मजलिसों में बहे अश्क, मातमी जुलूस आज से
शहर और जैदी फॉर्म में कई बड़ी मजलिसों का आयोजन
मोहर्रम के साथ नया मुस्लिम साल शुरू
मजलिसों में जंग ए करबला की दास्तां सुन रोए सागवार
यौम ए आशुरा 6 जुलाई को
मेरठ। सैकड़ों साल पहले हुई जंग ए करबला का दर्द आज भी हुसैनी सोगवारों के दिलों में मौजूद है। शुक्रवार से मुस्लिमों के नए साल के रूप में शुरू हुआ मोहर्रम का महीना हुसैनी सोगवारों के दर्द को और बढ़ाएगा।
शुक्रवार को शहर से लेकर जैदी फॉर्म, लोहिया नगर, अब्दुल्लापुर, धौड़ली, मवाना, खिर्वा जलालपुर और सरधना सहित पूरे जिले में मजलिसों का दौर शुरू हो गया। इन मजलिसों में वक्ताओं ने जंग ए करबला के हर पहलू का जिक्र किया। जैदी सोसाइटी स्थित इमामबारगाह पंजतनी में लखनऊ से आए मौलाना मुस्तफा अली खान और इमामबारगाह दरबार ए हुसैनी में लखनऊ के ही मौलाना बिलाल काजमी ने मजलिस पढ़ सोग़वारों की आंखों को अश्कबार कर दिया। यहां रात में हुई दूसरे सत्र की मजलिस में मौलाना इब्ने हसन नकवी ने करबला की शहादतों की बयां किया। इमामबारगाह इश्तियाक हुसैन में मौलाना शब्बर हुसैन खान (लखनऊ) और इमामबारगाह अबू तालिब में ईरान से आए मौलाना अम्मार हैदर रिजवी ने मजलिस को खिताब किया। मनसबिया घंटाघर पर मौलाना शब्बर अली खान, छोटी करबला चौड़ा कुआं में मौलाना सैय्यद अब्बास बाकरी और इमामबारगाह डॉ इकबाल हुसैन में जंग ए करबला का वाकया मौलाना गुलाम अब्बास (नौगांव सादात) की जुबा की रवानी बना। इन मजलिसों में मोहर्रम कमेटी के संयोजक सैय्यद शाह अब्बास सफवी, मीडिया प्रभारी अली हैदर रिज़वी, हैदर अब्बास रिजवी, चांद जैदी, जिया जैदी, अनवर जैदी, मोनिस अब्बास, आशीश जैदी, खुर्शीद जैदी, बाकर जैदी, नादे अली जैदी, मुन्ना जैदी, रहबर जैदी, शादाब काजमी, दिलबर जैदी, मुजफ्फर हुसैन जैदी और हुमायूं नकवी मुख्य रूप से मौजूद रहे।
आज से निकलेंगे जुलूस
मेरठ। मोहर्रम कमेटी के मीडिया प्रभारी अली हैदर रिज़वी ने बताया कि शनिवार से शहर में मातमी जुलूसों का सिलसिला शुरु हो जाएगा। पहला जुलूस इमामबारगाह जाहिदियान से बरामद होगा। इस जलूस के प्रबंधक नियाज हुसैन जैदी होंगे।
अब्दुल्लापुर में कोई नई परंपरा शुरू नहीं होगी
मेरठ। मोहर्रम के दौरान अब्दुल्लापुर में किसी भी प्रकार की कोई नई परंपरा शुरू नहीं की जाएगी। सभी मातमी जुलूस और मजलिसें पूर्व की भांति ही आयोजित होगी। एडवोकेट नायब अली ने बताया कि मातमी जुलूसों के दौरान अब्दुल्लापुर के नौजवान 'अली अकबर अब्दुल्लापुर सादात' लिखी हुई टी शर्ट पहनकर मातम करेंगे। कोई भी नई परंपरा शुरू नहीं की जाएगी और जुलूसों के दौरान प्रशासन का पूरा सहयोग किया जाएगा।
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