पापुलर मेरठी ने अपने अनोखे अंदाज और अदायगी के कारण हास्य शायरी में एक प्रतिष्ठित स्थान अर्जित किया है : प्रोफ़ेसर असलम जमशेदपुरी

प्रसिद्ध शायर पापुलर मेरठी के आगमन पर सीसीएसयू के उर्दू विभाग में एक कार्यक्रम का आयोजन 

मेरठ । हास्य के साथ, मुर्दा दिल भी ज़िंदगी की ओर मुड़ने लगते हैं और इंसान अपने दुख-दर्द को, चाहे कुछ देर के लिए ही सही, भूल जाता है। तंज़ो मजाह के शायर अपनी शायरी में विभिन्न विषयों को इस तरह प्रस्तुत करते हैं कि वह खूबसूरत और हर दिल अज़ीज़ बन जाती है। वह हास्य और व्यंग्य के माध्यम से आम जीवन की घटनाओं, राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों पर टिप्पणी करते हैं और अपनी आलोचनात्मक अंतर्दृष्टि से तथ्यों को उजागर करते हैं। ये शब्द  प्रोफ़ेसर असलम जमशेदपुरी के थे, जो पापुलर मेरठी के आगमन पर उर्दू विभाग में आयोजित कार्यक्रम में अपना अध्यक्षीय भाषण दे रहे थे। 

उन्होंने आगे कहा कि सैयद एजाज उर्फ 'पापुलर मेरठी' इस दायित्व को बखूबी निभा रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी उन्होंने अपनी अनूठी शैली से मेरठ और देश का नाम रोशन किया है। पॉपुलर मेरठी ने अपने अनोखे अंदाज और अदायगी कारण हास्य कविता के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित स्थान अर्जित किया है।

इससे पहले, डॉ. अलका वशिष्ठ ने डॉ. सैयद एजाज अली पॉपुलर मेरठी का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की शुरुआत की। संचालन डॉ. शादाब अली ने किया।कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉ. आसिफ अली ने कहा कि पॉपुलर मेरठी एक सुप्रसिद्ध हास्य कवि हैं, उच्च शिक्षित हैं और विविध गुणों से युक्त हैं। आपकी कविताओं में हास्य के साथ-साथ रोमांस का भी पुट है, साथ ही समाज और विशेष रूप से समकालीन राजनीति पर आपकी गहरी नज़र भी है। पॉपुलर मेरठी हल्के-फुल्के अंदाज में ऐसी बातें कह जाते हैं कि श्रोता देर तक उनकी गहराइयों में खो जाते हैं। आपकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आप अक्सर दूरदर्शन सहित विभिन्न चैनलों के सेमिनारों और काव्य पाठ में भाग लेकर दर्शकों का मनोरंजन भी करते हैं, और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी आपको खूब सुना और देखा जाता है।

इस अवसर पर पॉपुलर मेरठी ने प्रसिद्ध कविताओं के अलावा "मैं भी एक उम्मीद हूँ, मीर और ग़ालिब, यारो, मुझे सलाम करो, मैं एक वज़ीर हूँ" और "चलो दिलदार चलो" जैसी कविताएँ सुनाकर उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। चुनिंदा कविताएँ इस प्रकार हैं:

तदबीर का खोटा है, मुकद्दर से लड़ा है, 

दुनिया उसे करती है  कि चालाक बड़ा है।

वो तीस का है और दुल्हन साठ बरस की, 

गिरती हुई दीवार के साये में खड़ा है।।        

कभी इसे कभी उस पार्टी को छोड़ देता हूँ,

मैं सबके वास्ते अपनी खुशी को छोड़ देता हूँ।

जहाँ के लोग मेरी असलियत को जान जाते हैं,

कसम अल्लाह की, मैं उस गली को छोड़ देता हूँ।।

कार्यक्रम में सईद अहमद सहारनपुरी, मुहम्मद शमशाद, फरहत अख्तर और छात्र मौजूद थे।


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