गौ आश्रय स्थल में की जाये समस्त गौवंश की टैगिंग-नोडल अधिकारी 

गो आश्रय स्थलों को मॉडल गो आश्रय स्थल बनाने हेतु दिया सुझाव 

 नोडल अधिकारी ने गौवंश संरक्षण/भरण-पोषण के सम्बन्ध में जिला स्तरीय अधिकारियों के साथ की बैठक 

   मेरठ । मंगलवार क विकास भवन सभागार में प्रबन्ध निदेशक प्रादेशिक कोआपरेटिव डेयरी फेडरेशन लि./नोडल अधिकारी  वैभव श्रीवास्तव की अध्यक्षता में गौवंश संरक्षण/भरण-पोषण के सम्बन्ध में जिला स्तरीय अधिकारियों के साथ बैठक की गई। जिसमे नोडल अधिकारी ने गो आश्रय स्थलों को मॉडल गो आश्रय स्थल बनाने का  दिया सुझाव दिया। 

नोडल अधिकारी द्वारा निर्देशित किया गया कि गौ आश्रय स्थल में समस्त गौवंश की टैगिंग की जायें। नोडल अधिकारी द्वारा गो आश्रय स्थलों को मॉडल गो आश्रय स्थल बनाने हेतु सुझाव दिया गया जिस पर जिलाधिकारी द्वारा अवगत कराया गया कि  प्रभारी मंत्री  के निर्देशानुसार सर्वप्रथम जनपद की 3 गो आश्रय स्थल को मॉडल गौशाला बनाया जायेगा ताकि समाजसेवी व्यक्ति, गो सेवक, गो रक्षक व अन्य सामाजिक व्यक्तियों को जोड़कर गोमय उत्पादों को बढ़ावा दिया जा सकें ताकि गोशाला आत्म निर्भर बन सकें। उन्होने कहा कि गौशालाओं को मॉडल गोशाला बनाने हेतु निम्न सुविधा होनी चाहिये।

टीन शेड पर्याप्त मात्रा में हो, नर व मादा एंव छोटे बच्चों के लिये अलग-अलग शेड हो, गर्भित गोवंश की अलग से व्यवस्था हों, पीने का साफ पानी हो, गोवंश को पर्याप्त मात्रा में न्यूट्रिशियन दिया जायें। पशु की ऊँचाई के अनुसार चरही हों, गोवंश की क्षमता के अनुरूप केयर टेकर हो तथा उनको गोवंश के रखरखाव की ट्रैनिग दी जायें तथा उनके कार्य करने की समय सारणी बनायी जायें, गो आश्रय स्थलों में गर्मी/सर्दी से बचाव हेतु समुचित व्यवस्था होनी चाहिये, गो आश्रय स्थलों की नियमित सफाई हो, गोशाला में केयर टेकर का नाम/रात्रि चौकीदार का नाम गो आश्रय स्थल में बोर्ड पर अंकित हो, गो आश्रय स्थल में ही बोर्ड पर पशु चिकित्साधिकारी/खण्ड विकास अधिकारी/अधिशासी अधिकारी का नाम व उनका मोबाईल नम्बर अंकित होना चाहियें, गो आश्रय स्थल से लिंक भूमि पर बहुवर्षीय हरा चारा उगाया जायें। गो आश्रय स्थल में पावर कनेक्शन/सोलर लाईट होनी चाहिये, जनपद में एक ट्रामा सेन्टर बनाया जाये जहाँ गोवंश की संख्या अधिक हों, गो आश्रय स्थलों में गोबर गैस प्लांट चलाने वाले व्यक्तियों की ट्रेनिग करायी जायें, गोमूत्र के उपयोग से होने वाले फायदों का प्रचार किया जायें, गोबर के लट्ठे बनाये जाये अथवा गोबर से पेन्ट तैयार कराया जायें ताकि गो आश्रय स्थल आत्म निर्भर बन सकें, गो आश्रय स्थलों को फूल एंव पत्ती के पौधे लगाये जायें, गो आश्रय स्थलों में वृक्षारोपण कराया जायें ताकि गर्मी में पशुओं को छाया मिल सकें, मृत गोवंश का विधिवत निस्तारण कराया जायें।

इस दौरान नोडल अधिकारी द्वारा अस्थाई गो आश्रय स्थल धीरखेडा विकास खण्ड-खरखौदा का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान नोडल अधिकारी द्वारा मुख्य विकास अधिकारी, अपर निदेशक ग्रेड-2 पशुपालन विभाग मेरठ मंडल मेरठ, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी मेरठ, पशु चिकित्साधिकारी खरखौदा एवं पशु चिकित्साधिकारी मुण्डाली के साथ गोशाला में गौवंश को फूल माला पहनाकर गोपूजन किया गया तथा गौवंशो को फलाहार कराया गया। निरीक्षण के दौरान गो आश्रय स्थल में 119 गौवंश संरक्षित पाये गये सभी गौवंशो का स्वास्थ्य अच्छा पाया गया, मौके पर गोशालाओं में पर्याप्त मात्रा में भूसा/हरा चारा गोवंश को खिलाया जा रहा था। नोडल अधिकारी द्वारा गो आश्रय स्थल की व्यवस्था को उत्तम बताया गया।  अस्थाई गो आश्रय स्थल हसनपुर कदीम विकास खण्ड-रजपुरा का भी निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान गो आश्रय स्थल में 64 गौवंश संरक्षित पाये गये। गो आश्रय स्थल में साफ-सफाई की अच्छी व्यवस्था पायी गयी, गौवंश का स्वास्थ्य अच्छा पाया गया तथा मौके पर पर्याप्त मात्रा में भूसा/हरा चारा पाया गया।

इस अवसर पर जिलाधिकारी डा. वी.के. सिंह, सीडीओ नूपुर गोयल, नगर आयुक्त सौरभ गंगवार, अपर निदेशक ग्रेड-2 पशुपालन विभाग मेरठ मंडल  डा. मानव, एसपी देहात राकेश कुमार मिश्रा, जिला सूचना अधिकारी सुमित कुमार, जिला कृषि अधिकारी राजीव कुमार, जिला पंचायत राज अधिकारी वीरेन्द्र सिंह, समस्त उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी/पशु चिकित्साधिकारी मेरठ, समस्त खण्ड विकास अधिकारी मेरठ एवं समस्त अधिशासी अधिकारी नगर पंचायत/नगर पालिका मेरठ सहित मेरठ मंडल के समस्त मुख्य पशु चिकित्साधिकारी उपस्थित रहे।


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