लघुकथाओं में नवाचार करते रहना जरूरी :  डाॅ.दवे

डाॅ. पुरुषोत्तम दुबे के लघुकथा संग्रह  साल हा साल का लोकार्पण

  इंदौर। संवेदनशीलता और सकारात्मकता के साथ ही डाॅ. पुरुषोत्तम दुबे द्वारा लिखित लघुकथाओं में नवाचार भी दिखाई पड़ता है। लघुकथाओं में नवाचार करते रहना जरूरी है।

   यह बात साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश के निदेशक डाॅ. विकास दवे ने कही। डाॅ. दवे वरिष्ठ लघुकथाकार और सेवानिवृत्त प्राध्यापक डाॅ. पुरुषोत्तम दुबे के लघुकथा संग्रह साल हा साल के लोकार्पण समारोह में अध्यक्षीय उद्बोधन दे रहे थे। श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति के शिवाजी सभागार में रविवार सुबह यह समारोह आयोजित किया गया था। वरिष्ठ साहित्यकार और वामा साहित्य मंच की अध्यक्ष श्रीमती ज्योति जैन ने लघुकथा संग्रह पर चर्चा करते हुए कहा कि डाॅ. पुरुषोत्तम दुबे की लिखीं ये लघुकथाएं समाज के विभिन्न वर्गों के लिए संदेश और प्रेरणा देने वाली हैं। वरिष्ठ लघुकथाकार श्रीमती अंतरा करवड़े ने इन लघुकथाओं की भाषा और शिल्प पर प्रकाश डालते हुए इन्हें प्रभावी बताया। वरिष्ठ लघुकथाकार डाॅ. वसुधा गाडगिल ने स्वागत उद्बोधन और अतिथि परिचय दिया। अतिथियों का स्वागत श्रीमती शशिकला दुबे, शालीन दुबे, आभा ठाकुर ने किया। सरस्वती वंदना डाॅ. शशि निगम ने प्रस्तुत की। संचालन विचार प्रवाह साहित्य मंच के अध्यक्ष  मुकेश तिवारी ने किया।इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार श्री सूर्यकांत नागर, श्री नर्मदा प्रसाद उपाध्याय सहित अनेक वरिष्ठ लेखक, लेखिकाएं और साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।


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