं शोध गतिविधियों में भाग लेंगे।


 प्रतिकुलपति प्रो मृदुल कुमार गुप्ता ने कहा, “इस प्रकार के अंतरराष्ट्रीय सहयोग से शोध की गुणवत्ता बढ़ती है और विद्यार्थियों को वैश्विक स्तर पर सीखने तथा अनुभव प्राप्त करने का अवसर मिलता है। सीसीएसयू विश्व पटल पर अपनी पहचान और सुदृढ़ कर रहा है।”

शोध निदेशक प्रोफेसर बीरपाल सिंह ने कहा कि यह पहल विश्वविद्यालय की अंतरराष्ट्रीय दृष्टि का परिणाम है और इसके माध्यम से शोध एवं शिक्षा में नई ऊँचाइयाँ प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।

बायोटेक विभाग में भी स्वागत और परिचय

विशेष व्याख्यान और बैठक के बाद नोंग लाम विश्वविद्यालय के प्रतिनिधियों का बायोटेक विभाग में सांस्कृतिक स्वागत किया गया। इस अवसर पर डॉ प्रदीप कुमार द्वारा उन्हें छात्रों के साथ विभाग की प्रयोगशालाओं का परिचय कराया गया।

प्रतिनिधियों को भारतीय संस्कृति से परिचित कराया गया और नवरात्रों के अवसर पर आयोजित डांडिया नृत्य भी सिखाया गया। अतिथियों ने बड़े उत्साह के साथ छात्रों के साथ इस नृत्य में भाग लिया। कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों और प्रतिनिधियों के बीच गर्मजोशी और संवाद का माहौल बना रहा।

इस कार्यक्रम ने न केवल अंतरराष्ट्रीय सहयोग की प्रक्रिया को और जीवंत किया, बल्कि विद्यार्थियों को वैश्विक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी जोड़ने का अवसर प्रदान किया।

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