योगी सरकार सरकारी स्कूलों को बन्द करके गरीबों, मजलूमों, वंचितों के बच्चों को शिक्षा से दूर करना चाहती है: अंकुश चौधरी
सरकार मधुशालाएं खोलने में व्यस्त है, जबकि पाठशालाएं बंद की जा रही हैं
मेरठ। शुक्रवार को आज आम आदमी पार्टी, मेरठ जिलाध्यक्ष अंकुश चौधरी के नेतृत्व में प्रतिनिधि मंडल ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों को मर्ज करने/बंद करने के निर्णय के खिलाफ जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, मेरठ आशा चौधरी को ज्ञापन सौंपा।
प्रदेश प्रवक्ता/जिला अध्यक्ष अंकुश चौधरी ने इस निर्णय को गरीब, दलित, वंचित, और शोषित समाज के बच्चों के भविष्य के लिए घातक बताया और इसे शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 का खुला उल्लंघन करार दिया। अंकुश चौधरी ने कहा, "योगी आदित्यनाथ सरकारी स्कूलों को मर्ज करके गरीबों, मजलूमों, और वंचितों के बच्चों को शिक्षा से दूर करना चाहते हैं। यह निर्णय बच्चों के भविष्य पर बुलडोजर चलाने जैसा है। पिछले 4 वर्षों में 42 लाख बच्चों ने सरकारी स्कूल छोड़े हैं, और केवल 1 वर्ष में 8 लाख बच्चों ने पढ़ाई छोड़ दी है। अलीगढ़ में ही 58,000 बच्चों ने सरकारी स्कूल छोड़े हैं, जबकि 5,695 स्कूलों में केवल एक शिक्षक है। यह दर्शाता है कि सरकार जानबूझकर शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद कर रही है ताकि शिक्षा का निजीकरण हो सके।"उन्होंने आगे कहा, "सरकार मधुशालाएं खोलने में व्यस्त है, जबकि पाठशालाएं बंद की जा रही हैं। 2024 में 27,308 मधुशालाएं खोली गईं, और 2025 में 27,000 स्कूल बंद करने की योजना है। यह मधुशाला बनाम पाठशाला की लड़ाई है। प्रदेश की जनता मधुशाला के बजाय पाठशाला चाहती है ताकि हमारे बच्चे शिक्षित हो सकें। चौधरी ने बताया कि मिड-डे मील योजना, जो गरीब बच्चों को स्कूल लाने के लिए शुरू की गई थी, में नमक-रोटी और कीड़े-मकोड़े जैसी शिकायतें आम हैं। सरकार गुणवत्ता सुधारने के बजाय स्कूल बंद करने पर ध्यान दे रही है। RTE एक्ट के तहत 1 किलोमीटर के दायरे में स्कूल होना अनिवार्य है, लेकिन सरकार इस जिम्मेदारी से भाग रही है। यह नीति न केवल बच्चों को शिक्षा से वंचित करेगी, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों को और पीछे धकेलेगी।
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