अल्लाह ये कैसा इंसाफ, बेटा दिया और बेटी छीन ली

मेरठ में बच्चों को जहर खिलाने वाली मां बोली- अब जीना नहीं चाहती

मेरठ। "शादी को 8 साल से अधिक हो गए। कोई दिन ऐसा नहीं गया, जब शौहर के हाथों मार न खाई हो। वह बात-बात पर मुझे पीटता है। मेरी तबीयत खराब रहती है, लेकिन वह इलाज नहीं कराता। मेरे दोनों बच्चे बड़ी मुश्किल से इलाज के बाद हुए। वह उनका भी ध्यान नहीं रखता।उसके तानों से इतनी दुखी हूं कि पहले भी तीन बार सुसाइड की कोशिश कर चुकी हूं। रेल पटरी पर जाकर लेट गई थी। हर बार पड़ोसियों ने मुझे बचा लिया। इस बार मैंने सोच लिया था कि रेल पटरी नहीं, जहर खाकर मरूंगी। बुधवार को मौका मिलते ही जहर खा लिया।ये बातें मेरठ के कंकरखेड़ा थाना क्षेत्र की आबिदा ने कहीं। 

बुधवार को उसका पति से किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ। इसके बाद उसने तीन साल के बेटे जैद और पांच साल की बेटी के साथ जहर खा लिया। घरवालों ने तीनों को अस्पताल में भर्ती कराया। यहां बेटी की मौत हो गई, जबकि बेटा और उसकी मां का अस्पताल में इलाज चल रहा है।26 जून को आबिदा ने एक बच्चे को जन्म दिया था। हालांकि, बेटी की मौत की खबर उससे काफी देर तक छिपाई गई। जब घरवालों ने बताया तो वह फूट-फूट कर रोने लगी। कहा- अल्लाह का कैसा इंसाफ है, आज एक बेटा दिया और मेरी बेटी छीन ली। दैनिक भास्कर ने अस्पताल पहुंचकर आबिदा से बात की और उसका दर्द जाना। पढ़िए रिपोर्ट....

पैसे नहीं देता, दूसरे के घरों में काम करूं तो कहता है- बेइज्जती कराई

आबिदा का निकाह कंकरखेड़ा के जटौली गांव में रहने वाले राशिद से हुआ था। आबिदा ने बताया- घरवालों की पसंद से मेरी शादी हुई थी, लेकिन शादी के बाद से कभी परिवार का सुख नहीं मिला। शादी के कुछ ही दिन बाद पति मेरठ के कंकरखेड़ा में मेरे मायके में आकर रहने लगा।यहीं मेरे बच्चे भी हुए। लेकिन मायके में कब तक रहूं? मेरे घरवाले ही हमारा खर्च उठाते रहे। अब जाकर पति ने ठेला लगाने का काम शुरू किया। मेरे बार-बार झगड़ने के बाद यहां मकान बनवाया, लेकिन घर खर्च के पैसे अब भी नहीं देता।तीन साल के बेटे जैद के सिर में पानी भर गया था।मैंने किसी तरह लोगों से पैसे मांगकर उसका इलाज कराया, नहीं तो वह मर जाता। मैं घरों में काम करके पैसे लाती हूं, उसी से घर चलता है। लेकिन यही बात पति को पसंद नहीं। वह कहता है कि तूने मेरी बेइज्जती कराई। खुद पैसे देता नहीं, मैं किसी तरह कमाई करूं तो ताने देता है। अपने बीमार बच्चे का चेहरा मुझसे देखा नहीं जाता, लेकिन पति इन बातों को सुनता नहीं। इसी वजह से हमारा झगड़ा होता है।

पति ने डांटा तो दुख हुआ, इसलिए बच्चों को खिलाकर खुद जहर खाया

पति काम पर नहीं जाता। दिन भर खाली बैठा रहता है। मैं जब कुछ कहती हूं तो लड़ने लगता है। बुधवार दोपहर को भी हमारा झगड़ा हुआ था। उसने मुझे उल्टा-सीधा कह दिया और गुस्से में घर से बाहर चला गया। उसकी डांट से मुझे इतना दुख हुआ कि रोने लगी। मैंने सोचा कि जिस शौहर के लिए मैं सब कुछ करती हूं, वही मेरी कदर नहीं करता। मेरे बीमार बच्चे का इलाज तक नहीं कराता।तब मैंने ठान लिया कि अब जिंदा नहीं रहूंगी। अपने साथ बच्चों को भी ले जाऊंगी, क्योंकि मुझे चिंता थी कि मेरे बाद मेरे बच्चों को कौन पालेगा? मुझे पता है कि बच्चों के दादा-दादी नहीं हैं। मायके वाले भी कितने दिन तक बच्चों को पालेंगे? मैंने पहले से ही घर में जहर लाकर रख लिया था। यही सोचकर जहर पानी में घोला। पहले बेटी जायरा और फिर बेटे जैद को जहरीला पानी पिला दिया। इसके बाद खुद भी पी लिया।

आबिदा ने प्रीमैच्योर बेटे को दिया जन्म

जहर खाने के बाद आबिदा और बच्चों की हालत बिगड़ गई, तो घरवालों ने तीनों को अस्पताल में भर्ती कराया। यहां उसकी बेटी की मौत हो गई। डॉक्टरों की जांच के दौरान पता चला कि आबिदा सात महीने की गर्भवती है। डॉक्टर उसे बचाने की कोशिश में लगे रहे।गुरुवार दोपहर 12 बजे अचानक आबिदा को दर्द हुआ। ICU में अल्ट्रासाउंड किया गया, जिसमें इमरजेंसी डिलीवरी की जरूरत पड़ी। डॉक्टरों ने फौरन ICU में उसका प्रसव कराया। आबिदा ने एक प्रीमैच्योर बेटे को जन्म दिया। बच्चे की हालत गंभीर है और उसे इमरजेंसी वार्ड में रखा गया है, जबकि आबिदा अब खतरे से बाहर है।

बेटी जायरा का हुआ अंतिम संस्कार

गुरुवार को आबिदा के मायके वालों ने उसकी 5 साल की बेटी जायरा को दफनाया। आबिदा को शाम तक बेटी की मौत की खबर नहीं दी गई, ताकि वह मानसिक रूप से और न टूटे। वह बार-बार बच्चों को देखने की जिद करती रही। देर शाम जब उसे बताया गया कि जायरा की मौत बुधवार को हो गई थी, तो वह फूट-फूटकर रोने लगी।

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