1 अगस्त से मनाया जाएगा विश्व स्तनपान सप्ताह, थीम है— 'स्तनपान को प्राथमिकता दें'
शिशु स्वास्थ्य, मातृत्व और पर्यावरण की रक्षा में अहम भूमिका निभाता है स्तनपान-सीएमओ
"प्राकृतिक टीका" है मां का दूध: डॉ. प्रशांत कुमार
मुज़फ्फरनगर, 31 जुलाई 2025।हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी 1 अगस्त से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाएगा। यह सप्ताह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और यूनिसेफ के सहयोग से पूरे विश्व में मनाया जाता है, ताकि शिशु और मातृ स्वास्थ्य के लिए स्तनपान के महत्व को प्रचारित किया जा सके।
इस वर्ष की थीम – "स्तनपान को प्राथमिकता दें – Invest in Breastfeeding, Invest in the Future" रखी गई है। इस थीम के ज़रिए माताओं को न केवल स्तनपान के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, बल्कि यह संदेश भी दिया जाएगा कि स्तनपान में निवेश का अर्थ है भविष्य में स्वस्थ समाज और पर्यावरण की दिशा में कदम बढ़ाना।
शिशु जीवन रक्षा का सबसे सरल उपाय है स्तनपान
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुनील तेवतिया के अनुसार, “स्तनपान बच्चों को पोषण देने और बीमारियों से बचाने का सबसे कारगर तरीका है। शिशु के जन्म के पहले घंटे में स्तनपान शुरू करना और छह महीने तक केवल मां का दूध देना बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है। इससे डायरिया, निमोनिया जैसी जानलेवा बीमारियों से शिशुओं की रक्षा होती है।”
स्तनपान न सिर्फ बच्चों के लिए, बल्कि माताओं के लिए भी फायदेमंद है। इससे स्तन कैंसर, डिम्बग्रंथि (ओवेरियन) कैंसर और टाइप-2 डायबिटीज का खतरा कम होता है।"प्राकृतिक टीका" है मां का दूध: डॉ. प्रशांत कुमार
नोडल अधिकारी डॉ. प्रशांत कुमार ने बताया कि स्तन के दूध में प्राकृतिक एंटीबॉडी और पोषक तत्व होते हैं, जो शिशु को प्रारंभिक छह महीनों तक सभी आवश्यक पोषण प्रदान करते हैं। “मां का दूध बच्चे के लिए पहला टीका है,” उन्होंने कहा। विशेष रूप से आपातकालीन परिस्थितियों—जैसे बाढ़, भूकंप या महामारी के समय—स्तनपान बच्चों के लिए सुरक्षित, सस्ता और आसानी से उपलब्ध भोजन का जरिया बनता है।
उन्होंने यह भी बताया कि स्तनपान के ज़रिए न केवल माताओं और शिशुओं का स्वास्थ्य सुधरता है, बल्कि यह परिवार के आर्थिक बोझ को भी घटाता है और पर्यावरण पर बोतल, डिब्बा और कृत्रिम दूध से होने वाले प्रदूषण को भी कम करता है।
पूरे सप्ताह चलेंगी जागरूकता गतिविधियाँ
भारत सरकार और राज्य सरकारों के निर्देश पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा बहुएं और स्वास्थ्य कर्मी इस सप्ताह घर-घर जाकर स्तनपान के लाभों के बारे में माताओं को जागरूक करेंगी।
अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और गांवों में स्तनपान पर कार्यशालाएं, पोषण जागरूकता कार्यक्रम, पोस्टर प्रदर्शनी और सामूहिक चर्चा जैसी गतिविधियां आयोजित की जाएंगी।
क्यों जरूरी है स्तनपान सप्ताह?
शिशुओं की मृत्यु दर घटाने में सहायक
बच्चों के मस्तिष्क और शारीरिक विकास को बढ़ावा
माताओं में गंभीर बीमारियों का खतरा कम
कृत्रिम दूध के खर्च और कुपोषण से मुक्ति
समाज और पर्यावरण के लिए भी लाभकारी
विश्व स्तनपान सप्ताह सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि मां और शिशु दोनों के लिए स्वास्थ्य, सशक्तिकरण और सम्मान का संदेश है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि स्तनपान को सही रूप में अपनाया जाए, तो यह एक पीढ़ी के स्वास्थ्य को बदलने में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
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