पुरस्कार और प्रमाण पत्र पाकर खिल उठे प्रतिभागियों के चेहरे
कार्यशाला के भव्य समापन में कलाकारों को किया सम्मानित
मेरठ। सोमवार को ललित कला विभाग चौधरी चरण सिंह विवि में राज्य ललित कला अकादमी उत्तर प्रदेश एवं संस्कृति प्रभार के संयुक्त तथा तत्वाधान में आयोजित "20 दिवसीय ग्रीष्मकालीन चित्रकला कार्यशाला" के समापन समारोह में प्रतिभागियों, कला प्रशिक्षकों एवं कलाकारों को प्रमाण पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।
समापन समारोह मैं बतौर मुख्य अतिथि , कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला कुलपति एवं बतौर अति विशिष्ट अतिथि ,प्रति कुलपति प्रोफेसर कुमार गुप्ता , लोक कलाकार डॉ मधु बाजपेई द्वारा "20 दिवसीय ग्रीष्मकालीन चित्रकला कार्यशाला'" के दौरान प्रतिभागियों द्वारा बनाए गए कलाकृतियों को देखकर भूरि - भूरि प्रशंसा की। समापन समारोह के प्रात कालीन सत्र में राज्य ललित कला अकादमी के सदस्य ,प्रख्यात चित्रकार एवं शिक्षाविद, डॉ दुर्जन सिंह राणा द्वारा "लाइव पोर्ट्रेट डेमोंसट्रेशन" के अंतर्गत बहुत ही अल्प समय में डॉ शालिनी धामा का बहुत ही सुंदर और संजीव पोट्रेट बनाया गया। जिसे देखकर सब मंत्र मुक्त हो गए। आर्टिस्ट डॉ दुर्जन सिंह राणा ने पोट्रेट बनाने की बनाने की विधि के ऊपर व्याख्यान भी प्रस्तुत किया। जिसके लिए उन्हें मंच से पटका पहनाकर तथा स्मृति चिन्ह प्रदान कर मुख्य अतिथियों द्वारा सम्मानित भी किया गया। इस दौरान कार्यशाला के अंतर्गत विद्यार्थियों को कला प्रशिक्षण देने वाले कल प्रशिक्षकों को भी प्रमाण पत्र एवं स्मृति चिन्ह बैठकर सम्मानित किया गया जिसमें आर्टिस्ट दीपांजलि, विनीत गुप्ता डॉ ऋषिका पांडे, डॉ मधु बाजपेई, शिप्रा शर्मा, को सम्मानित किया गया।
मुख्य अतिथि प्रोफेसर संगीता शुक्ला जी ने कहा कि कला विद्यार्थियों द्वारा बनाए गए फाइल फोल्डर ,जूट एवं हैंडलूम के बैग पर की गई चित्रकारी, पट्ट चित्र, तंजौर शैली तथा मधुबनी एवं वर्ली पेंटिंग, कला विद्यार्थियों की प्रतिभा का उत्कृष्ट नमूना है। विद्यार्थियों को अपने इस कला हुनर को आत्मनिर्भरता का साधन बनाना चाहिए। कला विद्यार्थी आसानी से इसे से जीविकोपार्जन कर सकते हैं आगामी दीक्षांत समारोह तथा विश्वविद्यालय में होने वाले सेमिनार व संगोष्ठियों मे विद्यार्थियों के हाथ से बनी फाइल व फोल्डर आदि प्रयोग में लाई जा सकती है। यह कार्यशाला निश्चय ही कला विद्यार्थियों के हुनर , और उनके स्वावलंबन को एक नई दिशा प्रदान करेगी।
अति विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर मृदुल गुप्ता मैं सभी कलाकृतियां पर विद्यार्थी के नाम के साथ-साथ कलाकृति की कीमत को भी प्रदर्शित करने की पेशकश की ताकि कोई भी कलाकृति को खरीद सके। और उसके बनाने वालों को सीधे सीधे उसका लाभ मिल सके। उन्होंने विद्यार्थियों को मार्केटिंग के महत्वपूर्ण टिप्स भी दिए। कार्यक्रम की समन्वयक प्रोफेसर अलका तिवारी ने बताया कि कार्यशाला में मोदीनगर,गाजियाबाद,हापुड़ ,मुजफ्फरनगर ,बड़ौत, बागपत, बुलंदशहर, मेरठ, आदि अनेक स्थानों से कलाकारों ने भाग लेकर कल की विभिन्न विधाओं में कला प्रशिक्षकों द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त किया। 100 से भी अधिक कल विद्यार्थी लाभान्वित हुए। कार्यशाला की आयोजन में डॉ पूर्णिमा वशिष्ठ, डॉ शालिनी आर्टिस्ट दीपांजलि खालिद, आकाश, डॉ रीता सिंह, का विशेष सहयोग रहा। इस अवसर विश्वविद्यालय परिसर के अनेक विभागों के छात्र-छात्राएं भी भारी संख्या में उपस्थित रहे। 20 दिवसीय ग्रीष्मकालीन कला लक्ष्यो की प्राप्ति तथा विद्यार्थियों को आप निर्भर बनाने की दिशा में कारगर सिद्ध हुई।
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